गाय के दूध का वैज्ञानिक महत्व और उसके लाभ

cow265__463832059पंडित दयानंद शास्त्री

भारतीय संस्कृति में गाय का बेहद उच्च स्थान है। इसे कामधेनु कहा गया है। इसका दूध बच्चों के लिए बेहद पौष्टिक माना गया है और बुद्धि के विकास में कारगर भी।सभी जानवरों में गाय का दूध सबसे ज्यादा फ ायदेमंद माना गया है। उसमें भी देसी नस्ल की गाय का दूध ही सबसे ज्यादा महत्चपूर्ण है। आखिर देसी नस्ल की गाय में क्या खूबियां होती हैं जो उसके दूध का इतना महत्व होता है। गाय के दूध का महत्व उसमें मौजूद तत्व बढ़ाते हैं। सेहत के लिहाज से गाय का दूध फ ायदेमंद तो है ही अब एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि हिमाचल प्रदेश में पली.बढ़ी गाय के दूध में पाया जाने वाला प्रोटीन हृदय की बीमारी मधुमेह से लडऩे में कारगर और मानसिक विकास में सहायक होता है।गाय और गाय के दूध के बारे जितना कहा जाए उतना ही कम होगा। गाय और उसके दूध के महान गुणों को देखकर ही तो गाय को मां कहकर भगवान के समान सम्मान दिया गया है। भारत और खासकर हिन्दू धर्म में तो गाय के महान और अनमोल गुणों को देखते हुए उसे मां देवी और भगवान का दर्जा दिया गया है जो कि उचित भी है। भारतीय गायों की एक खाशियत ऐसी है जो दुनिया की अन्य प्रजातियों की गायों में नहीं होती। भारतीय नश्ल की गायों के शरीर में एक सूर्य ग्रंथि यानी सन ग्लैंड्स पाई जाती है। इस सूर्य ग्रंथि की ही यह खाशियत है कि यह उसके दूध को बेहद गुणकारी और अमूल्य औषधी के रूप में बदल देती है। दूध एक अपारदर्शी सफेद द्रव है जो मादाओं के दुग्ध ग्रन्थियों द्वारा बनाया जता है। नवजात शिशु तब तक दूध पर निर्भर रहता है जब तक वह अन्य पदार्थों का सेवन करने में अक्षम होता है। साधारणतया दूध में 85 प्रतिशत जल होता है और शेष भाग में ठोस तत्व यानी खनिज व वसा होता है। गाय.भैंस के अलावा बाजार में विभिन्न कंपनियों का पैक्ड दूध भी उपलब्ध होता है। दूध प्रोटीन कैल्शियम और राइबोफ्लेविन विटामिन बी .2 युक्त होता हैए इनके अलावा इसमें विटामिन ए, डी, के और ई सहित फ ॉस्फ ोरस, मैग्नीशियम आयोडीन व कई खनिज और वसा तथा ऊर्जा भी होती है। इसके अलावा इसमें कई एंजाइम और कुछ जीवित रक्त कोशिकाएं भी हो सकती हैं।

चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में पशुचिकित्सा सूक्ष्मजैविकी विभाग के शोधार्थियों ने बतायाए ष्पहाड़ीष् गाय की नस्ल की दूध में ए.2 बीटा प्रोटीन ज्यादा मात्रा में पाया जाता है और यह सेहत के लिए काफ ी अच्छा है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा 43 पहाड़ी गायों पर किए जा रहे अध्ययन में यह बात सामने आई है।

लगभग 97 फीसदी मामलों में यह पाया गया कि इन गायों के दूध में ए.2 बीटा प्रोटीन मिलता है जो हृदय की बीमारीए मधुमेह और मानसिक रोग के खिलाफ सुरक्षा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हॉलस्टीन और जर्सी नस्ल की गायों में यह प्रोटीन नहीं पाया जाता।गाय के दूध में प्रति ग्राम 3.14 मिली ग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। आयुर्वेद के अनुसार गाय के ताजा दूध को ही उत्तम माना जाता है। बत्रा हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च सेंटर के आयुर्वेद के विभागाध्यक्ष डॉ. मेहर सिंह के अनुसार गाय का दूध भैंस की तुलना में मस्तिष्क के लिए बेहतर होता है।

इन गायों में ए.1 जीन पाया जाता है जो इन बीमारियों को मदद पहुंचाता है। ए.1 जीन स्थानीय गायों के दूध में हमेशा मौजूद नहीं होता लेकिन इसे नकारा भी नहीं जा सकता।

गाय के दूध में स्वर्ण तत्व होता है जो शरीर के लिए काफ ी शक्तिदायक और आसानी से पचने वाला होता है। गाय की गर्दन के पास एक कूबड़ होती है जो ऊपर की ओर उठी और शिवलिंग के आकार जैसी होती है। गाय की इसी कूबड़ के कारण उसका दूध फ ायदेमंद होता है। वास्तव में इस कूबड़ में एक सूर्यकेतु नाड़ी होती है। यह सूर्य की किरणों से निकलने वाली ऊर्जा को सोखती रहती है जिससे गाय के शरीर में स्वर्ण उत्पन्न होता रहता है। जो सीधे गाय के दूध और मूत्र में मिलता है। इसलिए गाय का दूध भी हल्का पीला रंग लिए होता है। यह स्वर्ण शरीर को मजबूत करता है आंतों की रक्षा करता है और दिमाग भी तेज करता है। इसलिए गाय का दूध सबसे ज्यादा अच्छा माना गया है।

गाय का दूध शिशुओं को एलर्जी से बचाता है

शर्मा ने बताया कि विभाग द्वारा 43 पहाड़ी गायों पर किए जा रहे अध्ययन में यह बात सामने आई है। शर्मा ने कहा कि 97 फ ीसदी मामलों में यह पाया गया कि इन गायों के दूध में ए 2 बीटा प्रोटीन मिलता है जो हृदय की बीमारी मधुमेह और मानसिक रोग के खिलाफ सुरक्षा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि हॉलस्टीन और जर्सी नस्ल की गायों में यह प्रोटीन नहीं पाया जाता। इन गायों में ए1 जीन पाया जाता है जो इन बीमारियों को मदद पहुंचाता है।

आइये जाने देसी गायों के बारे में

आधुनिक विज्ञान का यह मानना है कि सृष्टि के आदि काल में भूमध्य रेखा के दोनो ओर प्रथम एक गर्म भूखंड उत्पन्न हुवा था इसे भारतीय परम्परा मे जम्बुद्वीप नाम दिया जाता है। सभी स्तन धारी भूमी पर पैरों से चलने वाले प्राणी दोपाए चौपाए जिन्हें वैज्ञानिक भाषा मे अॅसग्युलेट  के नाम से जाना जाता है वे इसी जम्बू द्वीप पर उत्पन्न हुवे थे। इस प्रकार सृष्टि में सब से प्रथम मनुष्य और गौ का इसी जम्बुद्वीप भूखंड पर उत्पन्न होना माना जाता है। इस प्रकार यह भी सिद्ध होता है कि भारतीय गाय ही विश्व की मूल गाय है। इसी मूल भारतीय गाय का लगभग 8000 साल पहले भारत जैसे गर्म क्षेत्रों से योरुप के ठंडे क्षेत्रों के लिए पलायन हुवा माना जाता है। जीव विज्ञान के अनुसार भारतीय गायों के 209 तत्व के डीएनए में 67 पद पर स्थित एमिनो एसिड प्रोलीन पाया जाता है। इन गौओं के ठंडे यूरोपीय देशों को पलायन में भारतीय गाय के डीएनए में प्रोलीन  एमीनोएसिड हिस्टीडीन के साथ उत्परिवर्तित हो गया इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक भाषा में म्युटेशन कहते हैं। दूध प्रोटीन की जेनेटिक बहुरूप में पीएफ फ ॉक्स और सम्पादित लेख उन्नत डेयरी रसायन विज्ञान ए  शैक्षणिक सर्वागीण सभा प्रकाशक न्यूयॉर्क मूल गाय के दूध में अपने स्थान 67 पर बहुत दृढता से आग्रह पूर्वक अपने पडोसी स्थान 66 पर स्थित अमीनोएसिड आइसोल्यूसीन  से जुडा रहता है। परन्तु जब प्रोलीन के स्थान पर हिस्टिडीन आ जाता है तब इस हिस्टिडीन में अपने पडोसी स्थान 66 पर स्थित आइसोल्युसीन से जुडे रहने की प्रबल इच्छा नही पाई जाती। इस स्थिति में यह एमिनो एसिड मानव शरीर की पाचन कृया में आसानी से टूट कर बिखर जाता है। इस प्रक्रिया से एक 7 एमीनोएसिड का छोटा प्रोटीन स्वच्छ्न्द रूप से मानव शरीर में अपना अलग आस्तित्व बना लेता हैण् इस 7 एमीनोएसिड के प्रोटीन को बीसीएम दिया जाता है।

अफ ीम परिवार का मादक तत्व है। जो बहुत शक्तिशाली व्गपकंदज ऑक्सीकरण एजेंट के रूप में मानव स्वास्थ्य पर अपनी श्रेणी के दूसरे अफ ीम जैसे ही मादक तत्वों जैसा दूरगामी दुष्प्रभाव छोडता है। जिस दूध में यह विषैला मादक तत्व बीसीएम 7 पाया जाता है उस दूध को वैज्ञानिकों ने ए 1 दूध का नाम दिया है। यह दूध उन विदेशी गौओं में पाया गया है जिन के डीएन मे 67 स्थान पर प्रोलीन न हो कर हिस्टिडीन होता है।

आरम्भ में जब दूध को बीसीएम के कारण बडे स्तर पर जानलेवा रोगों का कारण पाया गया तब न्यूज़ीलेंड के सारे डेरी उद्योग के दूध का परीक्षण आरम्भ हुवाण् सारे डेरी दूध पर करे जाने वाले प्रथम अनुसंधान मे जो दूध मिला वह बीसीएम से दूषित पाया गया इसी लिए यह सारा दूध ए1 कह्लाया तदुपरांत ऐसे दूध की खोज आरम्भ हुई जिस मे यह बीसीएम विषैला तत्व न होण् इस दूसरे अनुसंधान अभियान में जो बीसीएम रहित दूध पाया गया उसे ए 2 नाम दिया गया। सुखद बात यह है कि विश्व की मूल गाय की प्रजाति के दूध में यह विष तत्व बीसीएम नहीं मिलाए इसी लिए देसी गाय का दूध ए 2 प्रकार का दूध पाया जाता है देसी गाय के दूध मे यह स्वास्थ्य नाशक मादक विष तत्व बीसीएम नही होता आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान से अमेरिका में यह भी पाया गया कि ठीक से पोषित देसी गाय के दूध और दूध के बने पदार्थ मानव शरीर में कोई भी रोग उत्पन्न नहीं होने देते भारतीय परम्परा में इसी लिए देसी गाय के दूध को अमृत कहा जाता है आज यदि भारतवर्ष का डेरी उद्योग हमारी देसी गाय के ए 2 दूध की उत्पादकता का महत्व समझ लें तो भारत सारे विश्व डेरी दूध व्यापार में सब से बडा दूध निर्यातक देश बन सकता है

देसी गाय की पहचान

आज के वैज्ञानिक युग में ए यह भी महत्व का विषय है कि देसी गाय की पहचान प्रामाणिक तौर पर हो सके साधारण बोल चाल मे जिन गौओं में कुकुभ ए गल कम्बल छोटा होता है उन्हें देसी नही माना जातए और सब को जर्सी कह दिया जाता है। प्रामाणिक रूप से यह जानने के लिए कि कौन सी गाय मूल देसी गाय की प्रजाति की हैं गौ का डीएनए जांचा जाता है इस परीक्षण के लिए गाय की पूंछ के बाल के एक टुकडे से ही यह सुनिश्चित हो जाता है कि वह गाय देसी गाय मानी जा सकती है या नहीं यह अत्याधुनिक विज्ञान के अनुसन्धान का विषय है।

पाठकों की जान कारी के लिए भारत सरकार से इस अनुसंधान के लिए आर्थिक सहयोग के प्रोत्साहन से भारतवर्ष के वैज्ञानिक इस विषय पर अनुसंधान कर रहे हैं और निकट भविष्य में वैज्ञानिक रूप से देसी गाय की पहचान सम्भव हो सकेगीण् इस महत्वपूर्ण अनुसंधान का कार्य दिल्ली स्थित महाऋ षि दयानंद गोसम्वद्र्धन केंद्र की पहल और भागीदारी पर और कुछ भारतीय वैज्ञानिकों के निजी उत्साह से आरम्भ हो सका है।

ए 1 दूध का मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव

जन्म के समय बालक के शरीर मे  नही होता माता के स्तन पान कराने के बाद तीन चार वर्ष की आयु तक शरीर में यह ब्लडब्रेन बैरियर स्थापित हो जाता है इसी लिए जन्मोपरांत माता के पोषन और स्तन पान द्वारा शिषु को मिलने वाले पोषण का बचपन ही मे नही बडे हो जाने पर भविष्य मे मस्तिष्क के रोग और शरीर की रोग निरोधक क्षमता स्वास्थ्य और व्यक्तित्व के निर्माण में अत्यधिक महत्व बताया जाता है।

बाल्य काल के रोग

आजकल भारत वर्ष ही में नही सारे विश्व मे ए जन्मोपरान्त बच्चों में जो बोध अक्षमता और मधुमेह जैसे रोग बढ रहे हैं उन का स्पष्ट कारण ए 1 दूध का बीसीएम पाया गया हैण्

वयस्क समाज के रोग

मानव शरीर के सभी शरीर के स्वजन्य रोग जैसे उच्च रक्त चाप  हृदय रोग  तथा मधुमेह क्पंइमजमे का प्रत्यक्ष सम्बंध बीसीएम वाले ए 1 दूध से स्थापित हो चुका हैण्यही नही बुढापे के मांसिक रोग भी बचपन में ए 1 दूध का प्रभाव के रूप मे भी देखे जा रहे हैं। दुनिया भर में डेयरी उद्योग आज चुपचाप अपने पशुओं की प्रजनन नीतियों में श् अच्छा दूध अर्थात् ठब्ड7 मुक्त ए2 दूध श् के उत्पादन के आधार पर बदलाव ला रही हैंण् वैज्ञानिक शोध इस विषय पर भी किया जा रहा है कि किस प्रकार अधिक ए 2 दूध देने वाली गौओं की प्रजातियां विकसित की जा सकें।

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