आचार्य बालकृष्ण
1.यह 24 घंटे ऑक्सीजन देता है।
2.इसके पत्तों से जो दूध निकलता है उसे आँख में लगाने से आँख का दर्द ठीक हो जाता है।
3.पीपल की ताज़ी डंडी दातून के लिए बहुत अच्छी है।
4.पीपल के ताज़े पत्तों का रस नाक में टपकाने से नकसीर में आराम मिलता है।
5.हाथ -पाँव फटने पर पीपल के पत्तों का रस या दूध लगाए।
6.पीपल की छाल को घिसकर लगाने से फोड़े फुंसी और घाव और जलने से हुए घाव भी ठीक हो जाते है।
7.सांप काटने पर अगर चिकित्सक उपलब्ध ना हो तो पीपल के पत्तों का रस 2-2 चम्मच 3-4 बार पिलायें।विष का प्रभाव कम होगा।
8.इसके फलों का चूर्ण लेने से बांझपन दूर होता है और पौरुष में वृद्धि होती है।
9.पीलिया होने पर इसके 3-4 नए पत्तों के रस का मिश्री मिलाकर शरबत पिलायें।3-5 दिन तक दिन में दो बार दे।
10.कुक्कुर खांसी में छाल का 40 मी ली. काढा दिन में तीन बार पिलाने से लाभ होता है।
11.इसके पके फलों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन करने से हकलाहट दूर होती है और वाणी में सुधार होता है।
12.इसके फलों का चूर्ण और छाल सम भाग में लेने से दमा में लाभ होता है।
13.इसके फल और पत्तों का रस मृदु विरेचक है और बद्धकोष्ठता को दूर करता है।
14.यह रक्त पित्त नाशक , रक्त शोधक , सुजन मिटाने वाला शीतल और रंग निखारने वाला है।