बहुरूपिये और प्रत्यारोपित हिन्दू नेताओं से सावधान
आचार्य श्री विष्णुगुप्त
आज मुझे एक हिन्दू एक्टविस्टों की बैठक में जाने का अवसर मिला। मैं यह देख कर दंग रह गया कि आज हिन्दुओं की जागरूकता को भटकाने के लिए नये-नये नेता और आईकॉन बन गये हैं। अपने हवाहवाई तर्को और बहुत ही खारिज बातों से चमत्कृत करने का काम कर रहे हैं। न उनके पास तथ्यात्मक जानकारी है और न ही हिन्दुत्व के संकट की समझ है। शिक्षा में सनातन की संस्कृति लाने मात्र से हिन्दुत्व बच जायेगा, यह उनका तर्क था। उस बहुरूपिये ने कहा कि डा अब्दुल कलाम ने संसद में कहा था कि शिक्षा में सनातन संस्कृति लाना चाहिए। मैंने जब कहा कि संसद में राष्टपति सिर्फ सरकार द्वारा लिखित में दिये मात्र को पढ़ते हैं, अपने से अभिभाषण में कोई शब्द नहीं जोड़ सकते हैं। फिर उन्होंने मेरे इस सच्चाई को रखने के बाद वे चुपचाप हो गये। फिर उन्होंने कहा कि उत्तम विवाह पद्धति से हिन्दू बचेगा। उसने विवेकानंद सेंटर केरल का नाम लिया। जब मैंने उनसे पूछा कि जब केरल में विवेकानंद सेंटर उत्तम विवाह पद्धति से हिन्दुओं का सत्यानाश क्यों नहीं रोक पाया, केरल का मुस्लिमकरण क्यों हो गया? फिर उन्होंने अपने बचाव में अपने पूर्व मंें व्यक्त बातों से साफ इनकार कर दिया। यह बहुरूपिये रंग उनका मुझे समझ में आ गया। जातिवाद को भी उसने सही ठहरा दिया और कह दिया कि मेरे तर्क से जाति को सही ठहराइये तो फिर युवक सहमत हो जायेंगे। हिन्दू धर्म के विध्वंस का सबसे बड़ा कारण जाति है। जाति आधार कर्म था पर आज जन्म मान लिया गया है। जब आप जाति को उचित ठहरायेंगे तो फिर कमजोर और उपेक्षित जातियां हिन्दुओं से घृणा ही करेंगे, हिन्दुओं से दूर ही भागेंगे।
गुजरात दंगे में मुसलमानों का सामना करने वाले अधिकतर लोग दलित और आदिवासी थे। वे दलित और आदिवसी किसी सनातन संस्कार या उत्तम विवाह पद्धति से नहीं निकले थे। आज भी कहीं भी दंगा होता है तो फिर बड़े-बडे विचारक और महलों में रहने वाले लोग सामने नहीं आते हैं, सामने तो गरीब, झुग्गी झोपडि़यों में रहने वाले और कमजोर वर्ग के लोग ही सामने आकर मुकाबला करते हैं।
ये सज्जन उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले हैं। पर इन्होंने गोरखपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों में हिन्दुओं के उत्पीड़न और मुस्लिम हिंसा और मुस्लिम करतूत की कोई जानकारी नहीं दी। इन्हें यह भी नहीं मालूम है कि गोरखपुर और आसपास के सरकारी स्कूलों को इस्लामिक स्कूलों में कैसे बदल दिया गया था। ऐसे मुद्दों पर इनकी कोई सक्रियता या संघर्ष नहीं है। फिर भी ये आईकॉन बने हुए हैं। मार्केटिंग कर रहे हैं। हिन्दू इन्हें नया पुरोधा मान भी रहे हैं।
दिल्ली में मैंने पहले अश्वनी उपाध्याय के संबंध में हिन्दू एक्टविस्टों को मना किया था। दिल्ली के एक्टविस्ट नहीं माने और मुझे ही गालियां बकी और मेरी आलोचना की थी। परिणाम क्या हुआ। अश्वनी उपाध्याय ने हिन्दू एक्टविस्टों को निरोध की तरह प्रयोग किया। कई हिन्दू एक्टविस्ट कई सप्ताह जेलों में रहे, उनका आर्थिक शोषण हुआ, उनका संघर्ष बेकार गया। बहुत मुश्किल से हिन्दू एक्टविस्टों को जेल से जमानत मिली थी।
निसंदेह हिन्दुआंें के बीच जागरूकता आयी है। हिन्दू एक्टविस्ट अपनी जान और अपने परिवार के भविष्य को दांव पर लगा कर हिन्दुओं को बचाने का काम कर रहे हैं पर हिन्दू एक्टविस्ट हिन्दुत्व के नाम पर कुकुरमुते की तरह फैले और सक्रिय बहुरूपिये और अवसरपरस्त लोगों की पहचान करने से चूक जाते हैं। मुस्लिम और ईसाई संगठन हिन्दू एक्टविस्टों को भरमाने के लिए और हिन्दू एक्टविस्टों को असली लड़ाई से भटकाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रपंच और हथकंडे अपना रहे हैं। ईसाई और मुस्लिम संगठन अपने बहुरूपिये और प्रत्यारोपित विचारकों और एक्टविस्टों को हिन्दू संगठनों के बीच घुसपैठ करा रहे हैं।
ऐसे बहरूपिये और प्रत्यारोपित विचारकों से आप सिर्फ इतना पूछ लीजिये कि आपका मोदी राज के पहले हिन्दुत्व के क्षेत्र में क्या योगदान रहा है, आप अपने क्षेत्र में हिन्दुओं की सुरक्षा और उनका संरक्षण में क्या-क्या किया है, आपके क्षेत्र में हिन्दू विरोधी कौन-कौन सी धटनाएं घटी हैं तो वे फिर संतोषजनक उत्तर भी नहीं दे पायेंगे।
मेरा काम है जागरूकता फैलाना और मुस्लिम-ईसाई संगठनों द्वारा हिन्दू संगठनों में बहुरूपिये और गिरगिटों को घुसपैठ कराने की साजिश पर सावधान करना है। मुझे मालूम है कि मेरे इस सावधान लेख पर मुझे तरह-तरह की आलोचना का सामना करना पड़ेगा, मुझे गालियां भी मिलेगी, मुझे अछूत भी घोषित कर दिया जायेगा। फिर भी मैं देशहित-हिन्दूहित में अपनी इस जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता हूं।
जाति तोड़ो
हिन्दू जोड़ो
*आचार्य श्री विष्णुगुप्त*
Mobile ..9315206123
तिथि .. 20 नंवबर 2021