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आजादी शर्मिन्दा है

झूँठा और फरेबी देखो, बड़ी शान से जिन्दा है।

भारत माता बिलख रही है, आजादी शर्मिन्दा है।

 

नाच रहे हैं देखो नंगे, संसद के गलियारों में।

शामिल कितने नेता मिलते, क़त्ल और हत्यारों में।

झूँठे वादे यहाँ सभी के, सच से नाता तोड़ रहे।

गैरों की क्या बात करें जब, अपने भ्राता छोड़ रहे।

सच्चाई की आज यहाँ पर, होती दिखती निन्दा है।

भारत माता बिलख रही है,आजादी शर्मिन्दा है।1।

 

भूख गरीबी बढ़ती जाती, भृष्टाचारी मेला है।

करे भरोसा जिस पर जनता, वो सपनों से खेला है।

झूल रहा फाँसी पर देखो, आज अन्न का ही दाता।

बदहाली में जीवन काटे, भारत का भाग्य विधाता।

लाश जलाने को करता जब, गाँव इकठ्ठा चन्दा है।

भारत माता बिलख रही है,आजादी शर्मिन्दा है।2।

 

अमर शहीद स्वर्ग में बैठे, सिसक सिसक रह जाते हैं।

देश बेचने वाले जब जब, उनको फूल चढ़ाते हैं।

तड़प तड़प कर आह निकलती, आँसू खूब बहाती है।

भारत के बेटे की माँ को, जब सरकार सताती है।

शोषण करने वाले को अब, नहीं डराता फन्दा है।

भारत माता बिलख रही है, आजादी शर्मिन्दा है।3।

 

जिननें जान लुटा दी अपनी, उनका भी सम्मान नहीं।

जाति धर्म में बँटे आज सब, मानवता का भान नहीं।

आजादी के वह दीवाने, हँसकर फाँसी झूल गये।

सत्ता के मद में मतवाले,आज उन्हीं को भूल गये।

आज हमारे कर्मो से ही, घायल हुआ परिन्दा है।

भारत माता बिलख रही है, आजादी शर्मिन्दा है।4।

 

आतंक मचाते आतंकी, घर में घुसकर आते हैं।

कुछ गद्दार यहीं के हम को, मानवता सिखलाते हैं।

जाति नहीं आतंकवाद की, धर्म न कोई होता है।

आतंक मचाने वाला बस, बीज कटीले बोता है।

सगा नहीं वो कभी किसी का,केवल एक दरिन्दा है।

भारत माता बिलख रही है, आजादी शर्मिन्दा है।5।

 

केवल सत्ता हासिल करना, मकसद नहीं बनाओ तुम।

भारत माँ से माँ के जैसा, रिश्ता आज निभाओ तुम।

बलिदानों की आजादी को, ऐसे मत लुट जाने दो।

भारत माँ की सेवा में अब, जीवन को मिट जाने दो।

फर्क नहीं ऊपर वाले में, सबका धर्म चुनिंदा है।

भारत माता बिलख रही है, आजादी शर्मिन्दा है।6।

 

झूँठा और फरेबी देखो, बड़ी शान से जिन्दा है।

भारत माता बिलख रही है, आजादी शर्मिन्दा है।

 

आदित्य राजौरिया अजनबी

डबरा जिला ग्वालियर (म.प्र.)

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