(मिसाइल मैन, भारत रत्न एवं पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम जी के निधन पर उनको अश्रुपूर्ण श्रधांजलि देती मेरी ताज़ा रचना)
राष्ट्रभक्ति की परिभाषा का वर्तमान वो नायक था,
सही मायने में जन गण मन का वो ही अधिनायक था,
देकर कई सौगात देश से अनुपम नाता जोड़ गया
वर्ष तिरासी में हँस्ते हँस्ते वो दुनिया छोड़ गया
जैसे उसकी साँस थमी तो मानो विपदा टूट पड़ी,
और करोड़ों आँखों से अविरल अश्रु धारा फूट पड़ी
मात्रभूमि का प्रहरी माँ पे जान लुटाने वाला था,
पृथ्वी अग्नि नाग सरीखी मिसाइल बनाने वाला था,
जाति धर्म और मजहब की बातों से जो दूर रहा,
सदा सदा जो देशप्रेम के एक नशे में चूर रहा,
ऊँची नयी उड़ाने भरने वाला मस्त विहंगम था,
गंगा जमुनी संस्कृति का एक अनोखा संगम था,
हिन्दू मुस्लिम से बढकर उसे देश बस प्यारा था,
इसीलिए तो आज करोड़ों आँखों का वो तारा था,
छोटी आँखों के अंदर वो बड़ी उमंगे रखता था,
घुंघराले बालों में मानो जलधि तरंगे रखता था,
सौम्य शील स्वभाव श्रजन जिसने सर्वोपरी कर डाला,
भारत को जिसने अमरीका की टक्कर में धर डाला,
सीखो शरीयत वालो कैसा देशभक्त ये नामी था,
मैं कहता हूँ ये ‘कलाम‘ ही सच्चा इस्लामी था,
ईद दीवाली वाली लगती अब तो मेल चली गयी,
अशफाकउल्ला खां पीढ़ी की अंतिम बेल चली गयी,
अब तो लगता बस ओवेशी मूसा आजम आयेंगे,
हाफिज साजिद दाऊद मेमन बस इस्लाम लजायेंगे,
गर दिल कलाम सा पावन है तब मैं कहाँ पराया हूँ,
मुझे फक्र है मैं अब्दुल कलाम के युग का जाया हूँ,
ऐसे होंगे सब मोमिन तो हँसकर गले लगाऊँगा,
एक नहीं, दो चार नहीं, सौ सौ इफ्तार कराऊँगा,
कवि- ‘चेतन‘ नितिन खरे
महोबा, उ.प्र.