भारतवर्ष है देश हमारा, कर रहा विश्व प्रकाशित हमारा।
हिमगिरि जहॉ का श्ीाश मुकुट है, जंगल सारे हरे विकट है।।
शेर चीता अरू दुर्लभ प्राणी, जंगल में करते मनमानी।
नही यहॉ उन्हे कोई डर है, भारत न्यारा देश अमर है।।
गंगा जैसी नदियॉ बहती, बनो निडर यह सब को कहती।
भारत की है न्यारी शान, झंडा तिरंगा इसकी आन।।
शेर, गाय और दुश्मन प्राणी, एक घाट पर पीवे पानी।
जीयों और जीने दो का असर है, भारत न्यारा देश अमर है।।
सभी लोग सदभाव को धारे, वेश हो चाहे न्यारे-न्यारे।
रंग रूप का नही है भेद, एकता जिसकी अखण्ड़ अभेद।।
मुनिजन करते यहां साधना, प्राणी छोडे बैर भावना।
बहता पानी निर्मल निर्झर है, भारत न्यारा देश अमर है।।
सीमा पर जो डटे जवान, देश को कभी ना आवे ऑच।
सर्दी-गर्मी और बरसाते, उंमग है सबको देकर जाते।।