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विशेष संपादकीय

दो मुख्यमंत्रियों का ‘बेमेल विवाह’

राजनीति में यूं तो हमेशा ही नये-नये प्रयोग होते रहने की संभावनाएं प्रबल रहती हैं, पर भारत की राजनीति में तो ‘बेमेल के विवाह’ होने की पुरानी परंपरा है। यहां जिनमें विचारधारा का और नीतियों का कोई मेल नही होता वह भी किसी अपने ‘सांझे शत्रु’ को मारने के लिए अक्सर एक होते देखे गये हैं।

अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ही लें। इन दोनों नेताओं की विचारधारा का कोई मेल नही है, पर दोनों को अपने मोदी नाम के शत्रु से खतरा है इसलिए दोनों का ‘बेमेल विवाह’ होता दीख रहा है। दरअसल, केजरीवाल सरकार की ओर से बिहार सम्मान दिवस का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें नीतीश कुमार बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे।

वहीं माना यह भी जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल भी जल्द ही बिहार में किसी कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। इससे पहले जुलाई में दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच बैठक हुई थी। जहां एक ओर नीतीश कुमार मोदी और बीजेपी का विरोध करने वाले लोगों को एकजुट करना चाहते हैं, वहीं केजरीवाल की परेशानी यह है कि वह साफ-सुधरी छवि वाले नीतीश कुमार के साथ तो दिखना चाहते हैं, लेकिन गठबंधन के दूसरे दल यानी आरजेडी और कांग्रेस से दूरी दिखाना चाहते हैं।

इससे पूर्व मंगलवार को नीतीश कुमार पर डीएनए टिप्पणी करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए केजरीवाल ने कहा कि बिहार के डीएनए के बारे में जानने के लिए हर किसी को ‘मांझी’ फिल्म देखनी चाहिए। ऐसी टिप्पणियां बता रही हैं कि इन दोनों मुख्यमंत्रियों को अपने-अपने प्रदेशों में मोदी का भय सता रहा है इस भय के कारण ये दोनों मुख्यमंत्री अब मंच सांझा कर रहे हैं। पर यह मंच ही सांझा कर सकते हैं, ना तो मन सांझा कर सकते हैं और ना ही अपना दल सांझा कर सकते हैं।

देवेन्द्रसिंह आर्य

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