फ्रिज में कहां वह तृप्ति जो मिलती है मटके के पानी में

घरों में फ्रिज क्या आया, मटके गायब हो गए। मगर मिट्टी का मटका आज भी गरीबों का फ्रिज बना हुआ है। मटके के पानी को आयुर्वेद में भी महत्ता दी गई है। मटके का पानी प्राकृतिक रूप से ठंडा होता है। मटके में कई छोटे-छोटे छेद होते हैं- जो पानी को ठंडा करने में मदद करते हैं। मटके के साथ कई प्रयोग किए गए हैं। अब यह सिर्फ साधारण मटका नहीं रह गया। हाल ही में मिट्टी से फ्रिज भी बनाया गया।

मटके का पानी बेहद साफ, शीतल और अमृत जैसा होता है। फ्रिज का पानी भले ही ठंडा हो पर वह आपको ऊर्जा नहीं दे सकता। इस पानी में भरपूर ऊष्मा होती है जो शरीर को ऊर्जावान बनाए रखती है।

गर्मियों में हम कई तरह की बीमारियों से रूबरू होते हैं। इन दिनों दूषित पानी पीने के कारण कई बीमारियां घर कर लेती हैं। मगर मटके के पानी में कीटाणुनाशक गुण पाए जाते हैं। जिससे शरीर के कीटाणु खत्म होते हैं। मटका पानी को 14 डिग्री तक ठंडा करने की क्षमता रखता है। इसका पानी हमें तरोताजा बनाता है। मटके का पानी गले के लिए भी बेहतर माना जाता है। फ्रिज का पानी गला खराब होने की वजह बन सकता है। मटके का पानी हमें बीमार नहीं होने देता। खांसी-जुकाम में भी मटके का पानी हमें नुकसान नहीं पहुंचाता। सुबह मटके का पानी पाचन क्रिया को दुरूस्त करता है- साथ ही आंखों और दिल को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है। आज जब हम पृथ्वी बचाओ, बिजली बचाओ जैसी बातें सुनते हैं तो फ्रिज की जगह मटके का इस्तेमाल करना बेहतर लगता है। कई घरों में फ्रिज होने के बावजूद मटका इस्तेमाल में लाया जाता है। हमें बच्चों को भी मटके के पानी की खासियत बतानी चाहिए ताकि वे भी इसका इस्तेमाल करें।

मटके में पानी रखने से पहले कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें। बाजार में तरह-तरह की सुराही और मटके मौजूद हैं। सुराही की बजाय मटका पानी को ज्यादा ठंडा करता है। मटके में पानी रखने से पहले उसे अच्छी तरह साफ कर लें। ध्यान रहे उसे अंदर की तरफ से ज्यादा न रगड़ें वरना पानी ठंडा होना बंद हो जाएगा। धूल, कीटाणु से बचाने के लिए इसे हमेशा ढक कर रखें। मटके को खिडक़ी के पास रखने से पानी जल्दी ठंडा होता है। बहुत ज्यादा गर्मी में इस पर गीला कपड़ा बांध कर रखें। पानी निकालने के लिए लंबे हैंडल का चम्मच इस्तेमाल करें। मटके के अंदर हाथ न डालें।

आसानी के लिए अब इनमें टोंटी भी लगाई जाने लगी है। जिससे आप आसानी से ठंडा पानी निकाल कर पी सकते हैं। तो पुरानी परम्परा को फिर से जीवित कीजिए और पानी को मटके में रखकर जब चाहे गले को तर कीजिए।

 

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