आज का वैदिक भजन
दिल में ही प्रभु जब रहते हैं
मन्दिर की जरूरत क्या होगी
निराकार बताया वेदों ने
फिर उसकी मूरत क्या होगी
नादान हैं जमाने वाले भी
जो भोग लगाते ईश्वर को
दुनिया को खिलाता है उसको
भिक्षा की जरूरत क्या होगी
जो पहले से ही पास तेरे
फिर उसको बुलाना कैसा रे
बहरे तो नहीं भगवान् तेरे
घण्टी की जरूरत क्या होगी
ये चाँद और सूरज बना दिए
दुनिया को रोशन करते हैं
दुनिया को रोशन कर दे उसे
दीपक की जरूरत क्या होगी
है “ओमस्वरूप” नाम जिसका
दृष्टि में वह केवल एक ही है
रचनाकार व स्वर :- पूज्य श्री ओम स्वरूप जी