आखिर पंजाब कांग्रेस में हो क्या रहा है? कभी अमरिंदर सिंह का विरोध, कभी अमरिंदर सिंह की तारीफ, कभी सीएम चन्नी का विरोध, कभी उनकी तारीफ, कभी कांग्रेस के 18 सूत्री एजेंडे का विरोध, कभी 13 सूत्री एजेंडे को लागू करने की मांग, कभी पंजाब मॉडल से सूबे को चमकाने का वादा तो अब पंजाब में गृहयुद्ध की चेतावनी, नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब में कांग्रेस को किस दिशा में हांकना चाह रहे हैं, इसे आम लोग तो क्या कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गजों को भी समझना मुश्किल है।
पंजाब में काम के बदले हर रोज कांग्रेस का नया शिगुफा
पंजाब में चुनाव में बेहद कम वक्त बचा है, लोग कांग्रेस से उसके कामों का हिसाब मांग रहे हैं, इधर कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू वोटरों को भरमाने के लिए हर रोज एक नया शिगुफा छोड़ देते हैं , कई बार तो सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को सिद्धू के बड़बोलेपन पर सफाई देनी पड़ी है। लेकिन सिद्धू पर पंजाब कांग्रेस पर शिकंजा कसने का भूत इस कदर सवार है कि वे बाज आने को तैयार नहीं है।
सीएम चन्नी पर बार-बार निशाना साध रहे सिद्धू
चंद दिनों पहले ही सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने एलान किया था की पंजाब का खजाना भरा है, लोगों की भलाई के कामों के लिए सरकार के पास पैसों की कोई कमी नहीं है। लेकिन सीएम चरणजीत चन्नी के बयानों के उलट सिद्धू एक ही रट लगाकर कर बैठे हैं कि पंजाब कंगाल हो रहा है, पंजाब के लोगों पर साल 2024 तक 4 लाख करोड़ का कर्ज होगा और अगर उनका पंजाब मॉडल लागू नहीं किया गया , तो पंजाब का विकास नहीं हो सकता, पंजाब रहने लायक नहीं रह जाएगा, यहां तक की पंजाब में गृह युद्ध की नौबत भी आ सकती है।
पहले महंगाई का रोना, अब पंजाब पर कर्ज का रोना
सिद्धू ने प्रेस कांफ्रेंस कर पंजाब की आर्थिक स्थिति पर चर्चा की है, सिद्धू ने कहा कि अगर राज्य की आर्थिक स्थिति नहीं सुधरी तो पंजाब में हालात बेकाबू हो सकते हैं सिद्धू ने पहले पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का रोनो रोया, अब कह रहे हैं कि इससे पंजाब पर छह हजार करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ पड़ेगा, सस्ती व मुफ्त बिजली देने पर 3600 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। अब सिद्धू लोगों को ये डर दिखा रहे हैं कि कर्ज का बोझ बढ़ने से पंजाब तरक्की में राह में और पीछे चला जाएगा।
कैसे होगा अन्नदाता का भला, कृषि कानून के खिलाफ प्रस्ताव
नवजोत सिद्धू की मांग के मुताबिक चन्नी सरकार ने पंजाब विधानसभा में मोदी सरकार के कृषि कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास कर दिया है, अब पंजाब जैसे कृषि प्रधान राज्य में लोगों की कमाई कैसे बढ़ेगी, पंजाब का विकास कैसे होगा, इसकी कोई पुख्ता रोडमैन ना तो नवजोत सिंह सिद्धू के पास है और ना ही चन्नी सरकार के पास, ऐसे में सिद्धू पंजाब में आर्थिक बदहाली का रोना रोकर, पिछली सरकारों को कोस रहे हैं, लेकिन लोगों का सवाल है कि कांग्रेस पहले ये बताए कि उसने पंजाब के विकास के लिए क्या किया है और उसके पास भविष्य को लेकर क्या तैयारियां है।
पंजाब में मोदी विरोध के भरोसे कांग्रेस
नवजोत सिद्धू ने कांग्रेस की जान सांसत में डाल रखी है, वे पार्टी के सामने अपनी मांग रखते हैं और हर हाल में उसे मनवाने की जिद पर अड़ जाते हैं , चंद दिनों पहले भी उन्होंने अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस आलाकमान को इस्तीफा भेज दिया था। पंजाब में रिमोट कंट्रोल से चल रही कांग्रेस की सरकार मोदी विरोध के नाम पर वोटों की खेती करने में जुटी है , पंजाब के लोगों के विकास के लिए कांग्रेस का क्या एजेंडा है, पंजाब में नौकरियों के मौके बढ़ें, किसानों को कैसे लाभ पहुंचे, इसके लिए कांग्रेस की चन्नी सरकार के पास कोई रोडमैप नहीं है। पंजाब चुनाव में कांग्रेस की आस बस मोदी विरोध के नाम पर टिकी है।
मोदी विरोध के नाम पर कैसे होगा चुनावी बेड़ा पार
पंजाब विधानसभा में सीमा सुरक्षा बल के अधिकार क्षेत्र और केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास कर दिए गए हैं। पंजाब सरकार इसे ऐतिहासिक फैसला बता रही है।
लेकिन चन्नी सरकार के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि इससे पंजाब के लोगों का किस तरह से फायदा होगा। उल्टा आरोप लग रहे हैं कि चन्नी सरकार के फैसले से पंजाब के लोगों का नुकसान होगा। दरअसल
• कांग्रेस BSF के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के विरोध में खड़ी है
• राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी कांग्रेस राजनीति कर रही है
• मोदी विरोध के नाम पर पंजाब के लोगों का विरोध हो रहा है
• पंजाब के लोगों की सुरक्षा खतर में डालने के आरोप लग रहे हैं
• इससे सूबे में ड्रग माफियाओं को भी बढ़ावा मिल सकता है
• घुसपैठिए और राष्ट्र विरोधी ताकतों इसका फायदा उठा सकती है
कांग्रेस को अपने ही नेताओं पर भरोसा नहीं
पंजाब में कांग्रेस को अपने ही नेताओं पर भरोसा नहीं है, अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद कांग्रेस की स्थिति और भी डांवाडोल है। पंजाब में कांग्रेस अलाकमान पार्टी के ईमानदार कार्यकर्ताओं के साथ खड़ी नहीं दिखती, यही वजह है कि बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल नवजोत सिंह सिद्धू पर भी पार्टी को पूरा भरोसा नहीं है। कांग्रेस ने सिद्धू को पंजाब की कमान तो थमा दी है। लेकिन वे जिस तरह से सरकार के फैसलों पर लगाम कसने की कोशिश करते दिख रहे हैं, उससे चन्नी सरकार का काम करना भी मुश्किल हो रहा है।
सोनिया के सीधे मीडिया में न जाने के निर्देश की फिर धज्जियां
एक बार फिर सिद्धू पुराने तेवर में हैं। सोनिया गांधी के सीधे मीडिया में न जाने के निर्देश को धता बताते हुए सिद्धू ने अपनी भड़ास मीडिया के सामने ही निकाली। उन्होंने पत्रकार वार्ता में सीएम पर सवाल खड़ा किया कि एडवोकेट जनरल एपीएस देवल को कैसे लगाया गया ? जो सरकार के खिलाफ रहा है वो पैरवी कैसे करेगा ? अपनी ही दलील को कैसे ठुकराएगा ? यह कानून सम्मत नहीं है।