देश को अपने झूठ की भांग पिलाने, अफीम चटाने में जुटे धूर्त ध्यान दें।
कल धनतेरस के पर्व पर राजधानी लखनऊ के बाजारों में 100 करोड़ रुपये का मिष्ठान्न और लगभग 100 करोड़ के ही ड्राई फ्रूट बिके। बाजार में कुल लगभग 2 हजार करोड़ रुपयों की बिक्री कल हुई। यह तो आंकड़ा लगभग 50 लाख की जनसंख्या वाली राजधानी लखनऊ का है। जो आज के अखबारों में छपा है।
दूसरा आंकड़ा परसों का है, जो बता रहा था कि केवल अक्टूबर माह में जीएसटी कलेक्शन ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और 1.30 लाख करोड़ रूपए से अधिक रहा है।
एक तीसरा आंकड़ा और जान लीजिए। पूरे वित्तीय वर्ष 2013-14 के 12 महीनों में कॉरपोरेट टैक्स 3.95 लाख करोड़ रूपये तथा इनकम टैक्स 2.43 लाख करोड़ रूपये जमा हुआ था। जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों में ही, 22 सितंबर 2021 तक 3.59 लाख करोड़ रूपये का कॉरपोरेट टैक्स तथा 2.87 लाख करोड़ रूपये का पर्सनल इनकम टैक्स जमा हो चुका है। 2013-14 की तुलना में यह लगभग दोगुनी अधिक राशि है। यह स्थिति तब है जबकि 2013-14 की तुलना में 2021-22 तक कॉरपोरेट टैक्स और इनकम टैक्स की दरों में मोदी सरकार भारी कमी कर चुकी है।
अब उपरोक्त तीन आंकड़ों को ध्यान में रखिए और याद करिए उस लुटियन राग को जिसे हकले, टकले, डेढ़ फिटी और बकरा कट दाढ़ी वाले खान मार्केट छाप अजब गजब अर्थशास्त्री लगातार अलापते रहे हैं और आज भी अलाप रहे हैं। वो देश को यही भांग पिलाने, अफीम चटाने में जुटे हैं कि 2014 तक देश की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत थी लेकिन मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को तबाह बरबाद कर दिया है। लोग कंगाल बेहाल बदहाल भुखमरी का शिकार हो गए हैं। सच क्या है यह ऊपर के तीन आंकड़ें बता रहे हैं। लेकिन खान मार्केट छाप अर्थशास्त्रियों के इस धूर्त राग पर प्रचंड मूर्ख लेकिन गजब के धूर्त मोदीविरोधी नेता, लुटियनिया दलाल पत्रकार भी पिछले कई वर्षों से झूम झूमकर नागिन डांस कर रहे हैं।
अंत में एक तथ्य और जान लीजिए। मार्च 2017 में उत्तरप्रदेश में बेरोजगारी की दर 17.50 प्रतिशत थी। आज यह 5-6 प्रतिशत के बीच है। अर्थात तीन गुनी से अधिक कम। ऐसा क्यों हुआ यह भी समझ लीजिए। मार्च 2012 में अखिलेश यादव ने जब सत्ता संभाली थी तब उत्तरप्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम इकाइयां (MSME) की संख्या 43 लाख थी। अखिलेश ने 5 साल बाद मार्च 2017 में जब सत्ता छोड़ी तो MSME की संख्या लगभग 58 लाख थी। आज मुख्यमंत्री योगी के पांचवे वर्ष के कार्यकाल में यह संख्या 1.4 करोड़ तक पहुंच रही है। यानि सपा सरकार में 15 लाख MSME बढ़ी थीं। योगी सरकार में 82 लाख MSME बढ़ी हैं।
उत्तरप्रदेश सरीखे विशाल राज्य से संबंधित केवल यह एक तथ्य देश में भयानक बेरोजगारी का हुड़दंग कर रहे राजनीतिक, मीडियाई हुड़दंगियों के हुड़दंग की धज्जियां उड़ा देता है।