भाजपा आज सत्ता में जरूर है लेकिन देश के सामने जो चुनौतियां उभर कर आ रही है उसका जवाब वह नही दे पा रही है। आप हज़ारों करोड़ लगाकर राम मन्दिर का निर्माण कर रहे हैं ,वहीं कट्टरपन्थी मुसलमान नेता खुलेआम चुनौती दे रहे हैं कि आप हज़ार वर्ष के लिये मन्दिर बना रहे हैं। हम मात्र 20 वर्ष में दिल्ली की संसद दख़ल कर लेंगे। हमारी जनसंख्या 50 प्रतिशत हो जायेगी हमारा प्रधान मन्त्री होगा, हम राम मन्दिर को तोड़ कर फिर से बाबरी मस्जिद बना देंगे। भाजपा के किसी भी नेता के पास मुस्लिम नेताओं की इस प्रकार की बयानबाजी का जवाब देने के लिए हिंदू समाज को यह भरोसा दिलाने के कोई शब्द नहीं है कि वह ऐसा कभी नहीं होने देंगे।
भाजपा के किसी नेता के भीतर ऐसा साहस नहीं है कि वह कह सके कि अब हिंदुस्तान में ऐसा कोई माई का लाल नहीं है जो 20 साल में राम मंदिर को तोड़ सके और फिर से वहां पर बाबरी मस्जिद का निर्माण कर सके।
अपनी बात को स्पष्ट करने से पहले थोड़े से इतिहास के तथ्यों पर विचार करना आवश्यक समझता हूं। भारतीय जनसंघ का गठन 21 अक्तूबर 1951 को हुआ। डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी अध्यक्ष बने प्रोफ़ेसर बलराज मधोक पार्टी के संस्थापक मन्त्री बने तथा जनसंघ का संबिधान प्रो. मधोक ने ही लिखा। 1952 के लोकसभा चुनाव में जनसंघ के 3 लोकसभा सदस्य जीते। सबसे बड़ा ब्लॉक कम्युनिस्टों का था। उनके 29 सदस्य जीते। उसके बाद सोशलिस्ट ब्लॉक 16 सदस्य जीते। श्री मुखर्जी ने जनसंघ के 3 सदस्यों के साथ हिन्दु महासभा के ४ सदस्य, राम राज्य परिषद के ४ सदस्य व निर्दलीय राजा महाराजा के ११ सदस्यों को मिला कर २२ सदस्योंका बड़ा ग्रूप National Democratic Alliance बनाया। आज का जो NDA है यह डॉक्टर मुखर्जी का बनाया हुवा NDA ही तो है।
अभी हाल ही में सम्पन्न हुवए पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में देखने में आया कि ममता ने भाजपा नेताओं को बहिरागत गुजराती गुंडा मोदी गुजराती गुंडा अमित शाह कह कर भाजपा पर हमला किया । भाजपा का १० प्रतिशत से ४० प्रतिशत विस्तार रोक दिया। ममता बनर्जी का यह कहना लोगों को रास आया कि अपना बंगाली समाज ख़तरे में हो जायेगा यदि गुजराती गुंडा मोदी-अमित शाह आ जायेगा। ममता का यह दांव चल गया।
डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंगाल के नेता होते हुए भी भाजपा ममता पर भारी नही हो साक़ी। पश्चिम बंगाल की जनता डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भाजपा का नेता मानती ही नही। वह उन्हें हिन्दु महासभा का नेता मानती है। उन्होंने हिन्दु समाज के लिए बंगाल में जो कार्य किया, वह हिन्दु महासभा के झण्डे के नीचे किया। डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु के बाद दक्षिण कलकत्ता की सीट जनसंघ
नही जीत सकी। पर हिन्दु महासभा के निर्मल चंद्र चटर्जी हिन्दु महासभा के टिकट पर कई बार लोकसभा में पहुँचे। जिस तरह १९५२ में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने NDA जनसंघ,हिन्दु महासभा, राम राज परिषद व राजे महाराजा को लेकर NDA बनाया। १९६७ में प्रो.बलराज मधोक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन जनसंघ के ३७ सांसद. स्वतंत्र पार्टी के ४० व जनसंघ समर्थित निर्दलीय २३ । इस प्रकार कुल एक सौ सांसदों का समूह बनाया।
बंगाल पंजाब आज जो हिंदुस्तान में है वह हिन्दु महासभा की देंन है। भाजपा NDA में हिन्दु महासभा को सामिल करती है तब इसे पश्चिम बंगाल,पंजाब के साथ साथ महाराष्ट्र में बहुत लाभ मिलेगा। क्योंकि महाराष्ट्र में हिन्दु महासभा के सर्वोच्च नेता वीर सावरकर का बहुत सम्मान है। राम मन्दिर की लड़ाई हिन्दु समाज कब का हार जाता, यदि ७० वर्ष तक हिंदू महासभा अपनी कानूनी लड़ाई को सफलतापूर्वक लड़ने में अक्षम रह जाती। आज चाहे जैसी भी स्थिति में यह संगठन है परंतु इसने अपने पूर्वजों के सम्मान को बरकरार रखने में निश्चित रूप से सफलता हासिल की है। राम मंदिर यदि आज अस्तित्व में आ रहा है तो हमें इस संगठन के त्याग, बलिदान और तपस्या को भूलना नहीं चाहिए।
हिंदू महासभा के त्याग, तपस्या और साधना को देखते हुए और पश्चिम बंगाल की वर्तमान स्थिति के दृष्टिगत भाजपा को इस संगठन को अपने एनडीए का एक अंग स्वीकार करना चाहिए। यदि भाजपा ऐसा करती है तो उसका लाभ वह स्वयं भी पश्चिम बंगाल में आगामी लोकसभा चुनाव में ले सकती है। राम राज्य परिषद को NDA में शामिल करने से भाजपा को राजस्थान में लाभ मिलेगा। पटियाला महाराजा को NDA में शामिल करने से भाजपा को पंजाब में बहुत लाभ मिलेगा। मुझे आशा है कि हिन्दु महासभा, रामराज्य परिषद की स्थिति पर ध्यान नही देकर इन्होंने बंगाल पंजाब राजस्थान महाराष्ट्र में जो विशाल योगदान दिया है उसको याद कर इन दलों को NDA में शामिल करने से NDA को लाभ मिलेगा तथा भाजपा ममता पर भारी पड़ेगी उसकी बहिरागत चाल फेल हो जायेगी।