रहने दे खूनी पंजों को, इस भू तक सीमित रहने दे।
अन्यत्र यदि कहीं जीवन है, उसको तो सुख से रहने दे।
दाग लगा तेरे दामन में, हिंसा और विनाश का।
श्रेय नही, अब हेय हो रहा, तू साधन था विकास का।
परमाणु युद्घ ही नही, आज स्टार वार की चर्चा है।
तेरे इन खूनी पंजों पर, हो रहा विपुल क्यों खर्चा है?
होगा क्या खूनी पंजों से, इस सृष्टि का कुछ त्राण?
अरे ओ आधुनिक विज्ञान!
अतीत सुखद नही रहा तेरा, जब भी हुआ चर्मोत्कर्ष।
सभ्यताएं मिट गयीं, तू कितना क्रूर, तेरा कैसा हर्ष?
आज भी प्रशिक्षण देता, जगह जगह दानवता का।
हमने तो सुना था भूतल पर, तू प्रहरी है मानवता का।