डॉ. शंकर सुवन सिंह
सलमान खुर्शीद ने हिंदुत्व की तुलना कट्टर इस्लामी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट और बोको हरम से कर डाली। सलमान खुर्शीद ने ‘सनराइज ओवर अयोध्या’ नाम की किताब लिखी है। इस किताब पर ही सियासी बवाल मचा हुआ है।
हिंदुत्व शब्द संस्कृत के त्व प्रत्यय से बना है। यह शब्द हिन्दू होने के गुण को चरितार्थ करता है। हिंदुत्व एक विचारधारा है। जीवन जीने की कला ही हिंदुत्व है। सभी धर्म जीवन जीने की पद्धति/नियम बताते हैं। धर्म जीना सिखाता है तो अधर्म मरना। इसलिए कहा जाता है धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो। धर्म की बातें तर्क और बहस से परे होती हैं। धर्म एक रहस्य है। धर्म संवेदना है। धर्म स्वयं की खोज का नाम है। धर्म से आध्यात्मिकता का मार्ग प्रशस्त होता है। सभी धर्मों में, आध्यात्मिक पुरुषों ने अपने अपने तरीके से आत्मज्ञान की प्राप्ति की। ऐसे ही आत्मज्ञानी महापुरुषों ने समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना की। अभी हाल ही में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया।
सलमान खुर्शीद ने हिंदुत्व की तुलना कट्टर इस्लामी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट और बोको हरम से कर डाली। सलमान खुर्शीद ने ‘सनराइज ओवर अयोध्या’ नाम की किताब लिखी है। इस किताब पर ही सियासी बवाल मचा हुआ है। सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब में हिंदुत्व पर निशाना साधा है। सलमान खुर्शीद की किताब के पेज नंबर 113 का चैप्टर है ‘सैफरन स्काई’ यानी भगवा आसमान। इसमें सलमान खुर्शीद लिखते हैं- हिंदुत्व साधु-सन्तों के सनातन और प्राचीन हिंदू धर्म को किनारे लगा रहा है, जो कि हर तरीके से आईएसआईएस और बोको हरम जैसे जिहादी इस्लामी संगठनों जैसा है। मामला थमा नहीं था कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी मैदान में कूद गए। इन्होंने सलमान खुर्शीद का पक्ष लेते हुए हिंदू को हिंदुत्व से अलग बता दिया। राहुल गांधी कहते हैं कि उन्होंने उपनिषद पढ़े हैं, पर उपनिषद में लिखा क्या है वो स्पष्ट नहीं कर पाते। छान्दोग्य उपनिषद और सभी हिन्दू धर्म से सम्बंधित धार्मिक ग्रन्थ को समझने के लिए किसी प्रकांड विद्वान से राहुल गाँधी जी को चीजें समझने की जरूरत है। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने तो हद ही कर दी। इन्होंने जय श्री राम बोलने वालों को निशाचर तक कह डाला। राम शब्द संस्कृत के दो धातुओं रम और घम से बना है। रम का अर्थ है रमना या निहित होना। घम का अर्थ है ब्रह्माण्ड का खाली होना। राम का अर्थ हुआ-चराचर में विराजमान स्वयं ब्रह्म। शास्त्रों में लिखा है- “रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामम उच्चयते” अर्थात् योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते हैं, उसे राम कहते हैं। राशिद अल्वी को राम नाम की महिमा का इतिहास पढ़ना चाहिए। राशिद अल्वी का जय श्री राम पर की गई टिप्पणी उनकी मूर्खता को चरितार्थ करती है।
हिन्दू धर्म में सारे धर्मों का सम्मान है। हिंदू शास्त्र में कहा भी गया है यथा पिंडे तथा ब्रह्माण्डे अर्थात् कण कण में भगवान् व्याप्त है। हिंदुत्व की आधारशिला है जय श्री राम। जय श्री राम का नारा सकारात्मकता, पुरुषार्थ और सहिष्णुता का परिचायक है। भारतीय संस्कृति के वाहक हैं भगवान् श्री राम। भगवान् श्री राम हमारे पुरुषार्थ के प्रतीक हैं। भगवान राम भारतीयों के बल का प्रतीक हैं। संस्कृति संस्कार से बनती है। हमारा संस्कार है कि हम सारे धर्मों का सम्मान करें और अपने धर्म के प्रति अटूट विश्वास रखें। ऐसा प्रतीत होता है कि सलमान खुर्शीद, राशिद अल्वी और राहुल गाँधी ये तीनों वो महापुरुष हैं जो आत्मज्ञान को नहीं बल्कि आत्मवंचन को प्राप्त हुए। अपने धर्म में विश्वास और सभी धर्मों का सम्मान करने वाला व्यक्ति ही असली आत्मज्ञानी होता है।
संस्कृत में एक श्लोक है नायं आत्मा बल हीनें लभ्यः अर्थात् यह आत्मा बलहीनों को नहीं प्राप्त होती है। एक कहावत है जो अपना सम्मान नहीं कर सकता वो दूसरों का क्या करेगा। बिना ज्ञान के हिन्दुओं पर टीका टिप्पणी करना इन तीनों नेताओं को आने वाले चुनाव में भारी पड़ेगा। ये वो लोग हैं जो ठीक से संस्कृत बोल नहीं सकते, लिख नहीं सकते, पढ़ नहीं सकते और बात करते हैं हिंदुत्व की। सृष्टि के विकास और उसके हित में किये जाने वाले सभी कर्म धर्म हैं। प्रकृति से ही मानव है। पूरी सृष्टि प्रकृति की ही देन है। जिन नेताओं को हिंदुत्व की जानकारी न हो, उनको हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार बिल्कुल ही नहीं है। इस समय हर एक नेता अभिनेता की भूमिका में है। कहने का तात्पर्य जिस प्रकार अभिनेता, अभिनय करके किसी भी चरित्र का निर्माण करता है। उसी प्रकार नेता चुनाव आते ही अभिनय की भूमिका में आ जाते हैं। अभिनय नाटक का एक अंग है। नेताओं को गौर से देखें और समझें तो आप पाएंगे कि चुनाव आते ही नेताओं के बोलने का ढंग, चलने का ढंग, बैठने का ढंग, खान-पान का ढंग, लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करने का ढंग, सब कुछ बदल जाता हो जाता है। नेताओं द्वारा हिन्दुओं पर जो टीका टिप्पणी की गई ये उनकी दुर्गति का कारण बनेगी। इन नेताओं ने समाज में विषमता पैदा की है। किसी भी चीज की अति दुर्गति का कारण बनती है। ज्यादा खाना खा लीजिये, खाना पचना बंद हो जाता है। इन नेताओं को अपनी हद में रहना चाहिए। राजनेता को समाज के लिए मार्गदर्शक की भूमिका में होना चाहिए ना कि अभिनय की भूमिका में। लोकतंत्र में लोगों के मतों के द्वारा ही सत्ता का निर्माण होता है। नेताओं को चाहिए कि वो सभी धर्मों का सम्मान करें। अभिनय, अभिमान (घमंड) को जन्म देता है। अभिमान अर्थात् अभी + मान मतलब अपनी ही चलाना (जनता की न सुनना)। ऐसे अभिनेता रूपी नेताओं से जनता त्रस्त है। जनता की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना यह साबित करता हैं कि “जनता त्रस्त है, नेता मस्त हैं”। सामाजिक विषमता पैदा करने वाले नेताओं को जनता परिमाण (वोट की मात्रा) के रूप में जवाब अवश्य देगी।