लाल किले वाली घटना से लेकर अब तक कितने ही असंवैधानिक और अवैधानिक कार्यों को अंजाम देता जा रहा किसान आंदोलन अब पूरी तरह बेलगाम हो चुका है। मुगलिया काल की यातना पूर्ण घटनाओं की याद दिलाते हुए सिंघु बॉर्डर पर एक 35 वर्ष के युवक के साथ जो कुछ भी तथाकथित किसानों ने किया है वह देश के कानून और नैतिकता दोनों की दृष्टि में ही अक्षम्य अपराध है। जो हाथ अभी तक गेहूं आदि की फसल काटने के लिए चलते रहे थे वे अब लोगों का गला काटने के लिए चल रहे हैं। इसके उपरांत भी देश की शासन व्यवस्था में बैठे लोग सारे अनैतिक और बर्बरतापूर्ण कार्यों को होने दे रहे हैं। यह देखकर बहुत दुख होता है। निश्चित रूप से इस समय ऐसे नृशंसतापूर्ण कार्य करने वाले लोगों और उन्हें समर्थन देने वाले या आश्रय देने वाले लोगों के विरुद्ध भी कठोर कार्रवाई करने का समय आ गया है। मोदी सरकार को अपनी 56 इंची छाती दिखाते हुए इन फर्जी किसानों और आतंकवादियों का सफाया करने के लिए अब कमर कसनी चाहिए।
एक लोकतांत्रिक देश में किसी भी नागरिक के साथ मुगलिया काल के नृशंसता पूर्ण कार्यों की अनुमति नहीं दी जा सकती। जिन लोगों ने भी ऐसा कार्य किया है उन्होंने देश की व्यवस्था को चुनौती दी है। वैसे भी यह लोग आम रास्तों के बीच में पक्के निर्माण करके और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा दिए गए निर्देशों का मखौल उड़ाकर पहले ही देश के निजाम को चुनौती दे चुके हैं। जिस पर चुप्पी साधना अब उनके आपराधिक कृत्यों और गतिविधियों को और भी अधिक प्रोत्साहित करने जैसा होगा।
जानकारी के अनुसार मारे गए युवक का एक हाथ काटकर शव को बैरिकेड से लटका दिया गया। सिंघु बॉर्डर पर कुंडली एरिया में कथित तौर पर निहंगों ने एक युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी। इतना ही नहीं हत्या के बाद मृतक का एक हाथ भी काट दिया गया। कहा जा रहा है कि निहंगों ने गुरु ग्रंथ साहिब से छेड़छाड़ के आरोप पर उस युवक की हत्या कर दी थी। युवक की बेरहमी से हत्या की घटना से सनसनी फैल गई है।
किसान आंदोलन पर बैठे किसानों के तथाकथित नेता ‘काले कानूनों’ को हटाने की मांग कर रहे हैं। माना कि इन तथाकथित किसानों का किन्हीं तथाकथित काले कानूनों में कोई विश्वास नहीं है, परंतु इसके उपरांत भी वह देश के अन्य कानूनों में तो विश्वास रखते ही हैं। वह जिन कानूनों में विश्वास रखते हैं उनके विरुद्ध काले कारनामे करके कौन सा देशभक्ति का कार्य कर रहे हैं ? – अब उन्हें यह भी स्पष्ट कर देना चाहिए। देश में अराजकता की स्थिति पैदा करके यह लोग देश को अस्थिर कर रहे हैं । जिससे कानून व्यवस्था का प्रश्न देश में गंभीर होता जा रहा है। देश के आम नागरिकों का इन लोगों के प्रति अब क्रोध और आक्रोश भी बढ़ता जा रहा है । लोग इन तथाकथित किसान नेताओं से दु:खी हो चुके हैं। यहां तक कि किसानों वर्ग भी इन नेताओं के साथ खड़ा दिखाई नहीं दे रहा है। आंदोलन जितना ही हिंसक और आपराधिक प्रवृत्ति का बनता जा रहा है उतना ही देश के लिए एक चुनौती भी बन रहा है।
युवक की लाश मिलने के बाद सिंघु बॉर्डर पर जमकर हंगामा शुरू हो गया था। मृतक शख्स की उम्र 35 के आसपास बताई जा रही है। युवक के शरीर पर धारदार हथियार के निशाने होने की भी बात कही जा रही है। भारी हंगामे के बीच पुलिस ने उस लाश को नीचे उतारा और सिविल अस्पताल लेकर गई। देश की आम जनता अब इन तथाकथित किसान नेताओं से प्रश्न कर रही है कि जो हाथ गेहूं आदि की फसल काटने के लिए चलते थे वे अब वे लोगों के गले क्यों काट रहे हैं ?
हमारा मानना है कि इस घटना का तात्कालिक कारण चाहे जो हो परंतु इतना सही है कि जो कुछ भी हुआ है वह कानून को अपने हाथ में लेकर हुआ है। कानून को अपने हाथ में लेने वालों को कानून के द्वारा कठोर सजा मिलनी चाहिए। इसके लिए देश के सभी वर्गों, संप्रदायों के लोगों को एक सुर से सरकार से यह मांग करनी चाहिए कि अब इस तथाकथित फर्जी किसान आंदोलन से भी छुटकारा दिलाकर लोगों की भावनाओं का सम्मान किया जाए। यदि इस आंदोलन को और अधिक छूट दी गई या दिया गया तो निश्चय ही यह देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बन सकता है।
मुख्य संपादक, उगता भारत