राष्ट्र-चिंतन
*विष्णुगुप्त*
थोड़े देरी के लिए कल्पना कीजिये कि फिल्मी दुनिया के कलाकार शाहरूख खान का बेटा आर्यन आम आदमी का बेटा होता तो फिर उसकी इतनी सोहरत मिलती क्या? उसके पक्ष में इतने लोग खड़े होते क्या ? उसके लिए पूरी फिल्मी दुनिया आंसू बहाने के लिए बाध्य होती क्या ? राजनीतिक पार्टियां और राजनीतिज्ञ समर्थन में खड़े क्या व सहानुभूति भी प्रकट करते क्या? सोशल मीडिया पर उसके समर्थन में अभियान चलता क्या? उसके लिए छुट्टी के दिन भी कोर्ट खुलती क्या? उसके लिए इतनी मशहूर वकीलों की टीम खड़ी होती क्या? उसके लिए नामी होटलों से बिरयानी आती क्या? जांच एजेंसियां नामी होटलो की बिरयानी मंगवाने और खिलवाने की स्वीकृति देते क्या?
इन सभी प्रश्नों का एक ही उत्तर है नहीं। उसके पक्ष में इस तरह की प्रवृतियां कभी भी अभियानी नहीं होती,कभी अनैतिकता नहीं दिखाती। शाहरूख खान मुबंई फिल्म दुनिया का बादशाह माना जाता है। बादशाह शब्द जिस किसी के साथ जुड़ा होता है, उसकी हैसियत किस प्रकार की होती है, उसके आसपास किस तरह के लोग नतमस्तक होते हैं, किस प्रकार से अपनत्व दिखाने के लिए तत्पर रहते हैं, यह भी स्पष्ट है। शाहरूख खान की एक दृष्टि जिसके उपर पड़ जाये वह फिल्मी दुनिया की नामीगिरामी हस्ती बन जायेगा, जिस किसी पर दुश्मनी दिखा दिया उस किसी पर आफत-विपद आना निश्चित है, उसकी फिल्मी कैरियर पर आंच आ सकती है, उसकी फिल्मी कैरियर पर ग्रहण लग सकता है। इस कारण शाहरूख खान के नशेडी बेटे की आलोचना कर आफत-विपद कौन मोल लेने के लिए तैयार होगा? यही कारण है कि शाहरूख खान के नशेड़ी बेटे के खिलाफ फिल्मी दुनिया के किसी शख्त ने नैतिकता दिखाने की कोई कोशिश नहीं की और न ही इसके लिए शाहरूख खान को दोषी ठहराने की कोशिश की, इतना ही नहीं बल्कि यह कहने का भी साहस किसी ने नहीं किया कि कानून सबके लिए बराबर है, काूनन से बड़ा कोई नहीं है और जो अपराधी है उसकी सजा सुनिश्चित होनी ही चाहिए।
आर्यन अगर शाहरूख खान का बेटा नहीं होता? आर्यन किसी आम आदमी का बेटा होता तो फिर क्या होता? अगर आर्यन आम आदमी का बेटा होता तो निश्चित मानिये कि उसका जो हस्र होता सो होता ही, उसके परिजनों का अभी बुरा हस्र होता, उसके परिजनो का आर्थिक हªास तो होता ही इसके अलावा उसकी बदनामी भी होती,उसके परिवार को नशेड़ी परिवार कह कर लोग खिल्ली उड़ाते, पड़ोसी उस युवक और उस युवक के परिजनों से घृणा करते। सबसे बड़ी बात यह है कि पुलिस उसे एयरकडिशनर में कभी नहीं रखती, उसे वीआईपी सुविधाएं कभी नहीं देती, पुलिस पूछताछ करने से पूर्व उसकी हडि़्डयों को तोड़ डालती, उसकी ऐसी पिटाई होती कि वह कई दिनो तक जेल में करवटें बदलने से पूर्व कराहता। पुलिस उत्पीड़न पर कोर्ट तक में कोई संज्ञान नहीं होता, उसके वकील की आवाज और पुलिस उत्पीड़न की बातें कोर्ट में अनसूनी कर दी जाती। उसके लिए कोर्ट छुट्टी के दिन कदापि नहीं बैठती। एक आम आदमी के लिए कोर्ट कहां छुट्टी के दिन बैठती है। शाहरूख खान की तरह आम आदमी का ब्रांड वैल्यू 385 करोड़ का कहां होता है? शाहरूख खान की तरह आम आदमी के लिए कोई जमात थोड़े गोलबंद होकर सपोर्ट करती है? शाहरूख खान की तरह आम आदमी के लिए बड़ी-बड़ी हस्तियां थोड़े समर्थन करने पर उतारू होती हैं?
आम आदमी की औलादें अगर बिगड़ती हैं, अपराधिक रास्ते अपनाती हैं, नशेड़ी बनती हैं, घातक मादक द्रब्यों का सेवन करने लगती है तो सबसे पहले आम आदमी ही अपनी औलाद के खिलाफ खड़ा होता है। आर्यन अगर आम आदमी का बेटा होता तो फिर जैसे ही उसकी नशेड़ी की आदत मालूम होती वैसे ही परिवार में हाहाकार मच जाता, परिवार के लोग मिल कर उसकी पहले तो जम कर पिटाई करते, उसके बाद उसे समझा कर नशा का सेवन करने से बाज आने की सलाह देते। इसके बावजूद भी अगर वह नहीं मानता, उसकी आदते वैसी ही जारी रहती तो फिर दो विकल्प भी होते हैं। एक विकल्प उस नशेडी को नशा मुक्ति केन्द्र मे भर्ती करा देना और दूसरा विकल्प फिर घर और परिवार से बेदखल कर देना। आम आदमी की यह प्रवृति सुखमय भी है और कारगर भी है। नशेडी के प्रथम चरण में ही ऐसे कदम उठने से नशेड़ी भी नशा छोड़ने की ओर गंभीर हो जाता है। कई मामलों में देखा गया है कि प्रारंभिक चरण में परिवार की सक्रियता और सजगता के कारण नशेड़ी नशा से मुक्त भी हो जाता है और सामान्य जीवन के लिए प्रेरित भी होता है।
शाहरूख खान जैसी बड़ी हस्तियों के लिए औलादें अगर नशेड़ी निकल जायें,अपराधी निकल जायें, हत्यारी नहीं निकल जायें, वहशी निकल जायें, बलात्कारी निकल जाये ंतो कोई चिंता की बात नहीं होती है, कोई अपमान की बात नहीं समझती हैं, यह भी नहीं समझती कि उनकी बदनामी हो रही है, उनके ईमेज को धक्का लगा है। शाहरूख जेसी बड़ी हस्तियां तो अपनी औलादों को नशेड़ी और अनैतिक होने पर गर्व भी करती हैं। बहुत साल पहले शाहरूख खान ने अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि हम अपने बच्चों को शराब पीने की भी छूट देंगे और तरह-तरह की मस्तियां करने की भी छूट देंगे, मैंने जो किशोरावस्था में करने से वंचित हो गया था उससे अपनी औलादों को वंचित कभी नहीं करूंगा। वर्षो पहले शाहरूख खान की कहीं वह बाते आज सही हो गयीं। पर शाहरूख खान जैसों को यह मालूम नहीं है कि औलादों की ऐसी गलतियां भारी भी पड़ती हैें और अपने परिजनो के नाश और अपमान का कारण भी बनती हैं। ऐसे उदाहरण दुनिया में पड़े हुए हैं। दुनिया ही क्यों बल्कि फिल्मी दुनिया में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हुए हैं। सुनील दत्त फिल्मी दुनिया में शाहरूख खान से अधिक चर्चित थे, सुनील दत्त और उनकी पत्नी नरगिस की साख भी ज्यादा थी। सुनील दत्त राजनीति के विश्वसनीय चेहरा भी थे। सुनील दत्त और नरगिस के बेटे संजय दत्त ने नादानी में अंडरवर्ल्ड का रास्ता अख्तियार कर लिया था, राइफलें और अन्य हथियार खरीद कर रख लिये थे। मंुबंई विस्फोट कांड में संजय दत्त के पास हथियार होने के सबूत प्राप्त हुए। फलस्वरूप संजय दत्त जेल में बंद हुए। संजय दत्त के महीनों जेल में बंद होने के कारण सुनील दत्त एक तरह से बेटे की याद और चिंता में टूट गये थे। सुनील दत्त को बाल ठाकरे से अपमानजनक समझौता करना पड़ा था फिर संजय दत्त को जमानत मिली थी। सुनील दत्त को कुछ समय के लिए राजनीति भी छोड़नी पड़ी थी। ममता कुलकर्णी एक बोल्ड हिरोइन थी। उसका कथित पति विक्की गोस्वामी पर कथित तौर पर डरग्स धंधे में शामिल होने के आरोप लगे। आरोप लगने भर से ममता कुलकर्णी मुबंई फिल्मी दुनिया से आउट हो गयी। ममता कुलकर्णी आज कहां है, यह किसी को पता नहीं है। पर ममता कुलकर्णी जहां भी होगी अपनी जिंदगी सम्मान के साथ नहीं ही जी पा रही होगी।
शाहरूख खान एक आदर्श बनाने में चूक गये। शाहरूख खान को एक आदर्श कायम करना चाहिए था। शाहरूख खान को आगे आकर कहना चाहिए था कि उसके बेटे पर कानून सम्मत कार्रवाई होनी चाहिए, जांच एजेंसियां अपना काम स्वतंत्र रूप से करें, हम जांच मंें सहयोग देंगे, इसके अलावा जो लोग भी आर्यन की कार्रवाई को हिन्दू-मुस्लिम के रूप में प्रचारित कर रहे हैं उनको फटकार भी लगाते और इस प्रकरण पर राजनीतिक रोटियां सेकने से बाज आने को कहते तो फिर शाहरूख खान की छवि कैसे नहीं और चमकती? अब तक की जांच में यह ज्ञात हुआ है कि आर्यन नशेड़ी है और वह घातक नशा का सेवन करता है, नशेडि़यों की क्लब और गिरोह का वह सिलिब्रिटी है। यह बात शाहरूख खान और उसकी बीबी गौरी खान को कैसे नहीं मालूम होगी? आर्यन तो पहली बार यह अपराध नहीं किया होगा,वह पहली बार ही नशा नहीं किया होगा। उसके पहले से ही वह नशा करता होगा?
मुबंई फिल्मी दुनिया पूरी तरह से नशे में डूबी हुई है, नशा,अपराध और साजिश का घर है मुबई फिल्मी दुनिया। मुबंई दंगे की जांच के लिए गठित कृष्ण आयोग ने अपनी जांच में खुलासा किया था कि मुबंई पूरी तरह से नौकरशाहों, अपराधियों, नशेडि़यों और राजनीतिज्ञों के चंगुल में कैद है जहां पर दंगे भड़काने के लिए साजिशें होती हैं। आर्यन मामले में भी मुस्लिम उत्पीड़न की अफवाह फैलाने की करतूत जारी रही है। यह प्रचारित किया जा रहा है कि शाहरूख खान मुसलमान ह,ै इसलिए उसके बेटे को गिरफ्तार किया गया है। ऐसी मानसिकताएं ही हमारे देश मे अपराध और अनैतिकता को बढ़ावा देती हैं।
आर्यन ही नहीं बल्कि पूरी मुबंई फिल्मी दुनिया का नशेड़ी चरित्र बेनकाब हो गया है। घातक नशा करने वाली कैसी-कैसी फिल्मी हस्तियां पकड़ी गयी है और उनके नाम सामने आये हैं, यह भी स्पष्ट हो चुका है। मुबंई फिल्म दुनिया को नशेड़ी करतूत से बाहर निकालना जरूरी है। आर्यन अगर इस सबक को स्वीकार करर अपनी भूल और आदतों को छोड़ने के लिए तैयार होता है तो फिर उसी की भलाई होगी, उसका जीवन ही सुंदर होगा? पर कथित मुस्लिम वाद के गिद्ध तो आर्यन को एक हथकंडा के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। आम आदमी के बेटा और शाहरूख खान के बेटा होने में अंतर यही होता है।
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विष्णुगुप्त
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