हिन्दु धर्म बचाने को हर घर से शिवाजी निकलेगा — इंजीनियर श्याम सुन्दर पोद्दार,वरिष्ठ उपाध्यक्ष, अखिल भारत हिन्दु महासभा
———————————————हिंदुस्तान में रहने वाले मुसलमानो के दिल में एक भयंकर टीस है। मुसलमानो के ६०० वर्ष के हिंदुस्तान के शासन के बावजूद सिर्फ़ २३ प्रतिशत हिन्दू ही मुसलमान बन सके ७७ प्रतिशत काफिर हिन्दू हिन्दू ही रहे। जबकि मात्र १०० वर्षों के इस्लामी शासन में ही मिश्र,ईरान, इराक़, आदि का पुराना धर्म, संस्कृति आदि समाप्त हो गई व पूरा का पूरा राष्ट्र इस्लामिक राष्ट्र में बदल गया। इस बार हमें मौक़ा मिला है बिना लड़ें ही सिर्फ़ हमारी औरतों की योनि को शस्त्र की तरह ब्यवहार करके अधिक से अधिक बच्चे पैदा कर के मुसलमानो की जनसंख्या बढ़ानी है। जिससे एक दिन हिंदुस्तान को हम इस्लामिक राज्य में आसानी से बदल सके। बड़े दुःख के साथ इस्लामिक जगत के अंतरराष्ट्रीय कवि हाली ने हिंदुस्तान में इस्लाम की इस विफलता पर बहुत ही दुखी शब्दों भरी कविता लिखी क्योंकि यहा के हिन्दू वीरों ने इस्लाम का राज्य उनसे छीना ही नही मोहम्मद गोरी का अफगानिस्तान भी जीत लिया।
इस्लाम के लिए यह एक शर्मनाक बात थी। कवि हाली ने लिखा :-
”दिने हज़ाजी का बेबाक़ बेड़ा,
किये पार जिसने सातों समन्दर,
जो जेहू में अटका ना केहु में अटका,
वह जाके गंगा के दहाने में डूबा।”
हमारे परम वीर महाराणा प्रताप ने अकबर से अपने खोये ३२ क़िले अपने जीते जी जीत लिए। बचे २ उनके पुत्र अमर सिंह ने जीत लिए। मुग़लों की प्रथम पराजय की शुरुआत महाराणा प्रताप ने कर दीं। शिवाजी महाराज ने औरंगज़ेब के जीते जी हिन्दु पद पादशाही की प्रतिष्ठा की। इसके पश्चात तो मराठा विजय का सिलसिला ऐसा चला कि दो तिहाई मुग़ल साम्राज्य मराठों के अधीन हो गया।मुग़लों का बाक़ी बचा हुआ राज्य महाराजा रणजीत सिंह ने जीत लिया। महाराजा रणजीत सिंह ने मोहम्मद गोरी का अफगनिस्तान भी जीत लिया।
मुग़लों का सिक्का दिल्ली में सिर्फ़ लाल कीलें से क़ुतुब तक सिमट कर चलने लगा। दिल्ली में अपना राज्य मुग़ल मराठों की दया से करते थे । इसके लिए मुग़ल मराठों को टैक्स चुकाते थे इस्लामिक कवि हाली ने हिंदुस्तान के वीर महाराणा प्रताप,शिवाजी महाराज,महाराजा रणजीत सिंह को तो समझ लिया पर इस्लामी आक्रमणकारी हिंदुस्तान में हिन्दुओं का २३ प्रतिशत ही धर्मांतरन6 कर पाये, ७७ प्रतिशत हिन्दू समाज इस्लामिक अत्याचारों के बावजूद हिन्दु बना रहा। इसका एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि यहाँ की हिन्दु महिलाओं ने इस्लाम धर्म के विस्तार के लिये उनके जेहादियों को प्रोत्साहित करने के लिये ‘ माले -ग़नीमत’ की व्यवस्था है। जिसमें पराजित काफिरों के स्त्रियाँ-बच्चे मालेग़नीमत हैं। इस लूट के माल का २० प्रतिशत ख़लीफ़ा यानी राजा को प्राप्त होता है। बचा ८०
प्रतिशत जेहादियों को मिल जाता है। हिन्दु महिलाओं ने जीने के लिये जेहादियों की मालेग़नीमत माँग के आगे आत्मसमर्पण नही करके अग्निस्नान कर “ जौहर व्रत (सामूहिक रूप से अग्निं स्नान में होने पर) या “ सती व्रत “का पालन कर अपने शरीर की आहुति दे दी थी। जेहादियों को युद्ध की समाप्ति पर मालेग़नीमत के रूप में काफिर हिंदुओं की स्त्रियाँ नही मिलतीं तो वे निराश हो जाते।
हमें गर्व है कि हम उस हिन्दू माँ की संतान हैं जिन्होंने जेहादियो की माले ग़नीमत माँग को स्वीकार कर जीवन जीने के बजाय अग्निस्नान कर अपने प्राणो की आहुति दी व विशाल हिन्दू समाज द्वारा ‘सती’सम्मान से सम्मानित की गई।
सुहरावर्दी कलकत्ता से नोवाखाली भागा :
सुहरावर्दी ने १६ अगस्त १९४७ के कलकत्ते के २४ में से २२ थानों में मुस्लिम पुलिस अधिकारियों को चार्ज दे दिया । बाक़ी दो में अंग्रेज अधिकारी थे।१६ अगस्त १९४६ डायरेक्ट ऐक्शन डे के नाम पर हिन्दुओं का नरसंहार आरम्भ हो गया। दूसरे दिन कलकत्ता पुलिस के स्पेशल पुलिस के उच्च अधिकारी, सुभाष बाबु के विश्वसनीय फॉरवर्ड ब्लॉक के अन्यतम संस्थापक बाल किशन पोद्दार ने मुस्लिम इलाक़े में फँसे हज़ारों हिन्दुओं को सुरक्षित स्थान में पहुँचाया । गोपाल पाठा ने हिन्दु युवकों को इकट्ठा किया तथा तीसरे दिन हिन्दुओं की तरफ़ से ज़बरदस्त आक्रमण आरम्भ हुआ। हिन्दु बहुसंख्यक कलकत्ता में मुस्लिम जब मारें जाने लगे तो सुहरावर्दी ने डायरेक्ट ऐक्शन बन्द कर दिया।
ब्रिटिश सरकार ने स्पेशल पुलिस आफ़िसर बाल कृष्ण पोद्दार के अद्वितीय कार्य करने के लिए कलकत्ता पुलिस के सर्वोच्च सम्मान “Star of Calcutta”से सम्मानित किया। कलकत्ता में असफल होने पर सुहरावर्दी ने नोवाखाली का चयन इस लिए किया क्योंकि नोवाख़ाली में मुसलमानो की आबादी ८० प्रतिशत थी। २० प्रतिशत आबादी वाले हिन्दु कही मुस्लिम अक्रांताओं के सामने ठहर ही नही सकते थे। नोवाख़ाली में हिन्दु नर संहार दो महीने चला। सुहरावर्दी ने एक बार कहा था कि मुझे आश्चर्य होता है कि कैसे बाल किशन पोद्दार मेरी माद में घुसकर हिन्दुओं को बचा कर ले जाता और हम हाथ मलते रह जाते। कलकत्ते की मार सुहरावर्दी कभी भूल नही पाया।
जिन्ना भी सावरकर की मार कभी भूल नही पाया। जिन्ना को मुस्लिम बहुसंख्यक राज्य के नाम पर पंजाब व बंगाल का पूरा राज्य मिल चुका था। किन्तु सावरकर ने राज्य की बहुसंख्या के आधार पर पाकिस्तान को दिये जाने का प्रतिवाद किया Iज़िलों में बहुसंख्या के आधार पंजाब व बंगाल के विभाजन के लिए पंजाब व बंगाल में ऐसा जनआंदोलन खड़ा कर दिया कि माउंटबेटन बंगाल का हिन्दु बहुल क्षेत्र भारत को देने को बाध्य हुआ। पंजाब का सिख हिन्दु बहुल क्षेत्र भारत को देने को बाध्य हुआ सावरकर जिन्ना के मुँह में चले गये पंजाब व बंगाल के 40 प्रतिशत हिन्दु बहुल क्षेत्र को जिन्ना से भारत के लिये छीन लाये थे ।
लोकसभा में हिन्दुमहासभा के डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू से कहा कि कांग्रेस ने देश का विभाजन कर पाकिस्तान बनाया। हिन्दु महासभा ने पाकिस्तान का विभाजन करके पश्चिम बंगाल व पूर्वी पंजाब बनाया विभाजन पर AJ kamra की पुस्तक में पृष्ठ १६४ पर बिस्फोटक जानकारी मिली वह उसी पुस्तक से उन्ही के लिखे शब्दों को लिख रहां हु। “The Hindus who lived in
West Pakistan Areas will never forget or forgive the Muslims of Uttar Pradesh and also the students of ignominious Aligarh Muslim University.For it is they who incited the Muslim masses in these otherwise peaceful regions into mob frenzy with their concocted tales of attrocities perpetrated on the Muslims in rest of the country by Hindus. By raising slogan that Islam was in danger and Muslims in the whole Country faced annihilation,these treacherous and educated Muslims of Uttar Pradesh,with their hatred of Hindus,of Hindu religion and culture, let loose the most devastating genocide on
Himdus. Any other Country would dismantled such a crime-filled university whose every brick had been cemented with the blood of innocent Hindus.” Those Muslim Criminals who had gone to Pakistan to organise Hindu genocide they were in number almost a million.From
the book “Not wanted in Pakistan page 9 Khushwant Singh gleefully writes about appeasement of Muslims”almost a million Muslims who had fled in the wake of the killings came back never to leave Indian soil again” नेहरू सरकार ने पाकिस्तान को हिन्दुओं के नरसंहार करने की घटना पर पूर्णतया रोक लगा दी थी उसने यह व्यवस्था कर दी थी कि प्रेस सेंसर शिप ऐक्ट के साथ पाकिस्तान में घटी घटना पर कुछ भी लिखा तो ज़बरदस्त जुर्माना भरना पड़ता था। जुर्माने के डर से भारत के समाचार पत्रों में पाकिस्तान में क्या हो रहा है कुछ भी नही छपता ? पंडित नाथूराम गोडसे जो अग्रणी समाचार पत्र के सम्पादक थे उनके अग्रणी समाचार पत्र पर पाकिस्तान में चल रहे हिंदुओं के नरसंहार पर अग्रणी में प्रतिवाद स्वरूप सम्पादकीय लिखा। महाराष्ट्र की मोरारजी देसाई सरकार ने उनके समाचार पत्र अग्रणी पर बहुत अधिक जुर्माना लगा दिया। इस अन्याय की शिकायत करने गृह मन्त्री सरदार पटेल से मिलने दिल्ली आये थे ना कि गाँधी का वध करने दिल्ली आये थे।
२०११ में भारत की जनगणना के आँकड़े जब देश के सामने आये कि १९४७ से २०११ के बीच हिन्दु- सिखों की जनसंख्या तीन गुणा बढ़ गई है, वहीं मुस्लिम समाज की आबादी ६ गुणा बढ़ गई है तो मैंने स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए यह अनुभव किया कि मुस्लिम नेताओं का जनसंख्या बढ़ाने के पीछे एक ही उद्देश्य है कि किसी तरह जनसंख्या तेज़ी से बढ़ा कर अपने को बहुसंख्यक बनाया जाए और फिर लोकतांत्रिक रास्ते से सरकार बनाकर भारत को इस्लामिक राष्ट्र में बदल कर हिन्दु धर्म को सदा सदा के लिये ख़त्म कर दिया जाए।
मैंने एक लेख लिखा “भारत सरकार,क्या देश को गुजरात बनाना चाहती है ?”उस लेख में मैंने अन्त में लिखा “अपने अस्तित्व की रक्षा के लिये हम हिन्दु युवक सारे भारत को गुजरात बना देंगे” मैं आशा करता था डॉक्टर मनमोहन सिंह कुछ कदम उठायेंगे। पर कदम उठाना तो दूर मनमोहन सिंह ने लेख प्राप्ति की सूचना भी नही भेजी। सम्पूर्ण भारत में एकमात्र गुजरात के मुख्य मन्त्री आज के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अवश्य एक सुन्दर पत्र भेजा।
जिन्ना के नए अवतार ओवैसी को मैंने जून महीने में २०१९ युगवार्ता में उनके नाम से प्रकाशित सन्देश को साथ भेज़ा। वे ग़लतफ़हमी में हैं कि हिन्दु समाज वही पुराना समाज है। हिन्दु समाज मुस्लिम समाज के बारे में क्या सोचता है, वह जानकारी इनको मालूम हो जाए। मैंने हिन्दु महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता की हैशियत से यह लिखा,”यदि आप चाहते हैं कि हमारी अगली पीढ़ी भविष्य में आप से सहयोग करे तो आप उस तरह का ही ब्यवहार करें और अपने लिए पाकिस्तान से भारत में ज़मीन लेकर आइये। देश का बँटवारा करवाने और अपना हिस्सा पा जाने के बाद आपके हिस्से की ज़मीन पाकिस्तान में है,भारत में नही। उसके उत्तर ना देने पर मैंने महसूस किया कि ओवैसी यह समझ रहा है कि हिंदुस्तान इस्लामिक देश बन गया है। और वे प्रधान मन्त्री बन गये हैं। वह हमारे पितातुल्य संघ प्रमुख डॉक्टर मोहन भागवत जी का अपमान कर रहा है। मैंने हिन्दु समाज का इनके समाज के हाथों इतने ज़ख्मों को पा जाने के बाद भी ज़मीन लाकर साथ रहने की बात इसलिए कही थी कि सावरकर जी ने हिन्दु महासभा की सदस्यता भारत में जन्मे धर्म में पैदा होने वालों के लिए बनाई है। कोई भी व्यक्ति अपने पुराने धर्म से धर्म परिवर्तन करने वाला हिन्दु महासभा की सदस्यता पा सकता है। उसे सिर्फ़ यह लिखना है कि मेरे पूर्वज हिन्दु थे। जो सच्चाई भी है।ओवैसी के इस अभद्र ब्यवहार से मैंने समझ लिया है।अब नया निर्णय लिया है कि ज़मीन ये लायेंगे नही। इनसे अनुरोध है कि आप एक व्यवस्था बनाये ताकि बँटवारें का एक unfished agenda है। पाकिस्तान ने तो पाकिस्तान को हिंदू विहीन कर दिया। ओवैसी आप एक मेकनिज़म बनाइए ,ताकि शांति से जनसंख्या की अदला बदली हो जाये, अन्यथा जैसा जिन्ना ने नोवाखाली मॉडल की तरह किया , हम गुजरात मॉडल की तरह करेंगे।
जब ओवैसी 155 का संकेत देते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का अपमान कर रहे थे तो उस समय यह समझ लेना चाहिए था कि उन्होंने ऐसा करके अनेकों देशवासियों का मन तोड़ा है । तुर्की ओवैसी अब ये समझ लो कि जब हिन्दु महासभा के अध्यक्ष वीर सावरकर व संघ संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार वरिष्ठ उपाध्यक्ष थे तो वे भाई-भाई की तरह संगठन का काम करते थे । हिन्दु महासभा का आज का प्रत्येक सदस्य संघ प्रमुख को पितातुल्य समझता है। यदिभविष्य में फिर तुमने संघ प्रमुख का अपमान करने की हिम्मत की तो उसका अंजाम बड़ा भयंकर होगा । आज की हिन्दु महासभा का हर नौजवान सदस्य शिवाजी है , तुम्हारी जीभ खींच लाएगा। तुर्की दो कोड़ी के आदमी ओवैसी कान खोल कर सुन ले “हर घर से शिवाजी निकलेगा हिन्दु धर्म बचाने को, गली मुहल्ले नुक्कड़ पर केशरिया ध्वजा फहराएगा”और”हर घर से शिवाजी निकलेगा हिन्दु धर्म बचाने को,पाकिस्तानी जल्लादों को पाकिस्तान पहुँचायेगा “मोहम्मद गोरी हो या हर कोई मुस्लिम आक्रमणकारी ने हिन्दु समाज की गो माता के प्रति दुर्बलता का लाभ उठा कर पृथ्वीराज चौहान से लेकर सब हिन्दु राजाओं से युद्ध जीता अपनी बहादुरी से नही। हिन्दु समाज की इस दुर्बलता को समाप्त करने के लिए वीर सावरकर जी का संदेश था हिन्दु गाय का पालन करे, पूजन नही।