मुकुल व्यास
कोविड के इलाज के लिए दुनिया में कई तरह की दवाएं आजमाई गई हैं लेकिन इन्हें बहुत कारगर नहीं कहा जा सकता। रिसर्चर कुछ ऐसी ऐंटीवायरल दवाएं विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं जो आसानी से गोलियों के रूप में ली जा सकें। हैपेटाइटिस सी और एड्स जैसे अनेक वायरल इंफेक्शनों के इलाज के लिए ऐंटीवायरल दवाओं का प्रयोग पहले से हो रहा है। मसलन इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए टैमीफ्लू काफी चर्चित दवा है। लोगों और जानवरों में वायरस के संक्रमण के इलाज और निवारण के लिए विकसित दवाएं अलग-अलग ढंग से काम करती हैं। लेकिन इनमें फेरबदल कर इनका प्रयोग संक्रमण के खिलाफ इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। ये दवाएं स्वस्थ कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश को अवरुद्ध कर सकती हैं या शरीर में सक्रिय वायरस की मात्रा कम कर सकती हैं।
कोविड के लिए इस समय तीन ऐंटीवायरल दवाएं चर्चा में हैं। इनमें से एक दवा मोलनुपिराविर का क्लिनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है। शेष दो के क्लिनिकल ट्रायल चल रहे हैं। मोलनुपिरविर को मर्क एंड कंपनी और रिजबैक बायो थेरेप्यूटिक्स ने विकसित किया है। दो अन्य ऐंटीवायरल दवाओं में फाइजर की पीएफ 07321332 नामक दवा तथा रोश और एटी फार्मास्युटिकल्स की एटी-527 नामक दवा शामिल है। मर्क ने अपनी दवा के क्लिनिकल ट्रायल के अंतरिम परिणामों का ऐलान कर दिया है। इस कंपनी का दावा है कि मोलनुपिराविर कोविड से मौत का रिस्क आधा कर देती है। कंपनी इस दवा के आपात उपयोग के लिए आवेदन करने जा रही है। यदि इसे अनुमति मिल गई तो यह दुनिया में कोविड की पहली ऐंटीवायरल दवा होगी। यह दवा मूल रूप से इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए विकसित की गई थी।
ऐंटीवायरल दवाएं मानव कोशिकाओं में वायरस के विस्तार की क्षमता में अवरोध पैदा करती हैं। मोलनुपिराविर वायरस के आनुवंशिक कोड में त्रुटियां उत्पन्न कर उसे शरीर में फैलने से रोकती है। इसके उपयोग से मरीज का वायरस लोड कम होता है और संक्रमण का समय घटता है। यह दवा खतरनाक इम्यून रिस्पॉन्स को भी रोकती है जिसकी वजह से कोविड गंभीर रूप ले लेता है। अभी तक कोविड के इलाज के लिए सिर्फ एक ऐंटीवायरल दवा रेमडेसिवीर को ही मंजूरी मिली है। लेकिन यह उन मरीजों को इंट्रावेनस इंजेक्शन से दी जाती है जो अस्पताल में भर्ती होते हैं। बीमारी के शुरू में इसका व्यापक इस्तेमाल नहीं होता। दूसरी तरफ नई ऐंटीवायरल दवाओं की गोलियों के रूप में पैकिंग की जा सकती है। चूहों पर किए गए प्रारंभिक अध्ययन में पता चला कि मोलनुपिराविऱ कोरोना वायरस द्वारा उत्पन्न शुरुआती बुखार को रोक सकती है। दवा का फॉर्म्युला अमेरिका की एमरी यूनिवर्सिटी में खोजा गया जिसे बाद में रिजबैक और मर्क ने हासिल कर लिया। इसके बाद क्लिनिकल ट्रायल आरंभ हो गए। सबसे पहले पिछली वसंत में 202 वालंटियर्स को लेकर किए गए ट्रायल में मोलनुपिराविर ने संक्रामक वायरस के स्तर को तेजी से गिरा दिया।
फाइजर ने अपनी दवा के फेज 2 और 3 ट्रायल 1 सितंबर को आरंभ किए। कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें साल के अंत से पहले फेज 2 और 3 के नतीजे मिलने की उम्मीद है। यदि इनके परिणाम सकारात्मक रहे और इन्हें आपात उपयोग की मंजूरी मिल गई तो इनका वितरण शीघ्र शुरू किया जा सकता है। इसका अर्थ यह हुआ कि अमेरिका के लाखों लोगों को ये दवाएं उपलब्ध हो जाएंगी। यह दवा एक गोली के रूप में होगी जिसे कोविड की पुष्टि होने पर पांच से दस दिन तक लेना होगा।
पहले ऐंटीवायरल दवाओं में किसी की दिलचस्पी नहीं थी। लेकिन अब तीव्र प्रतिस्पर्धा जारी है। पिछली जून में बाइडन प्रशासन ने अनुमति मिलने पर इन्हें खरीदने पर सहमति दी थी। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मोनोक्लोनल ऐंटीबॉडी थेरेपी की तरह ये दवाएं टीकाकरण की जगह नहीं ले सकतीं। वहीं रिसर्चर यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या ऐंटीवायरल दवाओं का उपयोग रोग निवारण में हो सकता है। दवा के रोग-निरोधी परीक्षण सफल होने पर घर या स्कूल में हरेक को यह दवा दी जा सकती है।