किसान आंदोलन’ के सहारे परवान चढ़ा खालिस्तानी एजेंडा अक्टूबर 2021 में

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‘सिख्स फॉर जस्टिस’ नाम की कट्टरवादी सिख संस्था ने तथाकथित खालिस्तान का नक्शा जारी किया। उसने कहा हैथाकि भारत को काट कर इस क्षेत्र को सिखों का अपना मुल्क बनाया जाएगा। अक्टूबर 2021 के अंत में इसके लिए उसने लंदन में रेफेरेंडम आयोजित करने का भी निर्णय ले लिया। ‘क्वीन एलिजाबेथ सेंटर’ में ये भारत विरोधी कार्यक्रम आयोजित किया गया। जब ये आंदोलन शुरू हुआ, तभी से इसमें खालिस्तानियों की हिस्सेदारी सामने आने लगी थी और भिंडरवाला के पोस्टर्स इसमें नजर आने लगे थे।
आज के माहौल की बात करें तो अब भी प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस (SFJ)’ एक बार फिर से इसका फायदा उठाने की फिराक में है और अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए वह लगातार युवाओं को भड़काने की कोशिश कर रहा है। इसमें गुरुपवंत सिंह पन्नू को यह कहते सुना जा सकता है कि देश को आजाद कराने के लिए भगत सिंह ने पार्लियामेंट में बम फेंका था। वो कहता है कि ट्रैक्टर को हथियार बनाकर तुम 29 नवंबर को खालिस्तान के केसरी झंडे को भारत की संसद पर चढ़ा दो।
सबसे बड़ी बात तो ये है कि इस आंदोलन को जिस तरह से कृषि के नाम पर सिख कट्टरवाद और खालिस्तानी अलगाववाद से जोड़ा गया, वो एक बहुत बड़ी साजिश थी। अचानक से लंदन में सिखों के अलग मुल्क के ली रेफरेंडम होने लगा, प्रतिबंधित संगठन SFJ का पन्नू वीडियोज जारी करने लगा, कनाडा के नेताओं ने इस आंदोलन का समर्थन शुरू कर दिया और ISI ने पंजाब में इस आंदोलन को हवा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी – इस बात ने ख़ुफ़िया एजेंसियों तक के कान खड़े कर दिए थे।
सबसे बड़ी बात तो ये है कि इस आंदोलन को जिस तरह से कृषि के नाम पर सिख कट्टरवाद और खालिस्तानी अलगाववाद से जोड़ा गया, वो एक बहुत बड़ी साजिश थी। अचानक से लंदन में सिखों के अलग मुल्क के ली रेफरेंडम होने लगा, प्रतिबंधित संगठन SFJ का पन्नू वीडियोज जारी करने लगा, कनाडा के नेताओं ने इस आंदोलन का समर्थन शुरू कर दिया और ISI ने पंजाब में इस आंदोलन को हवा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी – इस बात ने ख़ुफ़िया एजेंसियों तक के कान खड़े कर दिए थे।
पन्नू ने 4 अक्टूबर को एक वीडियो और एक पत्र जारी किया था। इसमें उसने सिखों को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ 9 अक्टूबर को ड्रोन और ट्रैक्टर का इस्तेमाल करने के लिए उकसाया था। अपने बयान में पन्नू ने कहा था, “आज यूपी के लखीमपुर में चार किसानों की हत्या कर दी गई। किसानों के विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से सैकड़ों मौतें हो चुकी हैं। अब खालिस्तान ही एकमात्र रास्ता है। किसान हल खालिस्तान।” अब आप समझ सकते हैं कि किस कदर ये सिख कट्टरवाद इस आंदोलन में घुसा रहा।
सिख फॉर जस्टिस ने भारतीय मूल वाले सभी 18 वर्ष के ऊपर वाले लोगों से वोट देने को कहा था। ये वोटिंग वेस्टमिंनस्टर के एलिजाबेथ 2 सेंटर में हुई। इस दौरान लोगों ने न केवल भारत विरोधी नारे लगाए, खालिस्तान जिंदाबाद कहा बल्कि इन लोगों के हाथों मे खालिस्तानी झंडे भी जगह-जगह दिखाई दिए। रिपोर्ट बताती है कि बैलट पेपर पर लिखा था कि क्या भारत शासित पंजाब को एक स्वतंत्र देश बनना चाहिए? संगठन के संस्थापक खालिस्तानी पन्नू ने कहा था कि 30 हजार सिखों ने जनमत संग्रह पर अपना वोट दिया।

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