हजारों साल से बीमारियों से बचा रही है तुलसी
वर्षा शर्मा
वृक्ष तथा विभिन्न वनस्पतियां धरती पर हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी हैं। भारतीय संस्कृति में भी प्राचीन समय से ही वृक्षों तथा वनस्पतियों को पूजनीय माना जाता रहा है। विभिन्न वनस्पतियां हमारे स्वास्थ्य की रक्षा में भी सहायक सिद्ध होती हैं। ऐसा ही एक छोटा परन्तु बहुत महत्वपूर्ण पौधा होता है तुलसी का। हजारों वर्षों से विभिन्न रोगों के इलाज के लिए औषधि के रूप में तुलसी का प्रयोग किया जा रहा है। आयुर्वेद में भी तुलसी तथा उसके विभिन्न औषधीय प्रयोगों का विशेष स्थान है।
आपके आंगन में लगे छोटे-से तुलसी के पौधे में अनेक बीमारियों के इलाज करने के आश्चर्यजनक गुण होते हैं। सर्दी के मौसम में खांसी-जुकाम होना एक आम समस्या है। इनसे बचे रहने का सबसे सरल उपाय है तुलसी की चाय। तुलसी की चाय बनाने के लिए, तुलसी की ताजी पत्तियां लें और धोकर कुचल लें फिर उसे एक कप पानी में डालें। उसमें पीपरामूल, सौंठ, इलायची पाउडर तथा एक चम्मच चीनी मिला लें। इस मिश्रण को उबालकर बिना छाने सुबह गर्मागर्म पीना चाहिए।
इस प्रकार की चाय पीने से शरीर में चुस्ती-स्फूर्ति आती है और भूख बढ़ती है। जिन लोगों को सर्दियों में बार-बार चाय पीने की आदत है उनके लिए यह तुलसी की चाय बहुत लाभदायक होगी जो ना केवल उन्हें स्वास्थ्य लाभ देगी अपितु उन्हें साधारण चाय के हानिकारक प्रभावों से भी बचाएगी। सर्दी, ज्वर, अरूचि, सुस्ती, दाह, वायु तथा पित्त संबंधी विकारों को दूर करने के लिए भी तुलसी की औषधीय रचना का अपना महत्व है। इसके लिए तुलसी की दस-पन्द्रह ग्राम ताजी धुली पत्तियों को लगभग 150 ग्राम पानी में उबाल लें। जब लगभग आधा या चौथाई पानी ही शेष रह जाए तो उसमें उतनी ही मात्रा में दूध तथा जरूरत के अनुसार मिश्री मिला लें यह अनेक रोगों को तो दूर करता ही है साथ ही क्षुधावर्धक भी होता है। इसी विधि के अनुसार, काढ़ा बनाकर उसमें एक-दो इलायची का चूर्ण और दस-पन्द्रह सुधामूली डालकर सर्दियों में पीना बहुत लाभकारी होता है। इसमें शारीरिक पुष्टता बढ़ती है।
तुलसी के पत्ते का चूर्ण बनाकर मर्तबान में रख लें। जब भी चाय बनाएं तो दस-पन्द्रह ग्राम इस चूर्ण का प्रयोग करें। यह चाय ज्वर, दमा, जुकाम, कफ तथा गले के रोगों के लिए बहुत लाभकारी है।
तुलसी का काढ़ा बनाने के लिए तीन-चार काली मिर्च के साथ तुलसी की सात-आठ पत्तियों को रगड़ लें और अच्छी तरह मिलाकर एक गिलास द्रव तैयार करें। इक्कीस दिनों तक सुबह लगातार खाली पेट इस काढ़े का सेवन करने से मस्तिष्क की गर्मी दूर होती है और उसे शक्ति मिलती है। क्योंकि यह काढ़ा हृदयोत्तेजक होता है इसलिए यह हृदय को पुष्ट करता है और हृदय संबंधी रोगों से बचाव करता हैं।
एसिडिटी, संधिवात, मधुमेह, स्थूलता, खुजली, यौन दुर्बलता, प्रदाह आदि अनेक बीमारियों के उपचार के लिए तुलसी की चटनी बनाई जा सकती है।