स्वतंत्रता दिवस के साथ नेहरू का षड्यंत्र —श्याम सुन्दर पोद्दार ———————————
————२५ नवम्बर १९४९ ई. को संविधान सभा में मसौदे को अन्तिम स्वरूप देते हुवे डॉक्टर बाबा साहेब अम्बेडकर जी ने कहा था कि ‘ दिनाँक २६ जनवरी १९५० ई. को हिन्दुस्थान एक स्वतंत्र देश होगा’(संसद सभा चर्चा खण्ड ११ व प्रष्ठ ९७७से) १४ अगस्त १९४७ को पाकिस्तान स्वतंत्र हुआ परन्तु शेष भारत गवर्नर जेनरल माउंटबेटन अधिकार में रहा। इसलिए, लॉ कमीशन की रिपोर्ट के क़्र.५ में स्वीकृत किया गया है कि ‘४०८ ब्रिटिश स्टैचूएऐट जारी रहेगा तथा indian conciquential जेनरल ऐक्ट की धारा ३६६-३७२ में स्पष्ट रूप में यह माना गया है क़ि,भारत में पूर्ववत् ब्रिटिश विधान जारी रहेगा।’।
डॉक्टर अम्बेडकर की संविधान के अंतिम मसौदे को स्वीकृति प्रदान करते समय उपरोक्त घोषणा से साफ़ साफ़ ज़ाहिर होता है हमारा देश भारत २६ जनवरी १९५० के दिन स्वतंत्र हुआ था। मतलब १५ अगस्त को भारत स्वतंत्र नही हुआ था। उस दिन भारत का विभाजन करके एक नया स्वाधीन पाकिस्तान का जन्म हुआ था। जिसका स्वतंत्रता दिवस १४ तारीख़ १९४७ दिन में सम्पन्न हुआ। उसी दिन की समाप्ति पर रात्रि १२ बजे यानी १५ अगस्त १९४७ खण्डित भारत जन्म लेता चुकी नव निर्मित पाकिस्तान एक स्वतंत्र राष्ट्र है, इसलिए पाकिस्तान का गवर्नर जनरल जिन्ना बना। वहीं ब्रिटिश उपनिवेश खण्डित भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंट बना।
पाकिस्तान की तरह एक हिंदुस्तानी नही बना,किंतु हिंदुस्तान १५ अगस्त १९४७ से २६ फ़रवरी १९५० तक ब्रिटिश उपनिवेश रहा। १५ अगस्त से एक लम्बे समय तक राष्ट्रपति भवन में लॉर्ड माउंटबेटन रहे । रास्ट्रपति भवन पर तिरंगा के बजाए ब्रिटिश झंडा यूनियन जैक लगा रहा। इसका मतलब यह हुआ कि १५अगस्त १९४७ वास्तव में देश का विभाजन दिवस था ना कि स्वतंत्रता दिवस था।
यदि सच लिखा जाता कि १५ अगस्त १९४७ देश विभाजन दिवस है तो लोग कांग्रेस को जूता मारते। इससे कांग्रेस को बचाने के लिए नेहरू ने षड्यंत्र करके विभाजन दिवस को स्वतंत्रता दिवस बना दिया और २६ जनवरी१९५० को गणतंत्र दिवस बना दिया। १५ अगस्त १९४७ को स्वतंत्रता दिवस है, गाँधी को राष्ट्रपिता बना दिया। उसके जन्म दिन को राष्ट्रीय अवकाश का दिन बना दिया। गाँधी का देश को विभाजन करने के अलावा स्वाधीन करने के लिए कोई योगदान नही है।
दूसरा उससे बड़ा जघन्य अवदान हैं जिन्ना ने गाँधी को स्पष्ट चेतावनी दी थी कि हमारे इस्लामिक पाकिस्तान का उद्देश्य व्यर्थ हो जायेगा यदि हिन्दु वहाँ रहेंगे, तब जनसंख्या की अदला बदली की एक व्यवस्था बनाई जाए ताकि शांतिपूर्वक जनसंख्या की अदला बदली सम्पन्न हो जायें। पर गाँधी ने भविष्य का चुनाव जीतने के लिए जिन्ना की इस धमकी को अस्वीकार करके २० लाख से अधिक हिन्दुओं का नरसंहार होने दिया व पाकिस्तान बनाने वाले मुसलमानों को भारत में रख लिया ताकि वे कॉंग्रेस का वोट बैंक बन कर कांग्रेस को जिताते रहे।
सरकार को २६ जनवरी १९५० को देश का स्वतंत्रता दिवस व १५ अगस्त १९४७ विभाजन दिवस में सुधार करना चाहिए। RTI ने एक उत्तर में साफ़ साफ़ कह दिया है गाँधी राष्ट्रपिता नही है, न ही कोई सरकार यह कर सकती है। भारत का संविधान इस की इजाज़त नही देता है । नेहरू स्वतंत्रता आन्दोलन के समय “Gandhi is India,India is Gandhi”गाँधी के बारे में कितनी गिरी बात कहकर भारत माता का अपमान करते थे।५००० वर्ष पुरानी संस्कृति वाले भारत को गाँधी राष्ट्रपिता के सम्मान से सम्मानित कर ५००० वर्ष पुराने राष्ट्र जो भारत नाम से जाना जाता है जो महाराजा भरत के नाम पर पड़ा। गाँधी को पिछले दरवाज़े से राष्ट्रपिता बनाने के लिए उसके जन्म दिन के अलावा नोट पर उसकी फ़ोटो लगायी गयीं। हर सप्ताह जो विदेशी राष्ट्राध्यक्ष भारत पधारते हैं उनको राजघाट लेकर ज़ाया जाता है ताकि भारत की भोली भाली जनता समझती रहे कि गाँधी राष्ट्रपिता है।
१५अगस्त को प्रधानमन्त्री को लाल क़िले पर तिरंगा फहराने के पहले राजघाट जाना पड़ता है, ताकि लोग समझते रहें कि गाँधी राष्ट्रपिता है। भारत सरकार को पिछले दरवाज़े से गाँधी को राष्ट्रपिता बनाने वाली प्रत्येक व्यवस्था अविलम्ब बंद करनी चाहिए। कांग्रेस से निकाले जाने पर सुभाष बाबु को लोग प्यार से नेताजी कहते थे। रबीन्द्रनाथ टेगोर ने सुभाष बाबु को रास्ट्रनायक कह कर आदेश दिया कि तुम राष्ट्र को स्वतंत्र कराओ। सुभाष बाबु ने देश को स्वतंत्र करा कर राष्ट्र नायक का धर्म निभाया। सरकार को देश को स्वाधीन कराने वाले तीन नायकों देशनायक सुभाष,हिन्दु महासभा के सावरकर व जापान हिन्दु महासभा के रासबिहारी बोस को उचित सम्मान देना चाहिए। देश का विभाजन कराने वाले गाँधी के असली चेहरे से भारत की जनता को अवगत कराना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी धोखा नही खा सके।