आज देश में कई लोग ऐसे हैं जो सिखों के गुरुओं के नाम को कलंकित कर रहे हैं और पाकिस्तान या देश के दुश्मनों की शह पर एक नए देश खालिस्तान की मांग कर रहे हैं। अभी हाल ही में सिंघु बॉर्डर पर जो कुछ खालसा और खालिस्तान के नाम पर हुआ है, उसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है। वास्तव में मुगलों के अमानवीय अत्याचारों के विरुद्ध ही खालसा की स्थापना हुई थी। आज जब मुगलिया अत्याचारों को कोई सिख धर्म का अनुयाई अपनाते हुए देखा जाता है तो बड़ा दुख होता है।
इस संदर्भ में देश भक्ति की भावना से सराबोर प्रधानमंत्री के सलाहकार प्रभजीत सिंह का कहना है कि खालसा का अर्थ है शुद्ध और पूर्णतया शुद्ध । श्री सिंह ने ‘उगता भारत’ के साथ एक विशेष बातचीत में इस विषय में आगे बताया कि खालसा सिख धर्म के विधिवत् दीक्षाप्राप्त अनुयायियों का सामूहिक रूप है। खालसा पंथ की स्थापना गुरु गोबिन्द सिंह जी ने १६९९ को बैसाखी वाले दिन आनंदपुर साहिब में की थी। इस दिन उन्होंने सर्वप्रथम पाँच प्यारों को अमृतपान करवा कर खालसा बनाया तथा तत्पश्चात् उन पाँच प्यारों के हाथों से स्वयं भी अमृतपान किया।
उस समय की मुस्लिम सत्ता जिस प्रकार हिंदुओं पर अत्याचार कर रही थी उन अत्याचारों का सामना करने के लिए गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथियों की एक ऐसी फौज बनाई थी जो देश ,धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व समर्पण कर सकती थी। उन्होंने कहा कि इस फौज के दर्शन और चिंतन पर यदि विचार किया जाए तो पता चलता है कि गुरु गोविंद सिंह जी का यह निर्णय निर्णय बहुत ही महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक था वास्तव में भारत में अवैतनिक फौजी बना बना कर विदेशों से लड़ने की परंपरा सदियों पुरानी है इसी परंपरा को गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा के नाम देकर मजबूती प्रदान की थी। यह खालसा पंथी ऐसे देश धर्म के दीवाने होते थे जो बिना वेतन के फौज में सम्मिलित होकर खालसा पंथ अर्थात सभी देशवासियों की रक्षा का संकल्प लेते थे।
इनकी देशभक्ति खालसा पंथ की स्थापना काल से ही हर संदिग्ध मानी जाती रही है।
खालसा पंथ की स्थापना से लेकर अब तक ऐसे अनेकों अवसर आए हैं जब सिखों ने अपनी देशभक्ति के अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया हैं।
श्री प्रभजीत सिंह का कहना है कि आज जब कुछ लोग खालिस्तान की मांग कर रहे हैं तब हमें खालसा और खालिस्तान के शुद्ध अर्थ को समझकर उसके आधार पर समस्त देशवासियों के भीतर बैठी कुरीतियों का उपचार करते हुए देशभक्ति का जज्बा पैदा कर वही माहौल बनाना चाहिए जो कभी गुरुओं ने बनाया था। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि देश भक्ति का माहौल पूरे देश में बनाकर और सभी देशवासियों के लिए राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक न्याय की संवैधानिक गारंटी को जन-जन तक पहुंचाना ही गुरुओं की परंपरा और सोच के अनुसार बनाया जाने वाला हिंदुस्तान होगा। ऐसे पवित्र देश को ही खालिस्तान कहा जा सकता है । इसके लिए सारे देश को खालिस्तान बनाने की आवश्यकता है। जिसमें शोषण, दमन, दलन, अत्याचार, उत्पीड़न आदि कहीं दूर दूर तक भी ना हों और गुरुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए सत्य सनातन वैदिक धर्म की रक्षा के लिए सब संकल्प लें।
उन्होंने कहा कि राम और कृष्ण के देश में सभी हिंदू आर्यों की संतानें हैं। जिनमें सिक्ख भी सम्मिलित हैं सिखों को अलग धर्म के रूप में स्थापित करना या दिखाना भारत की एकता और अखंडता को तोड़ने वाली शक्तियों का समर्थन करना है। क्योंकि सच यह है कि सिक्ख भारत देश की धार्मिक आस्थाओं में अटूट विश्वास रखने वाला समाज है। सिक्ख शिष्य शब्द से बना है। शिष्य गुरुओं के या ऋषियों के आदर्शों, सपनों, उपदेशों और संदेशों को लेकर चलने वाला होता है। यही विशेषता खालसा पंथ के सिक्खों की होती है। इस प्रकार राम , कृष्ण और ऋषियों के पवित्र देश भारत को खालसा पंथ का अनुयायी ही सही अर्थों में समझ सकता है । जैसे आर्य जैसा पवित्र शब्द हमको प्राचीन काल में हमारे लिए मिलता था, वैसे ही खालसा शब्द भी अपने आप में शुद्ध और पवित्रता का प्रतीक है। जिसमें किसी के प्रति हिंसा या किसी के प्रति अत्याचार ,उत्पीड़न की बात सोचना ही गलत है। उन्होंने कहा कि यह बात तो पूर्णतया गलत है कि कोई भी खालसा पंथी खालिस्तान जैसे देश तोड़ने वाले संकल्प का साथ देता हो।
श्री प्रभजीत सिंह कहा कि वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी जी देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए प्रति संकल्पित हैं। इतना ही नहीं उनके हृदय में गुरुओं के प्रति भी असीम श्रद्धा का भाव है। वह सिखों की देशभक्ति की भी अनेक अवसरों पर प्रशंसा कर चुके हैं। ऐसे में देश की मुख्यधारा से अलग जाकर जो लोग देश तोड़ने की गतिविधियों में लगे हुए हैं और फर्जी किसान आंदोलन के मंच से ‘खालिस्तान – जिंदाबाद’ के नारे लगाते हैं उन्हें खालसा और खालिस्तान का सही अर्थ समझ कर देश की प्रगति में सहयोगी व सहभागी होना चाहिए और प्रधानमंत्री श्री मोदी के हाथ मजबूत करने चाहिए।
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