फेसबुक से नाता तोड़ कर ही रह सकते हैं सोशल

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राहुल पाण्डेय

दुनिया भर में बहुत सारे लोगों का मानना है कि सोमवार रात फेसबुक अपने इंस्टा और वॉट्सऐप सहित इसलिए गायब हुआ, क्योंकि उसे अपना वह डेटा गायब करना था, जिसकी रिपोर्ट व्हिसलब्लोअर फ्रांसेस हॉगन ने सोमवार को ही अमेरिकी कांग्रेस के सामने रखी थी। फ्रांसेस हॉगन ने फेसबुक से ही उड़ाए डेटा के आधार पर कांग्रेस को बताया कि किस तरह से फेसबुक बच्चों और लोकतंत्र से खिलवाड़ कर रहा है।

सोमवार रात से मंगलवार सुबह तक चली तकरीबन सात घंटे के जद्दोजहद के बाद फेसबुक ने खुद को रीस्टोर तो कर लिया, लेकिन उसकी वेबसाइट और ऐप में बुधवार तक समस्याएं आती रहीं। इस तरह की वेबसाइट्स का हिसाब-किताब रखने वाली वेबसाइट डाउन डिटेक्टर डॉट कॉम पर बुधवार तक यूजर्स कंप्लेन करते रहे। किसी का स्टेटस तीन-तीन बार अपलोड हो जा रहा था तो किसी का कॉमेंट ही गायब हो जा रहा था। खुद मेरी फेसबुक प्रोफाइल पर लोग बुधवार तक इन्हीं समस्याओं से जूझते दिखे।

दुनिया भर से डेढ़ करोड़ से भी अधिक लोगों ने इस प्रॉब्लम की कंप्लेन की और सभी यह जानना चाहते हैं कि आखिर ऐसा हुआ क्यों? लेकिन अपनी आदत से लाचार इस बदनाम कंपनी ने अभी तक यह नहीं बताया है कि आखिर हुआ क्या था? उसकी इस गड़बड़ी से उसे तो जो अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा, वह तो उठाना ही पड़ा, एक वेबसाइट के मुताबिक दुनिया भर को 11 अरब रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। ऐसा इसलिए, क्योंकि लोग फेसबुक पर सिर्फ बातचीत नहीं करते, धंधा भी करते हैं। मार्क जकरबर्ग ‘बड़े’ आदमी हैं, और फ्रांसेस हॉगन की मानें तो प्रॉफिट को हम जैसे आम यूजर्स के ऊपर रखते हैं। सो उन्हें तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। मगर जो छोटे-छोटे व्यापारी इस साइट से अपना व्यापार करते हैं, उनकी हालत खराब हो गई। क्या मार्क जकरबर्ग उनको हुए नुकसान की भरपाई करेंगे?
हालांकि दुनिया भर में फेसबुक के बयानों पर अब कोई आसानी से विश्वास नहीं करता, फिर भी एक समाचार एजेंसी ने कंपनी के कर्मचारियों से बात करके खुलासा किया कि यह वारदात कंपनी की मशीनों में हुई एक गलती की वजह से हुई। एनवाई टाइम्स, द गार्जियन और वॉशिंगटन पोस्ट जैसे अखबारों में जिन एक्सपर्ट्स ने अपनी राय दी, उसके मुताबिक यह कंपनी के अंदर की गलती थी। साथ ही यह भी संभावना है कि इसमें कोई अंदर का आदमी शामिल हो सकता है। जिस तरह से अमेरिकी व्हिसलब्लोअर फ्रांसेस हॉगन फेसबुक की हरकतों पर चिंतित हैं, कंपनी में काम करने वाले और लोग भी चिंतित हो सकते हैं। आखिर मामला हमारे बच्चों और लोकतंत्र से जुड़ा हुआ है।

दूसरी तरफ कुछ अमेरिकी वेबसाइट ने सनसनीखेज दावा करते हुए बताया कि यह फेसबुक के अंदर की गलती नहीं थी। इन वेबसाइट्स के मुताबिक यह थॉमस नाम के हैकर का कारनामा था। इनका यह भी दावा था कि यह मामला अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के संज्ञान में है और इस कुख्यात अपराधी थॉमस को पकड़ने की जिम्मेदारी एफबीआई में साइबर क्राइम के अधिकारी जॉन मैकक्लेन को दी गई है।
फेसबुक जिस तरह से गायब हुआ, उसके बाद दुनिया में कई तरह की बहसें फिर से तेज हो चुकी हैं। पहली तो यही कि क्या ऐसी चीज को, जिससे दुनिया की एक बहुत बड़ी आबादी जुड़ी हुई है, महज एक कंपनी के नियंत्रण में बने रहने देना ठीक होगा? सोशल मीडिया पर अपनी मोनोपोली बनाने के लिए कई गलत और गैरकानूनी काम करने के आरोप फेसबुक पर पहले भी लग चुके हैं। सोमवार को हुई वारदात में पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे यह मोनोपोली एक आम आदमी को नुकसान पहुंचा सकती है।
दूसरी बात यह चल रही है कि सात घंटे के आउटेज का फायदा दूसरों को भी उठाना चाहिए। कई कंपनियों ने इस वारदात का खूब फायदा उठाया। ट्विटर लगभग ओवरलोड ही हो गया, तो सिग्नल ऐप ने 70 मिलियन नए यूजर्स जोड़े। ऐसे में अगर यह मानते हों कि जिस तरफ दुनिया जा रही है, उसी तरफ जाने में समझदारी है तो फेसबुक के सभी प्रॉडक्ट्स पर पूरी तरह निर्भर रहने की आदत लोगों को छोड़नी होगी।

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