दुश्मनों को देश के अन्दर, कभी नही आने देना।
अपनी आजादी को तुम व्यर्थ नही जाने देना।।
देश की खातिर वीरों अपना, सर्वस्व लुटा देना।
जो भी तुम से लडऩे आये धूल धरा चटा देना।।
देश के दुर्बल लोगों को, तुमको समर्थ बनाना है।
भूले भटके पंथी को, कर्तव्य पथ पर लाना है।।
अपने अन्दर के साहस को, कभी नही सोने देना।
अपनी आजादी को तुम सब व्यर्थ नही जाने देना।।
अराजकता व भ्रष्टाचार ही, दोनो मुख्य फसाद है।
मिटा के इन दोनो की जड़ से लाना शांति राज है।।
भारतीय संस्कृति को, शत्रु को नही खोने देना।
अपनी आजादी को तुम सब व्यर्थ नही जाने देना।।
दीपक की तरह जलता पंथ, सबको अलोकित करना है।
लोगों के मन की फू ट को प्रेम दया से भरना है।।
भारत माता के शीश को, अपमान से झुकने ना देना।
अपनी आजादी को तुम सब व्यर्थ नही जाने देना।।
यहॉ की धरती पर अमृत सम, उज्जवल दुग्ध समीर बहे।
प्राणी मात्र की रक्षा करना, सभी से यह प्रियांक कहे।।
गर देश की रक्षा ना कर पाये नर जीवन धिक्कार है।