‘खालिस्तान’ की नई साजिश
जिस समय दिल्ली के लाल किले पर तथाकथित किसानों ने जाकर खालिस्तानी झंडा लहराया था उसी समय यह स्पष्ट हो गया था कि यह आंदोलन देश विरोधी शक्तियों के हाथों में चला गया है। धीरे धीरे उस घटना को देश के विपक्ष ने भुलाने का प्रयास किया । विपक्ष के इस प्रयास के चलते खालिस्तानी आतंकवादी और भी अधिक सक्रिय होते चले गए। उसी का परिणाम है कि अब सिख फॉर जस्टिस’ नाम के एक संगठन ने भारत का खालिस्तानी नक्शा जारी किया है। इसमें न सिर्फ पंजाब बल्कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान, उत्तर प्रदेश के कई जिलों को खालिस्तान का हिस्सा दिखाया गया है। सिख फॉर जस्टिस अमेरिका का एक संगठन है जो भारत से पंजाब को अलग करके खालिस्तान बनाने की मांग का समर्थक है।
संगठन का मुखिया प्रतिबंधित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू है। भारत ने एक गैर-कानूनी संगठन के रूप में सिख फॉर जस्टिस पर 2019 में बैन लगा दिया था। खालिस्तान बनाने के लिए 2019 में ‘पंजाब स्वतंत्रता जनमत संग्रह’ के लिए अभियान शुरू करने के बाद यह प्रतिबंध लगाया गया था। संगठन की ओर से जारी नक्शे में पीला हिस्से को सिख राष्ट्र खालिस्तान बताया गया है।
दावा किया जा रहा है कि भारत के इन हिस्सों को काटकर खालिस्तान का निर्माण किया जाएगा। इसमें राजस्थान के बुंदी और कोटा जैसे जिले और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से लेकर सीतापुर तक कई जिलों को शामिल किया गया है। संगठन का मुखिया पन्नू उन 9 लोगों में शमिल है, जिन्हें केंद्र सरकार ने गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत आतंकवादी घोषित किया है।
पंजाब पुलिस ने खालिस्तान समर्थक प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस के संस्थापक पन्नू और उसके साथियों के खिलाफ पिछले साल देशद्रोह एवं अलगाववाद के दो अलग-अलग मामले दर्ज किए थे। अमृतसर में पन्नू पर भारतीय संविधान एवं राष्ट्रीय ध्वज जलाने तथा दूसरों को भी ऐसा करने के लिए उकसाने के आरोप में ये मामले दर्ज कराए गए थे। इसमें कहा गया था कि वीडियो में पन्नू समूचे सिख समुदाय के लोगों को जनमत संग्रह 2020 के पक्ष में और भारतीय संविधान के खिलाफ उकसाता दिख रहा है।
अब केंद्र सरकार को अधिक देर तक इंतजार नहीं करना चाहिए। इंतजार की घड़ियों को समाप्त कर खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ भी अब कठोर कार्रवाई करने का समय आ गया है। बड़ी मुश्किल से हिंदू और सिखों के बीच सद्भावना का जो नया माहौल बना था उसे बिगाड़ने की इजाजत किसी को नहीं दी जानी चाहिए। वैसे भी पंजाब की गुरु परंपरा देश की रक्षा के लिए ही स्थापित की गई थी। गुरु परंपरा की उस महान विरासत को सजाने, संवारने और संजोने का दायित्व इस समय केंद्र की मोदी सरकार पर है। देखते हैं मोदी सरकार इस अग्नि परीक्षा में कितनी सफल होती है?