दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बच्चों में देशभक्ति का जज्बा पैदा करने के लिए ‘देशभक्ति पाठ्यक्रम’ की शुरुआत की है। इसके तहत स्वतंत्रता सेनानी से लेकर सामाजिक आंदोलनों से जुड़े लोगों के बारे में पढ़ाया जाएगा। इससे बच्चों को देशभक्ति के मायने समझाने के साथ उनसे प्रेरणा मिलेगी। लेकिन केजरीवाल बच्चों के हाथों में उल्टा तिरंगा पकड़ा कर देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें बच्चे उल्टा तिरंगा पकड़े हुए दिखाई दे रहे हैं।
देशभक्ति की आड़ में विज्ञापनों पर खर्च
अब सवाल उठ रहे हैं कि जब केजरीवाल सरकार बच्चों को सही तरीक से झंडा पकड़ना नहीं सीखा रही है, तो देशभक्ति का पाठ कैसे पढ़ाएंगी? लोगों का कहना है कि केजरीवाल सरकार का मकसद बच्चों को देशभक्ति सिखाना नहीं है, बल्कि जनता का पैसा विज्ञापनों पर खर्च करना है। बच्चे देशभक्ति सीखे या नहीं सीखे, लेकिन केजरीवाल को पब्लिसिटी करने और अपना चेहरा चमकाने का पूरा मौका मिलेगा।
अराजकता फ़ैलाने एवं भ्रमित करने में विशेषज्ञ अरविन्द केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल निरंतर समय-समय पर जिस तरह से राष्ट्रीय राजधानी में पैनिक क्रिएट करने के प्रयास करते हैं वो पैटर्न ध्यान से ऑब्जर्व करने की आवश्यकता है।
कोयले की कमी का झूठ
अभी हाल का उदाहरण तो कोयले की कमी के झूठ का है जहां केजरीवाल ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कोयला समाप्त होने का झूठ बोला, जबकि 2019 में इसी केजरीवाल की सरकार ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट का जानकारी दी थी कि दिल्ली सरकार ने कोयले से बिजली उत्पादन पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है।
विचारिये जब दिल्ली सरकार के अनुसार दिल्ली में पूरी तरह से कोयले से बिजली उत्पादन ही प्रतिबंधित है, तो फिर दिल्ली के प्लांट में कोयले की कमी कैसे हो सकती है ?
जेएनयू में कश्मीर की आजादी और देश विरोधी नारे लगाने वालों का समर्थन
जेएनयू में 9 फरवरी, 2016 को अफजल गुरु पर एक सभा का आयोजन किया गया। अफजल को संसद हमला मामले में 2013 में फांसी दे दी गई थी। इस सभा में देश-विरोधी नारों में कश्मीर की आजादी के नारे लगे। जब इन नारों का विरोध करने के लिए छात्रों का एक गुट सामने आया तो स्थिति बिगड़ गई और पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी। इस पूरे घटनाक्रम में केजरीवाल ने उन छात्रों का साथ दिया जो कश्मीर की आजादी और देश के टुकड़े होने के नारे लगा रहे थे। केजरीवाल के लिए बोलने की आजादी का महत्व देश की एकता और अखंडता से कहीं अधिक था। इन छात्रों का साथ देते हुए 12 फरवरी को उन्होंने एक ट्वीट किया।
इससे साफ पता चलता है कि विरोध के लिए केजरीवाल देश विरोधी शक्तियों का भी साथ दे सकते हैं। केजरीवाल से ही मिलता-जुलता ट्वीट भारत के मोस्ट वाटेंड आतंकवादी हाफिज सईद ने भी किया। एक आतंकवादी और केजरीवाल की जुबान में कोई फर्क नहीं दिखता।
तथाकथित किसान आंदोलन को समर्थन
इसी वर्ष 26 जनवरी पर जब खालिस्तानी आतंकियों ने दिल्ली में हिंसा आगजनी उत्पाद का नंगा नाच किया था, लाल किले पर चढ़ाई कर दी थी और सैकड़ों पुलिसकर्मियों की जान लेने का प्रयास किया था, उसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने बॉर्डर से इन खालिस्तानी की बिजली पानी की व्यवस्थाएं काट दी थी, किंतु यही केजरीवाल की सरकार ही थी जिसने खालिस्तानीयों के तंबू बंबू को टेंपरेरी टॉयलेट और बिजली पानी की व्यवस्था करके दी, जिससे कि वे दिल्ली के बोर्डरों पर जमे रहे अराजक स्थिति दिल्ली में बनी रहे स्थानीय निवासी परेशान होते रहे, यात्री कई किलोमीटर लंबे रास्ते से आए जाए उनका समय और तेल बर्बाद हो और व्यापारियों को धंधा चौपट रहे।
वेक्सीनेशन पर फैलाया झूठ
किंतु बात यहीं समाप्त नहीं होती याद कीजिए अब से कुछ समय पूर्व वैक्सीनेशन के समय भी केजरीवाल ने झूठ फैलाया था कि दिल्ली में वैक्सीन समाप्त हो गई है जबकि ऐसा कुछ नहीं था, उससे पूर्व केजरीवाल ने दिल्ली में कोरोना की दूसरी प्रचंड लहर के समय दिल्ली में मेडिकल ऑक्सीजन समाप्त होने का रोना रोया, और दिल्ली की आवश्यकता अनुरूप मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध होने के बावजूद कई गुना अधिक मेडिकल ऑक्सीजन की मांग रख की जा रही थी।
ऑक्सीजन की कमी का झूठ फैलाकर जनता की जान जोखिम में डाली
केंद्र ने भी स्थिति को गंभीर समझते हुए अन्य राज्यों को दी जा रही ऑक्सीजन में से एक बड़ा हिस्सा काटकर दिल्ली को उपलब्ध कराया, जो इस धूर्त केजरीवाल की सरकार ने रिसीव भी नहीं किया और वह ऑक्सीजन से भरे हुए दर्जनों टैंकर ऐसे ही खड़े रहे और यह धूर्त बार-बार मीडिया में ऑक्सीजन समाप्त होने का विलाप करता रहा, और उसके बाद जैसे ही केंद्र सरकार ने दिल्ली का ऑक्सीजन ऑडिट कराने की बात कही, तो तुरंत ही केजरीवाल द्वारा की जा रही ऑक्सीजन की डिमांड और तथाकथित ऑक्सीजन की कमी अचानक समाप्त हो गई, लेकिन ऑक्सीजन ऑडिट किए जाने के केंद्र सरकार के निर्णय ने केजरीवाल सरकार ही नहीं, समस्त मोदी विरोधियों को चारों खाने चित कर दिया था, हस्पतालों के बाहर ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे मरीज भी पता नहीं कहाँ गायब हो गए। परंतु इसका परिणाम यह हुआ कि कई अन्य राज्यों में गंभीर रूप से बीमार लोगों को समय पर मेडिकल ऑक्सीजन नहीं मिल सकी क्योंकि दिल्ली का धूर्त केजरीवाल एक सुनियोजित नौटंकी के अंतर्गत देश में अधिकाधिक लोगों को मेडिकल ऑक्सीजन से वंचित रखना चाहता था।
देश जब करोना की घातक चपेट में था तो इसी केजरीवाल ने दिल्ली में रह रहे प्रवासी मजदूरों के बीच पैनिक फ़ैलाया झूठ बोला कि उन्हें उनके राज्यों में ले जाने के लिए बसें तैनात की गई हैं, मजदूर पैदल चलता रहा, किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गयी।
नागरिकता संशोधक कानून के विरोध में शाहीन बाग को समर्थन कर जनता को परेशान किया
इससे पूर्व जब दिल्ली में शाहीन बाग का जेहादी खेल चल रहा था तब भी केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने खुलकर कट्टर इस्लामिक जिहादियों का समर्थन किया था केजरीवाल की सरकार के मंत्री अमानतुल्लाह खान और संजय सिंह प्रतिदिन इन जिहादियों के मजमे के बीच बैठे देखे पाए जाते थे, और जब उन जिहादियों ने दिल्ली में हिंदुओं का नरसंहार किया, चाकू से गोद गोदकर हिंदुओं के शव नाले में डालने शुरू किए, छोटी बच्चियों को बीच सड़क निर्वस्त्र किया और उनकी अस्मिता से खेलना शुरू किया, हिंदुओं के घर दुकानों में आगजनी की, पेट्रोल बमों से हमले किये, उनके ऊपर तेजाब उड़ेला उनके घरों में पेट्रोल बम से हमला किया बड़े-बड़े गुलेलों द्वारा बड़े-बड़े पत्थर बरसाए, तो उसका सूत्रधार भी इसी अरविंद केजरीवाल की पार्टी का पार्षद ताहिर हुसैन निकला, इसके घर में छापा पड़ा तो पता चला कि कई लड़कियों के फ़टे अंतर्वस्त्र, तेजाब की कई बोतलें, पेट्रोल बम, ईट पत्थर का जखीरा और बड़ी-बड़ी गुलेलें बरामद हुई।
उरी हमले पर देशविरोधी बोल
इसके पूर्व जब भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की तो भी इसी केजरीवाल ने भारत के एक्शन पर संदेह व्यक्त कर पाकिस्तान का समर्थन किया था और इसी धूर्त के बयान का हवाला देकर पाकिस्तान के विदेश मंत्री पाकिस्तान के अम्बेसडर और उनके प्रधानमंत्री ने अपने संसद में भारत विरोधी प्रोपेगेंडा रचा था।
पुलवामा हमले को तो केजरीवाल ने दिल्ली की विधानसभा में खड़े होकर भारत सरकार द्वारा अंजाम दिया गया हिट जॉब ही बता दिया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उस हमले का आरोप लगाते हुए पूछा था कि “एक चुनाव जीतने के लिए कितने सैनिक मरवाओगे?”
18 सितम्बर, 2016 को सुबह 4 बजे बारामूला में उरी के 12 वीं ब्रिगेड के मुख्यालय पर आतंकवादियों के आत्मघाती हमले में 17 जवान मारे गये और 19 जवान घायल हुए। पाकिस्तान की इस कायरतापूर्ण हरकत की जहां देशवासी और दुनियाभर के लोग निंदा कर रहे थे, वहीं केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाक को अलग-थलग करने की नीति की धज्जियां उड़ाने के मूड में राष्ट्रविरोधी वक्तव्य देने से भी नहीं चूके। केजरीवाल के लिए विरोध का मतलब विरोध होता है चाहे उसके लिए किसी भी हद तक उतर जाना पड़े। केजरीवाल ने एक अखबार के उस लेख का हवाला देते हुए 27 सितम्बर, 2016 को ट्विटर पर लिखा कि पाकिस्तान नहीं भारत आतंकवाद के मुद्दे पर अलग पड़ता जा रहा है। इस ट्वीट को लेकर पाकिस्तान में केजरीवाल ने काफी वाहवाही बटोरी और यहां देश में सोशल मिडिया पर उनकी जमकर लताड़ मिली।
सर्जिकल और एयर स्ट्राइक पर सवाल
29 सितंबर, 2016 की अंधेरी रात भारत के स्पेशल कमांडो दस्ते ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकवादी ठिकानों को तबाह कर दिया, जिसमें कई आतंकवादी मारे गये। यह पूरा आपरेशन इतना खुफिया था कि पाकिस्तानी सेना और आईएसआई को इसकी जरा भी भनक नहीं लगी। इस आपरेशन से पूरा पाकिस्तान सकते में था और ऐसी किसी सर्जिकल स्ट्राइक को मानने से इंकार ही नहीं कर रहा था, बल्कि सबूत मांग रहा था। 29 सितम्बर को ही दिन में डीजीएमओ ले. जनरल दलबीर सिंह ने पूरे आपरेशन की सफलता की जानकारी देश को दी और सेना की तरफ से सर्जिकल स्ट्राइक होने की बात को साफ किया। केजरीवाल इस सर्जिकल स्ट्राइक की कामयाबी से इतने असहज हो गये कि वह देश के खिलाफ ही बोलने लगे और सेना की बात पर भरोसा न करते हुए पाकिस्तान की तरह सबूत मांगन लगे। दूसरे दिन अरविन्द केजरीवाल को पाक मीडिया ने अपने ‘हीरो’ की तरह पेश किया। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा कि भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया के शक के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भी अविश्वास जताया।
किंतु यही मत रुकिए यह वही केजरीवाल है जिसने मुख्यमंत्री बनने के बाद लेफ्टिनेंट गवर्नर के घर पर कब्जा कर लिया था स्टेट सेक्रेटरी की पिटाई की थी।
गणतंत्र दिवस का बहिष्कार करने वाला पढ़ायेगा देशभक्ति का पाठ
मुख्यमंत्री बनते ही यह केजरीवाल राजपथ पर धरना देने बैठ गया था और 26 जनवरी की परेड तक रोकने की धमकी देते हुए कहा था कि “हां मैं अनार्किस्ट हूं, और मैं 26 जनवरी की परेड नहीं होने दूंगा”
लोगों का कहना है कि बच्चों से ज्यादा केजरीवाल को देशभक्ति सीखने की जरूरत है, क्योंकि उनकी देशभक्ति संदेह के घेरे में हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जिस व्यक्ति की देशभक्ति संदिग्ध हो, वो बच्चों में देशभक्ति का जज्बा कैसे पैदा करेगा? बच्चे एक संदिग्ध आदमी से कैसे प्रेरणा लेंगे, जिसने कई मौकों पर देश की सेना के शौर्य पर सवाल उठाया हो और उसके सबूत मांगे हों। यहां तक कि गणतंत्र दिवस को बहिष्कार किया हो। केजरीवाल की देशभक्ति सिर्फ दिखावा है। केजरीवाल ने कहा था कि 26 जनवरी का उत्सव संसाधनों की बर्बादी है। जो इंसान मुख्यमंत्री रहते संविधान दिवस तक की परवाह नहीं करे, वो वाकई अराजकतावादी ही हो सकता है।
खेल समझिए यह कोई छोटा मोटा टुच्चा धूर्त राजनेता नहीं है, एक निश्चित पैटर्न के अंतर्गत देश में अराजकता और अव्यवस्था उत्पन्न करने का कुटिल प्रयत्न करने वाला यह व्यक्ति और जिस सटीक टाइमिंग पर अपनी धूर्तता पूर्ण शातिर चालें चलता है उसे देख विश्वास हो जाता है कि इसका हैंडलर कोई और ही है जो कहीं दूर से बैठकर इसके माध्यम से भारत विरोधी खेल खेल रहा है।