पुस्तक समीक्षा : ‘साये अपने -अपने’
‘साये अपने -अपने’ पुस्तक के लेखक श्री राजकुमार निजात हैं। निजात जी के द्वारा यह पुस्तक उपन्यास रूप में युवा वर्ग के लिए विशेष रूप से लिखी गई है। लेखक श्री राजकुमार निजात साहित्य की प्रत्येक विधा में लिखने में कुशल हैं। इस पुस्तक का प्रथम प्रकाशन 1985 में हुआ था।
इस उपन्यास में विमल ,विवेक सिन्हा और स्मिता विशेष पात्र हैं। इस पुस्तक के विषय में लाजपतराय गर्ग जी उचित ही लिखते हैं -”विवेक और विमल का सह मित्र प्रवीण सक्रिय भूमिका न निभाते हुए भी भारत के संस्कारों में पला, मिलने में शिष्ट, मृदुभाषी और जीवन से संघर्ष करने वाला व्यक्ति था। प्रमुख नारी पात्रों में स्मिता नारायणन व मनीषा में से स्मिता का कुछ झुकाव विमल की तरफ होता है । क्योंकि बर्नार्ड शॉ का साहित्य उन दोनों के बीच सेतु बनता है। किंतु उनकी नियति का पूर्वाभास स्मिता के इन शब्दों में छिपा है – ‘जो वह फ़िल्म देखते हुए विमल से कहती है – कभी-कभी ऐसा होता है विमल, आदमी जीवन में संघर्ष कहीं करता है, जीवन कहीं गुजारता है, बोता कोई है, काटने दूसरा आ जाता है।
मिल बंद होने के बाद संपर्क अधिकारी विमल विवश होकर अपने शहर वापस आकर व्यवसायी बन जाता है । विमल द्वारा रिक्त हुआ स्मिता का हृदय सिन्हा के बहुआयामी व्यक्तित्व की सेवा में प्रवृत्त हो जाता है। मनीषा भी सिन्हा को बहुत चाहती है। लेकिन दोनों की चाहत बिल्कुल अलग किस्म की है। जहां मनीषा सिन्हा के बाहरी व्यक्तित्व से प्रभावित होती हैं, वहीं स्मिता उसके भीतरी गुणों से प्रभावित होती है। विमल की मन:स्थिति से अनभिज्ञ सिन्हा –‘लड़की के सानिध्य में जाने से हमारी साधना टूट जाती है। हम स्त्री को नहीं छू सकते। कहने वाला सिन्हा सुष्मिता की सेवा से उसे अपनाने का मन बना लेता है। क्योंकि इसमें एक महिला होने के साथ-साथ एक पत्नी बनने के सभी गुण हैं। विमल भी बिना अपनी भावनाओं का प्रदर्शन किए सिन्हा को आगे बढ़ने के लिए राय देता है।
उपन्यास की अंतिम पंक्तियां दृष्टव्य है। – ‘चाय का घूंट भरते हुए विमल ने देखा -जैसे स्मिता सिन्हा के साए पर मंडरा रही है और सिन्हा का साया उस चाय में विलीन हो रहा है, लेकिन उन दोनों भाइयों में विमल का साया नहीं था।”
इस उपन्यास के प्रकाशक साहित्यागार , धामाणी मार्केट की गली, चौड़ा रास्ता, जयपुर – 302003 हैं। पुस्तक प्राप्ति के लिए 0141 – 2310785, 4022382 पर संपर्क किया जा सकता है। पुस्तक की कुल पृष्ठ संख्या 138 है और पुस्तक का मूल्य ₹200 है। पुस्तक प्राप्ति के लिए लेखक डॉ राजकुमार निजात जी से 9017529760 मोबाइल नंबर पर भी संपर्क किया जा सकता है।
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत
मुख्य संपादक, उगता भारत