लालू, नीतीश को ‘मोदी भय’
कहते हैं कि राजनीति में कोई किसी का स्थाई मित्र या शत्रु नही होता। इसका कारण यह है कि राजनीति कभी-कभी एक ऐसा ‘महाशत्रु’ खड़ा कर देती है जिसके सामने लोहा लेने वाला व्यक्ति अपने आपको बहुत ‘बौना’ समझने लगता है। तब वह अपना आकार बढ़ाने के लिए अपने अन्य ‘शत्रुओं’ से हाथ मिलाता है, अर्थात एक और एक मिलाकर ग्यारह बनाता है। यह अलग बात है कि मन में अपने साथ दूसरे को मिलाने वाला भी और मिलने वाला भी दोनों एक दूसरे के प्रति फिर भी शत्रु बने रहते हैं। इसलिए राजनीति में स्थायी मित्रता नही होती। जहां स्थायी मित्रता नही वहां स्थायी शत्रुता भी कैसे रह सकती है? इसी को लोग कह देते हैं कि राजनीति में कभी किसी की स्थायी शत्रुता यह मित्रता नही होती।
कुछ ऐसी ही बातें अब बिहार की राजनीति में देखने को मिल रही हैं। गरमाई हुई बिहार की राजनीति में अब भाजपा नेता गिरिराज सिंह मुखर हुए हैं। बिहार चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव व नीतीश के संबंधों में आई मधुरता पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा है कि ये भाई कब से हो गए?… नरेंद्र मोदी के डर से सब एक हो रहे हैं…
भाजपा नेता गिरिराज सिंह का यह बयान बिहार में महागठबंधन के शब्द वापसी अभियान के शुरु होने से कुछ देर पहले आया है। मुख्यमंत्री आवास पर सीएम नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू यादव और कांग्रेस की सांझा प्रेस कांफ्रेन्स है जिसमें शब्द वापसी अभियान की घोषणा की जाएगी। इसको लेकर बीते मंगलवार नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार के 50 लाख लोगों के ब्लड सैंपल दिल्ली भेजे जाएंगे जिसकी पीएम मोदी जांच करा लें। यह सच है कि नीतीश और लालू इस समय मोदी के भय से त्रस्त हैं। उन्होंने दिल्ली में सारे विपक्ष द्वारा केजरीवाल की मदद किये जाने से दिल्ली में आपकी सरकार बनते देखी है। इसलिए डर को छिपाते हुए दोनों इज्जत बचाने के लिए मित्र के भेष में शत्रु बनकर बिहार में चुनाव लड़ रहे हैं। -देवेन्द्रसिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।