महर्षि दयानंदार्ष गुरुकुल संस्कृत महाविद्यालय राजघाट नरोरा का वार्षिक सम्मेलन संपन्न

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नरोरा । (अजय कुमार आर्य) यहां स्थित महर्षि दयानंद आर्ष गुरुकुल ब्रह्म आश्रम संस्कृत महाविद्यालय राजघाट नरौरा का वार्षिक सम्मेलन विगत 18,19 व 20 अक्टूबर को संपन्न हो गया । इस अवसर पर रोग निवारक महायज्ञ 14 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक संपन्न किया गया । कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए कार्यक्रम के संयोजक संचालक आचार्य योगेश शास्त्री ने बताया कि इस कार्यक्रम में आर्य जगत के अनेकों विद्वान, कवि, भजनोपदेशक उपस्थित हुए। जिन्होंने वेदों और वैदिक संस्कृति के गूढ़ अर्थों और संदर्भों को प्रस्तुत कर लोगों का मार्गदर्शन किया।
   उन्होंने बताया कि 18 अक्टूबर को मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित हुए अंतर्राष्ट्रीय आर्य विद्यापीठ के महासचिव डॉ राकेश कुमार आर्य ने 1857 की क्रांति से लेकर 1947 के बीच के काल में आर्य समाज के द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में किए गए उल्लेखनीय योगदान पर प्रकाश डाला। जिसमें डॉ आर्य ने कहा कि 18 57 की क्रांति में महर्षि दयानंद उनके गुरु ब्रजानंद जी महाराज और ब्रजानंद जी के गुरु पूर्णानंद जी व उनके  भी गुरु उपस्थित रहे थे । स्वामी श्रद्धानंद तक आते-आते अनेकों आर्य समाजी वीर योद्धाओं ने देश की आजादी में अपना सक्रिय योगदान दिया। जिसके चलते देश आजाद हुआ। उन्होंने इतिहास की घटनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महर्षि दयानंद को अंग्रेजों, मुसलमानों और उन सभी लोगों ने मिलकर मरवाया था जिनके विरुद्ध स्वामी दयानंद जी उस समय क्रांति का बिगुल बजा रहे थे या उनकी वेद ग्रुप व्यवस्था और मान्यताओं का विरोध कर रहे थे।
   डॉ आर्य ने अपने ओजस्वी वक्तव्य में कहा कि महर्षि दयानंद ने 18 57 की क्रांति के समय रानी लक्ष्मीबाई को आर्थिक सहयोग दिया था और मेरठ से क्रांति का शुभारंभ करने के लिए धन सिंह कोतवाल को भी प्रेरित किया था । इतना ही नहीं उन्होंने अनेकों राजाओं को भी क्रांति के माध्यम से देश को आजाद कराने के लिए प्रेरित किया था।
आर्य समाज के सुप्रसिद्ध विद्वान डॉ कपिल मलिक ने भी अपने ओजस्वी वक्तव्य में आर्य समाज के क्रांतिकारी आंदोलन पर प्रकाश डाला और बताया कि महर्षि दयानंद के क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित होकर ही देश का क्रांतिकारी आंदोलन सक्रिय और बलिदानी परंपरा को निभाते हुए देश को आजाद कराने में सफल हुआ था। अपने भजनों के माध्यम से प्रसिद्ध भजनोपदेशक पंडित अजय आर्य ने भी लोगों का ओजस्विता के साथ मार्गदर्शन किया और अनेकों देशभक्ति के गीत सुना कर माहौल को देशभक्ति से परिपूर्ण कर दिया।
  कार्यक्रम के संचालक आचार्य योगेश शास्त्री ने बताया कि तीनों दिनों के कार्यक्रम में स्वदेश आर्य, सुनहरी लाल वर्मा ‘तुरंत’, श्रीमती मनीषा सक्सेना , डॉ भोला सिंह सांसद बुलंदशहर,  सांसद डॉ संजीव चौरसिया का भी मार्गदर्शन लोगों को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में गुरुकुल के कुलपति आचार्य चंद्र देव शास्त्री ने भी अपने विचार व्यक्त किए । जबकि रामावतार आर्य प्रबंधक, आचार्य सोमपाल शास्त्री प्राचार्य द्वारा लोगों का आभार व्यक्त किया गया।

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