आधुनिक विज्ञान से-भाग-चार

वाद और व्यवस्था बदली, भूखे, नंगे लोग क्यों?
मानसिक और शारीरिक, पहले से ज्यादा रोग क्यों?

शोषण भ्रष्टाचार आज, विश्व में समाया क्यों?
तेरे होते हुए बता, मत्स्यराज आया क्यों?

भौतिक सुख समृद्घि पाकर, मानव है अशांत क्यों?
भय तनाव संशय आदि से, विश्व है दिग्भ्रांत क्यों?

मानव ही मानव से, आज इतना क्रुद्घ क्यों?
तेरे होते हुए बता, इतने भीषण युद्घ क्यों?
हुआ क्यों हृदय रे पाषाण? अरे ओ आधुनिक विज्ञान!

सभ्य बनाने का दम भरता, मानव नाम के प्राणी को।
होता है प्रतीत भेडिय़ा, सुन आहतों की वाणी को।

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