पुस्तक समीक्षा : संस्कारित बाल कहानियां
संस्कारित बाल कहानियां’- पुस्तक श्रीमती करुणा श्रीवास्तव द्वारा लिखी गई है। विदुषी लेखिका के द्वारा अब से पूर्व में भी दर्जनों पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। उनकी ऐसी अप्रतिम प्रतिभा को देखकर स्पष्ट होता है कि वे कथाकार, उपन्यासकार और साहित्य की सचमुच एक समर्थ लेखिका हैं। ‘संस्कारित बाल कहानियां’ – उन्होंने बच्चों के लिए लिखी हैं। जिसमें 29 कहानियों को स्थान दिया गया है। विदुषी लेखिका का प्रयास है कि हर कहानी के द्वारा ऐसा संदेश दिया जाए जिससे बच्चों के बाल मन पर संस्कारों की अमिट छाप डाली जा सके। कहानियों के पढ़ने से यह भी स्पष्ट हो जाता है कि वह अपने इस प्रयास में बहुत हद तक सफल भी रही हैं।
अपनी एक कहानी ‘सच्चा ज्ञान’ में वह लिखती हैं – ‘एक राजा थे ।नाम था विक्रमशाह रजवाड़ा । वह सच्चे ज्ञान की खोज में सिपाही और बेटे को ले वन में निकल पड़े । जहां एक नामी ऋषि रहते थे। सभी समस्याओं का समाधान करते थे । सांझ का समय था। ऋषि अपनी कुटिया में नहीं थे , लेकिन एक वृध्द खाली जमीन पर बीज बो रहा था। राजा, सिपाही , बेटा तीनों उसके करीब पहुंचे और ऋषि के विषय में पूछा।
उस वृध्द ने कहा -:मैं ही कुटिया में रहने वाला ऋषि हूँ।’
तभी राजा ने कहा – ऋषि महाराज ! मेरे प्रश्न के उत्तर बता सकते हैं ?
ऋषि ने कहा – ‘पूछो’।
सबसे अच्छा मित्र , सबसे अच्छा समय, सबसे अच्छा काम कौन सा है ?
वृध्द ऋषि राजा के प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाया और कहा ‘मदद करो’।
राजा बीज बोने लगा । उसी समय रोने की आवाज सुनाई दी। ऋषि राजा को उसके निकट ले गया। जब राजा को उस रोने वाले व्यक्ति ने देखा तो क्षमा मांगने लगा।
राजा को आश्चर्य हुआ । यह कौन है ?
वह व्यक्ति राजा को मारने आया था। सिपाही ने उसकी मंशा भांप ली थी । इसलिए सिपाही ने उसे अपनी हिरासत में ले लिया था।
राजा को अपने प्रश्न का उत्तर नहीं मिला । तभी ऋषि ने कहा आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया। इस व्यक्ति ने आपसे क्षमा मांग ली । यह आपका सबसे अच्छा मित्र है। सबसे अच्छा समय वर्तमान है। सबसे अच्छा मित्र वही है जो समय पर काम आए। यही सच्चा ज्ञान की खोज है।’
इस एक छोटी सी कहानी से स्पष्ट हो जाता है कि विदुषी लेखिका ने बहुत ही छोटे छोटे वाक्य बनाकर सरल से सरल भाषा का सहारा लेकर अपने ज्ञान को बच्चों के भीतर डालने का प्रयास किया है। जिसमें वह पूर्णतया सफल रही हैं । वैसे भी बच्चे ज्ञान को जितना कहानियों के माध्यम से ग्रहण करते हैं उससे अलग कोई दूसरी ऐसी विधा नहीं है जो उन्हें रुचिकर लगती हो। बच्चों की इसी रूचि को देखते हुए लेखिका ने ऐसी ही अन्य 28 कहानियों का सहारा लेकर उन्हें संस्कारित बनाने का सराहनीय प्रयास किया है।
पुस्तक के विषय में वह लिखती हैं – आज के भौतिक दौर में तकनीकी शिक्षा का सर्वाधिक महत्व है । सपनों की दुनिया का क्षेत्र, आध्यात्मिक दुनिया का क्षेत्र और मूल क्षेत्र संस्कारों का क्षेत्र और वैज्ञानिक दुनिया का क्षेत्र यह सब ज्ञान का क्षेत्र है। जो हम सब को बचपन में सिखाया जाता है । कौन कितना बाल सागर में हिलोरे लेता है ? यह सब इंसान के मस्तिष्क के चिन्तन मनन पर निर्भर करता है।
यह पुस्तक कुल 144 पृष्ठों में लिखी गई है। पुस्तक का मूल्य रुपए 250 है। पुस्तक के प्रकाशक साहित्त्यागार, धामाणी मार्केट की गली , चौड़ा रास्ता जयपुर 302003 है।
पुस्तक की प्राप्ति के लिए 0141 -2310785, 4022382 पर संपर्क किया जा सकता है।
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत
मुख्य संपादक, उगता भारत