वेदों का पुराना प्रसिद्ध सिद्धांत है,
दंड के बिना कोई सुधरता नहीं है |
आज संसार के लोग बिगड़े हुए दिखाई देते हैं । इसके कारण है कि लोग दंड व्यवस्था को भूल चुके हैं । कुछ ही अपवाद रूप लोगों को छोड़कर शेष सभी लोग दंड व्यवस्था को समझ नहीं रहे । उन्हें ना तो माता पिता के दंड का भय है, न गुरुजनों के, न समाज के, न पंचायत के, और न ही राजा न्यायाधीश आदि के । इसी कारण से लोग बिगड़ रहे हैं, बिगड़ चुके हैं, और बिगड़ते जा रहे हैं । इस कारण आने वाली नई पीढ़ी भी उन्हीं का अनुकरण करते हुए बिगड़ रही है ।
जब तक दंड व्यवस्था ठीक नहीं होगी, तब तक कोई सुधार होने की संभावना नहीं है । इस बिगड़े हुए संसार को देखकर बहुत से लोग चिंता में हैं कि, यह संसार कब सुधरेगा ?
वे लोग संसार के सुधार की बात तो सोचते हैं, परन्तु अपने सुधार की नहीं सोचते । यह भी एक कारण है कि जिससे संसार का सुधार नहीं होता ।
ईश्वर का नियम है कि पहले अपना सुधार करो, फिर आपको सुधरा हुआ देखकर कोई दूसरा भी सुधरने की बात सोचेगा | और यदि उसके संस्कार अच्छे होंगे, उसे दंड व्यवस्था समझ में आ जाएगी, तो वह सुधरेगा, अन्यथा नहीं ।
जो-जो लोग इस चिंता में हैं कि “संसार कब सुधरेगा ?”
उनके लिए मेरे यही दो सुझाव हैं |
पहले ईश्वर की दंड व्यवस्था को स्वयं समझें, और अपना सुधार करें | फिर दूसरों को सुधरने का उपदेश देवें ।
ईश्वर की दंड व्यवस्था इस प्रकार से है । ईश्वर ने दंड देने का अधिकार कुछ मनुष्यों को दे रखा है । माता, पिता, गुरु, आचार्य, पंचायत, राजा या न्यायाधीश, इन सबको अधिकार दे रखा है । तो इनकी दंड व्यवस्था कठोर होनी चाहिए । अपराधी को क्षमा बिल्कुल नहीं करना चाहिए । कठोर दंड देना चाहिए ।
सार्वजनिक और सभी के सामने ही दंड देना चाहिए । रेडियो, दूरदर्शन, समाचार पत्र आदि में उसका जीवन्त प्रसारण (Live Telecast) किया जाना चाहिए । अपराधी को ऐसे दंडित होते देखकर देश के शेष लोगों का भी सुधार हो जायेगा । फिर सुधरे हुए लोगों को देखकर आने वाली नई पीढ़ी का भी सुधार हो जायेगा । यही उपाय है सुधार का । इसके अतिरिक्त और कोई उपाय नहीं है ।
ईश्वर अंधा बहरा नहीं है । वह सब कुछ देखता सुनता समझता है । वह कर्म करते समय मनुष्यों का हाथ नहीं पकड़ता, क्योंकि आत्मा कर्म करने में स्वतंत्र है । इसलिए ईश्वर उसे कर्म करने से नहीं रोकता ।
कर्मफल व्यवस्था में बस समय की प्रतीक्षा है । उचित समय पर वह सब अपराधियों को दंडित करेगा, और सज्जन लोगों को इनाम भी अवश्य देगा । इसलिए ईश्वर को साक्षी मानकर सारे कार्य करें । जैसे गेहूं, चना, ज्वार, बाजरा, आम, केला आदि की फसल अपने सही समय पर प्राप्त होती है, न शीघ्र और न ही विलम्ब से । ऐसे ही कर्मों का फल भी सही समय पर प्राप्त होगा । उसमें जरा भी संशय नहीं रखना चाहिए ।
……. स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, रोजड़, गुजरात ।
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।