अजहर सिंड्रोम एक बीमारी का नाम है जो सिर्फ उन मुसलमानों में पाया जाता है जो गुनाह पकड़े जाने पर मुस्लिम होने का विक्टिम कार्ड खेलने लगते हैं। इस बीमारी का नाम अजहरुद्दीन के नाम से पड़ा था जो जब क्रिकेट फिक्सिंग के आरोप में पकड़ा गया था तो दुनिया भर मुसलमानों को सहानुभूति प्राप्त करने के लिए हिंदू देश में “पीड़ित मुस्लिम” शब्द का प्रयोग किया। वह भूल गया उसे कप्तान बनाते समय 4 सीनियर हिंदू खिलाड़ियों को नजरअंदाज किया गया था।
यह भी भूल गया कि मैच फिक्सिंग के आरोप में उसके साथ चार हिंदू खिलाड़ी मनोज प्रभाकर, अजय शर्मा, अजय जडेजा और निखिल चोपड़ा भी थे।
आज जब भी किसी मुस्लिम को उसके किए जुर्म के आरोप में पकड़ा जाता है तो वह अजहर सिंड्रोम की बीमारी से ग्रस्त हो जाता है ।
आर्यन खान के पकड़े जाने के साथ ही नवाब मलिक, रजा मुराद, सलमान, महबूबा ने एक ही राग अलापा। वह मुस्लिम है इसलिए फँसा दिया गया। अरबाज मर्चेंट भी मुस्लिम है इनके साथ 14 हिंदू ड्रगिस्ट भी पकड़े गए हैं। यह लोग भूल गए कि शाहरुख, सलमान, आमिर, सैफ जैसे मुस्लिम कलाकारों को हिंदुओं ने ही इतने ऊंचे मुकाम तक पहुंचाया। फिल्मों में भी हिंदू नाम से ही अभिनय किए थे और करोड़ों करोड़ों रुपए कमाए। किसी मुस्लिम देश में होते तो शायद कोई पूछने वाला भी ना होता।
इनको तो एहसान मानना चाहिए था कि हिन्दुओं ने इन्हें शौहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया। आज जब सब कुछ मिल गया और मिलने की उम्र निकल गई तो हिंदू बुरे, असहनशील, असहिष्णु हो गए।
ऐसे अभिनेताओं और नेताओं को शर्म आनी चाहिए जो हिंदुओं के प्यार को भूल कर मुल्लों की भाषा बोलने लगे हैं।
भले ही तालिबान से भारत राजनयिक सम्बन्ध ना बनाये लेकिन भारत में अपराध करते हुए पकडे़ जाने वाले मुसलमानों को तालिबान के शरिया अदालत में तुरंत भेजे जिससे मेहबूबा, नबाब मलिक, आरफा, सस्ती शेरवानी, अख्तर परिवार सब संतुष्ट हो जाए, अगर हकले के लौंडे को तालिबान क्रेन पर ना लटकाये तो पूरे तालिबान को मिटा दिया जाए !!