राजशेखर चौबे
देश में तालिबान राज नहीं है अतः नेता में नेत्री और अभिनेता में अभिनेत्री भी शामिल है। नेता जन्मजात अभिनेता होता है। नेता और अभिनेता में एक समानता यह है कि दोनों ही अपनी नालायक औलादों को लायक समझते हैं और उसे नेता या अभिनेता ही बनाना चाहते हैं। यदि औलाद में कुछ डिफेक्ट भी है तो भी उसे डेंटिंग, पेंटिंग व रिपेयर कर जनता की अदालत में पेश कर दिया जाता है। यहां डिफेक्टिव पीस की भी अच्छी खपत है। नेता और अभिनेता, दोनों ही भीतर से कुछ और होते हैं परंतु बाहर से कुछ और नजर आते हैं। दोनों को ही मेकअप मैन या वुमैन की दरकार होती है ताकि उनका ग्लैमर बरकरार रहे। भूखे दोनों हैं, अभिनेता नोट का और नेता वोट का भूखा होता है। साथ ही दोनों प्रचार के भी भूखे होते हैं। कभी-कभी यह फैसला करना कठिन हो जाता है कि अमुक व्यक्ति अच्छा नेता है या अच्छा अभिनेता।
अभिनेता खराब अभिनय के बाद भी सफल होता है और नेता खराब काम के बाद भी सफल हो जाता है। अभिनेता का परफॉर्मेंस अभिनय पर नहीं ग्लैमर पर निर्भर होता है, नेता का परफॉर्मेंस काम पर नहीं प्रचार पर निर्भर होता है। नेता यदि चुपचाप काम करे और प्रचार न करे तो वह असफल नेता है और यदि वह केवल बात व प्रचार करे परंतु काम न करे तो वह सफल नेता है। नेता के लिए प्रचार-प्रसार का उतना ही महत्व है, जितना कि कार के लिए पेट्रोल का, बेरोजगार के लिए रोजगार का, प्रजातंत्र के लिए वोट का और तालिबान के लिए एके-47 का है। इसी तरह अभिनेता उत्तम अभिनय करे और फिल्म का प्रचार न करे तो वह असफल होगा और यदि वह खराब अभिनय करे पर फिल्म का प्रचार-प्रसार करे तो वह सफल होगा।
अभिनेता को अभिनय न आए चलेगा, नेता को अभिनय न आए नहीं चलेगा। देशभक्ति की एक्टिंग करने वाले नेताओं की डिमांड हमेशा होती है। अभिनेता को अच्छे अभिनय पर नोट मिलता है और नेता को अच्छे अभिनय पर वोट मिलता है। अभिनेता नोट के सहारे वोट भी पा जाता है और फिल्म पुरस्कारों का भी जुगाड़ कर लेता है। इसी तरह नेता भी वोट के सहारे मंत्री पद का जुगाड़ कर लेता है। नेता नोट के बदले मंत्री पद को तरजीह देते हैं और उनकी जनता की सेवा करने की तमन्ना पूरी हो जाती है। इस तरह साल में तेरह महीने इनकी दसों उंगलियां घी में डूबी रहती हैं। आप इनमें से क्या बनना पसंद करेंगे, नेता या अभिनेता। खैर, आप जो भी बनें परंतु आप अपनी लायक(?) औलाद को भी उसी राह पर ले जाएंगे, है कि नहीं?