वैद्य राजेश कपूर
अनेक कैंसर रोगी केवल निर्विष फलाहार से ठीक होगये, अनेक गेहूं के ज्वारों के रस से, कई पंचगव्य के प्रयोग से और अनेक रोगी योग व प्राणायाम साधना व प्रकृतिक चिकित्सा से भी पूर्ण स्वस्थ हुए हैं। पर कीमोथिरेपी करवाने के बाद इन उपायों को करने वालों का निरोग होने का प्रतिशत काफी कम है।
कुछ वर्ष पूर्व जारी आँकड़े सत्य होने पर भी शायद अविश्वसनीय लगें। मुम्बई के टाटा संस्थान के कैंसर रोगियों के स्वस्थ होने का प्रतिशत 0.5 था। 200 में केवल एक रोगी जीवित बचा।
इसके विपरीत गुजरात के वलसाड़ के निकट पंचगव्य से कैंसर की चिकित्सा के लिये एक हस्पताल चलता है। वहाँ 47त्न रोगी स्वस्थ हुए, उनकी जीवन रक्षा हुई।
कहाँ 200 में एक और कहाँ 200 में से 94 रोगी । कितना अद्भुत है यह। एक तथ्य और ग्यातव्य है कि वलसाड़ में अधिकाँश वही रोगी पहुँचते हैं जो सारे इलाज करवाकर मरणासन्न अवस्था में पहुंच चले होते हैं। यदि स्वदेशी चिकित्सा समय पर, बिना कीमोथिरेपी लिये शुरू हो तो शायद एक भी रोगी की मृत्यु न हो और सभी स्वस्थ हो जाएं।
वलसाड़ में चिकित्सा का स्तर काफ़ी गिरा है पर अब अनेक स्थानों पर पंचगव्य चिकित्सा शुरू हो रही है।
आगरा में 24 लोग एक ट्रस्ट बनाकर कैंसर पर कैम्प लगाना शुरू कर चुके हैं। लगभग 100 रोगियों को रोज निशुल्क ताजा पञ्चगव्य पिलाया जाता है।
कैंसर का सीधा सिद्धान्त है, शरीर के विषों को बाहर निकालो व रक्त को क्षारीय बनाने वाला आहार लो।
अधिक से अधिक प्रणवयु लो अर्थात व्यायाम, आसन, प्राणायाम करो। विचार सकारात्मक रहें।
स्वदेशी गो का पंचगव्य कैंसर में वरदान है। पंचगव्य न मिले तो केवल मूत्र और अल्प गोबर मिलाकर सूती कपड़े से छान लें। 30से 50 मि.ली. मात्रा दुगना पानी मिलाकर प्रात:-सायं रोगी को दें। आधा घण्टा आहार न दें। गिलोय, घीक्वार, तुलसी, पुनर्नवा, सहजना, भूई आमला, हारसिंगार, विषरहित फलों (केला नहीं) व उनके रस, आँवला, धनियाँ, पु्दीने, पेठे, घीया, तोरी, बथुआ, चौलाई, का कच्चा/ पकाकर दिन में 3-4 बार प्रयोग बहुत लाभदायक है। ध्यान रहे कि बाजारी फल रसायन युक्त होने के कारण कैंसर को बढ़ा सकते हैं। उसीप्रकार सब्जियाँ जी.ऐम. या बी. टी. होने पर कैंसर पैदा करती व बढ़ाति हैं।स्वदेशी बीजों से उगी विषरहित सब्जियाँ औषधी हैं और जीऐम कैंसर जैसे अनेक रोगों को पैदा करती हैं। अत: अपने बीज बचाने, उगाने या उगवाने की ओर ध्यान दिये बिना बात बनने वाली नहीं। देर-सवेर यह करना ही पड़ेगा। वरना लाखों क्या करोड़ों रुपया मासिक कमा कर खाना तो विष ही पड़ेगा।
कैंसर रोगी कोअमृत आहार ज्वारों का रस रोज एक से तीन बार दें। उससे दस्त हों तो अति उत्तम। अधिक दस्त हों तो मात्रा कम करदें।
जितना हो सके ? का मानसिक व ध्वनी सहित जाप करें। बहुत गहरे प्रभाव होते हैं। ईश्वर कृपा से उत्तम परिणाम होंगे। पर याद रहे कि कीमोथिरेपी आदि करवाकर रोगी के जीवन को संकट में डालने की भुल कभी न करें।
बस इतना ही।