राजीव चौधरी
भारत में जब-जब अपराध की बात आती है, तो सारे मोलवी, मोलाना क सवर में कहते है की सारे अपराध ख़तम करने है तो शरियत कानून लाग करो तब मेरे मन में क विचार आता है। कि बहत पहले हमारेमोहलले में साईकल पर क चूरन बेचने वाला आता था। जो हर मरज का इलाज अपने चूरन दवारा ठीक होने का दावा करता था। पेट में गैस हो या दांत का दरद,बदहजमी हो और तो और आंखो की रोशनी बढाने का भी दावा करता था। वो सिरफ दावा करता में सच कहता हू,, कि भारत में अधूरा शरियत कानून लागू कयों, इसे या तो पूरण रप से लागू करो या फिर बिलकल समापत! कारण भारत में मसलमानों के लिये विवाह,विरासत,और वकफ संमपतति से जूडे मूसलमानों के अधिकांश मामले मसलिम कानून शरियत के दवारानियंतरित होते है। और अदालतो से ये कानून पारित है कि मसलमानो को अपने वयकतिगत मामलों में भारतीय संविधान की अपेकषा अपने इसलामिक कानून को अधिक परधानता होगी। मतलब क शादी करो या चार। दो बचचे पैदा करो या दस भारत का संविधान आपको नही रोकेगा! आप कभी भी किसी औरत से शादी कर सकते है,और फिर कभी भी तीन बार तलाक,तलाक,तलाक कह कर उसकी छूटटी कर सकते है। साफ बात यह कि वयकतिगत जीवन का आनंद समे जाने वाले सभी सोतर खले रखने के शरियत कानून की जररत भारतीय मसलमानो को है किनत जब चोरी जैसे अपराध में शरियत के मताबिक हाथ कटने की बात आती तो ये शरियत को भूल भारतीय संविधान में आसथा जताते है।
वैसे तो भारत में कई और भी अलपसंखयक धरम है पर इसलाम क सा मजहब है जिसका मसलिम परसनल ला जैसा खद का कानून है,जो कि शरियत पर आधारित है और अपूरण लागू है। यदि भारत में मसलमानो के लिये भारत में शरियत कानून लागू कर देते है,तब कया होगा,यह जानने के लिये हमें जाना होगा उततर परदेश के मजफफरनगर मे केस था ससर दवारा अपनी पतरवधू इमराना,का बलातकार। इमराना नाम की क महिला का बलातकार ससर ने कर दिया जिसकी शिकायत इमराना ने अपने शोहर से की पर उसने पिता को कछ ना कहा। फिर इमराना के माइके वालो के हसतकषेप के बाद पंचायत बलाई गयी जिसने शरियत के तहत फैसला सनाया कि अब इमराना को अपने पति को तलाक देकर अपने ससर से निकाह करना करना पडेगा और अपने पति को अपना बेटा मानना पडेगा। विचार करने की बात तो यह है कि इस ककृतय पर दारल उलूम जिसे अरबी में जञान का घर कहते है उसने भी मोहर इस पर लगा दी की इमराना अब अपने पति की मां है और उसे अब तलाक देना पडेगा। में यहां आपको बता दू कि यह विवाह नही था, बलातकार जैसा धिनोना ककृतय था। जिस पर ये इसलामिक फेसला सनाया गया हालाकि इस इसलामिक फैसले से आहत इमराना ने नयाय के लिये भारतीय संविधान का सहारा लिया और दोषी को जेल भिजवाया। पर यहां कई परशन खडे रह गये कि कया शरियत के मताबिक यह इंसाफ था?शरियत के कानून के हिसाब से तो बलातकार के दोषी को सजा– मौत दी जाती है। वो भी बंद दरवाजो के पीछे नहीं बलकि सारवजनिक सथान पर सरेआम सर कलम किया जाता है। लेकिन दारल उलूम व मौलवी जानते है कि शरियत की आड में महिलाओ का शोषण कर मजहब के बहाने कई शादिया कर अपनी वासनाओं की पूरती कर बचचे पैदा करना है, लेकिन इस घटना करम से व अनय अपराधो को देखकर में चाहता हू भारत में मसलमानों के शरियत लिये पूरण रप से लागू हो कया चोरी करने के आरोप में हाथ काट दिये जाये,कयों ना संबध रखने पर पतथरो से मार-मार कर मौत की सजा होनी चाहिये,शरियत के अनसार मसलिम महिला वोट नहीं डाल सकती,कार सकूटी नही चला सकती। परष का अपमान करने पर 70 कोडो की सजा का परावधान है। और राषटर दरोह के मामले में सर कलम करने की सजा का परावधान है। अभी हाल ही सउदी अरब के अनदर डरग समगलिंक के दो दोषियों को चोराहे के बीच सर कलम कर दिया गया। कयों ना भारत में भी इनके मजहब के अनसार सजा का परावधान हो शरियत के अनसार तो हज यातरा पर मिलने वाली छूट भी हराम है। कयों भारत सरकार हर साल परतियातरी ४७४५४ रपये अनदान देती है? मेरी किसी मजहब विषेश से कोई इरषया दवेष नही बस कहने का तातपरय इतना है या तो सरकार कोई भी कानून या तो पूरण रप से लागू करे या फिर बिलकल खतम करे!! अब या तो सिविल कोड लाग करे या इनके लि शरियत कानून