4 दिसंबर को मैं कटक में वीर सावरकर फाउंडेशन के राष्ट्रीय पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित होने के लिए पहुंचा। यह दिन मेरे लिये सचमुच अविस्मरणीय रहेगा । क्योंकि इस दिन भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महान सेनानी कोटि-कोटि हिंदुस्तान वासियों के हृदय की धड़कन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म स्थान अर्थात उनके पैतृक मकान को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसमें नेताजी के उस कक्ष को भी देखा जहां पर उनका जन्म हुआ था । जहां बैठकर वह अपना इंडियन बैंक चलाते थे – उस कक्ष को भी देखा। इसी भवन के एक कक्ष में उनको नजरबंद रखा गया था। जहां पर उनका कुछ सामान रखा हुआ है। नेताजी जिस प्रकार रेडियो स्टेशन से संबोधन देते रहे
नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी अनेकों ऐतिहासिक घटनाओं के चित्रों को यहां पर संजोकर रखा गया है। उनके अस्तबल में भी एक घोड़े का बहुत ही सजीव चित्र बनाया गया है। वे जिस घोड़ा बग्गी को उपयोग करते थे उसे भी बहुत सजीव चित्रण के साथ यहां पर रखा गया है। इसके अतिरिक्त घोड़े पर उनकी प्रतिमा भी देखने लायक है। जब यहां पर मैंने ‘उगता भारत’ समाचार पत्र के संपादक श्री निवास आर्य जी के साथ प्रवेश किया तो उस परम पवित्र क्रांतिकारी आत्मा के लिए हृदय से नमन किया और अपने आपको इस बात के लिए सौभाग्यशाली समझा कि आज उस पवित्र भूमि को देखने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है जिस पर हमारा यह महानायक जन्मा था। निश्चित रूप से किसी भी ‘आनंद भवन’ या ‘साबरमती आश्रम’ से अधिक आनंद और उत्साह का संचार इस स्थल पर आकर होता है।
यहां पर नेताजी की आजाद हिंद फौज की तलवारें भी रखी हैं। जिन को हृदय से नमन किया और इस बात पर गर्व अनुभव किया कि अंग्रेज इस तलवार के भय से ही हिंदुस्तान से भागे थे ना कि किसी चरखा वाले साबरमती के संत के भय से।
उनके इस भवन से लगता हुआ ही कटक जेल खाना है। जो कि आजकल एक स्मृति स्थल में परिवर्तित कर दिया गया है। यद्यपि इसकी स्थिति बहुत अधिक अच्छी नहीं है। यहां पर रत्नाकर नामक एक कर्मचारी सुरक्षा गार्ड के रूप में रहता है। बाकी सारा पाक आवारा पशुओं से बेकार होकर अपने दुर्भाग्य पर आंसू बहा रहा है।
नेताजी के पैतृक मकान को इस समय एक राष्ट्रीय संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है मुख्यमंत्री बीजू पटनायक जी द्वारा इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया था। यहां पर सरकार ने जिस प्रकार उचित देखभाल व रखरखाव करने के अपने दायित्व का निर्वाह किया है, वह प्रशंसनीय है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के गनर रहे जगराम ने आरोप लगाया था कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नेहरू ने रूस को सौंप दिया था और रूस के स्टालिन ने उन्हें फांसी लगा दी थी। उसका कहना था कि अंग्रेजों ने द्वितीय विश्व युद्ध में चार बड़े लोगों को युद्ध अपराधी घोषित किया था। जिनमें इटली के मुसोलिनी, जापान के तोजो ,जर्मनी के हिटलर और भारत के सुभाष चंद्र बोस थे।
इनमें से इटली के मुसोलिनी को पकड़कर मार दिया गया था।जापान के तोजो ने छत से कूदकर जान दे दी थी, जबकि हिटलर ने अपने आप गोली मार कर आत्महत्या कर ली थी और चौथे सुभाष को रूस में ले जाकर स्टालिन ने फांसी दे दी थी।
वास्तव में नेताजी के गनर का यह आरोप बहुत संगीन है कांग्रेस के दामन पर जब तक यह आरोप लगा हुआ है तब तक कॉन्ग्रेस अपने दोगले पन और देश विरोधी पाप से मुक्त नहीं हो सकती।
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