प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आगे बढ़ता देश
स्वच्छता को लेकर महात्मा गांधी जी ने जीवन भर लोगों को प्रेरित किया। गांधी जी स्वच्छता को सामाजिक और आर्थिक उत्थान का प्रकल्प मानते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 2014 में देश की बागडोर संभालने के साथ गांधी जयंती के अवसर पर ही स्वच्छता अभियान का शुभारंभ किया।
आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी को याद कर रहा है। महात्मा गांधी जी के जीवन का हर पक्ष समाज के लिए प्रेरणादायी है। गांधी जी के कृतित्व व संदेशों में हमें राष्ट्र जीवन के लिए संपूर्ण दिशादर्शन प्राप्त होता है। उनके चिंतन को मात्र आर्थिक या सामाजिक मॉडल के रूप में नहीं देखा जा सकता है। गांधी जी ने समग्र मानवता के कल्याण के लिए मानवतावादी विचार और उस पर आधारित व्यावहारिक दृष्टिकोण लोगों के समक्ष रखा। आज बापू के दर्शन को जन-जन तक पहुंचाने का तात्पर्य है, भारतीयता को एक वैश्विक दर्शन के रूप में स्थापित करना। महात्मा गांधी जी के विचारपुंज को सामाजिक आचरण का हिस्सा बनाना, भारतीयता की पुनर्स्थापना के यज्ञ जैसा है।
देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारा राष्ट्र अर्थ, विज्ञान, खेल, संस्कृति और पर्यावरण समेत समाज जीवन के हर क्षेत्र में गांधी जी द्वारा बताए मार्ग पर अग्रसर है। ग्राम स्वराज, स्वरोजगार और सुशासन की परिकल्पना गांधी जी के चिंतन की आत्मा थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था के कायाकल्प में जिस प्रकार जुटी है, उससे ग्राम स्वराज सही अर्थों में साकार हो रहा है।
ग्राम स्वराज की परिकल्पना को समृद्ध करने के लिए देश में गांव के विकास पर केंद्रित बहुआयामी प्रयास हो रहे हैं। इनमें अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने का एक समेकित प्रयास उल्लेखनीय है। ऊर्जा न्याय की यह यात्रा अक्षय ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों के समानांतर विकास से आगे बढ़ रही है। इससे एक ओर किसानों को अपनी आय बढ़ाने में सहयोग मिल रहा है, वहीं भारत अपनी पर्यावरणीय प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में अग्रसर है। विगत पांच-छह वर्षों में देश में विशेषत: ग्रामीण भारत में अक्षय ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों पर शोध और निवेश बढ़ा है। सौर ऊर्जा, बायोमास, पवन ऊर्जा और पानी से तैयार बिजली और ईंधन ग्रामीण भारत में विकास की नई गाथा लिख रहे हैं। इस दशक के प्रारंभ में ग्रामीण भारत जहां बेरोजगारी और बदहाली की चुनौतियों से जूझ रहा था, आज वही गांव देश के विकास गति देने का कार्य कर रहे हैं।
गांधी जी द्वारा प्रदान की गई ग्राम स्वराज की अवधारणा में विकास और पर्यावरणीय प्रतिबद्धताएं एक दूसरे की संपूरक रही हैं। इससे समावेशी विकास का टिकाऊ और व्यावहारिक रूप निखकर सामने आता है। हम सभी देख रहे हैं कि विगत कुछ वर्षों से जमीन की पोषण क्षमता में तेजी से गिरावट आई है, उसकी एक बड़ी वजह रासायनिक खादों का बेतहाशा उपयोग है। ऐसे संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार मृदा परीक्षण को प्रोत्साहित कर रही है। लगभग 12 करोड़ मृदा परीक्षण किए जा चुके हैं। इसी क्रम में 22.91 करोड़ से अधिक किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड वितरित किए गए हैं। भारत मरुस्थलीकरण पर संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यक्रम का भी अहम साझेदार है। इन प्रयासों से गांव, खेत, खलिहान में आर्थिक तरक्की की जो बयार बह रही है, उससे ग्राम स्वराज सच्चे अर्थों में फलित हो रहा है।
स्वच्छता को लेकर महात्मा गांधी जी ने जीवन भर लोगों को प्रेरित किया। गांधी जी स्वच्छता को सामाजिक और आर्थिक उत्थान का प्रकल्प मानते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 2014 में देश की बागडोर संभालने के साथ गांधी जयंती के अवसर पर ही स्वच्छता अभियान का शुभारंभ किया। यह अनुप्रमाणित करता है कि देश के जननायक श्री नरेंद्र मोदी जी श्रद्धेय गांधी जी के विचारों को किस रूप में आत्मसात करते हैं। विगत छह वर्षों में स्वच्छ भारत मिशन दुनिया के सबसे बड़े सामाजिक अभियान का रूप ले चुका है। स्वच्छता अभियान देश के प्रति राष्ट्र भक्ति व कर्तव्यों की अभिव्यक्ति को भी प्रगट करने का अवसर देता है। प्रधानमंत्री जी ने स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण की शुरुआत कर इसमें युवाओं की भागीदारी पर जोर दिया है।
मौजूदा दौर का भारत मानव केंद्रित जिस वैश्वीकरण के मार्ग पर अग्रसर है, उसके पीछे गांधी जी के चिंतन का प्रेरक अनुगमन है। हर भारतीय को गर्व है कि देश का वर्तमान नेतृत्व घरेलू मोर्चे पर ही नहीं वैश्विक मंच पर भी गांधी जी के दिखाए मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। हालही में पीएम नरेंद्र मोदी जी ने अमेरिकी दौरे में वहां के राष्ट्रपति जो बाइडेन से वार्ता के दौरान महात्मा गांधी जी की ट्रस्टीशिप (संरक्षण) दृष्टि का उल्लेख कर दुनिया को प्रेरक संदेश दिया है। भारत विश्व से गांधी जी के जिस ट्रस्टीशिप विजन को अपनाने का आह्वान कर रहा है, उसमें संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए परस्पर सहयोग, समन्वय और सहकारिता का भाव समाहित है।
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।