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आज का चिंतन

*लखीमपुर खीरी कांड- ब्राह्मण समाज के विरुद्ध कोई सोचा-समझा षड्यंत्र तो नहीं है*

🙏बुरा मानो या भला 🙏

—मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”

कल तक एक कुख्यात अपराधी विकास दुबे की हत्या पर छाती पीटकर विधवा विलाप करने वाले, श्रीमान योगी का ख़ौफ़ दिखाकर ब्राह्मणों पर कथित अत्याचारों का हवाला देकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले, ब्राह्मण समाज को वोटबैंक समझकर उनका इस्तेमाल करने वाले और ब्राह्मणों को अपने पाले में करने के लिए “प्रबुद्ध सम्मेलन” करने वाले तमाम स्वयम्भू “ब्राह्मण नेता” और “ब्राह्मण हितैषी विपक्षी दल” अब कहाँ चले गए?
क्या इन्हें मालूम नहीं है कि लखीमपुर खीरी में भोलेभाले किसानों की आड़ लेकर कुछ बेरहम लोगों ने शुभम मिश्र पुत्र विजय कुमार मिश्र और हरिओम मिश्र पुत्र परसेहरा, फरधान (अजय मिश्रा का ड्राइवर) की बड़ी निर्दयता से पीट-पीटकर हत्या कर दी। जो लोग बात-बात पर समुदाय विशेष पर मॉबलिंचिंग की दुहाई देते रहते हैं, क्या वह इस नृशंस हत्याकांड को मॉबलिंचिंग नहीं मानेंगे?
हम इस बात से कदापि इंकार नहीं कर रहे कि लखीमपुर खीरी में जो कुछ भी हुआ वह किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं ठहराया जा सकता। परन्तु प्रश्न यह है कि यदि यह मान भी लिया जाए कि किन्हीं परिस्थितियों में तथाकथित रूप से कुछ किसान दुर्घटनाग्रस्त हो भी गए थे, तो क्या वहां उपस्थित भीड़ का न्याय और कानून व्यवस्था से विश्वास उठ गया था? क्या पुलिस-प्रशासन से मदद नहीं ली जा सकती थी? भीड़ द्वारा चार नौजवानों को निर्दयतापूर्वक पीट-पीटकर मार देना क्या जंगलराज का उदाहरण नहीं है?
प्रश्न यह भी है कि यदि इन ब्राह्मण नौजवानों के स्थान पर दलित समाज के नौजवान होते, तो भी क्या विपक्ष इसी प्रकार से लाशों पर राजनीतिक रोटियां सेंकने पहुंच जाता?
जो लोग कल तक जनेऊ धारण करके अपने को दत्तात्रेय गोत्र का ब्राह्मण बताकर जनता को गुमराह कर रहे थे, जो लोग भगवान परशुरामजी की ऊंची-ऊंची प्रतिमाएं लगवाने के दावे कर रहे थे, जो ब्राह्मणों के हमदर्द बन रहे थे, वह सब अब कहाँ हैं? वह सामने क्यों नहीं आते?
क्या भाजपा में जाने से ब्राह्मणत्व समाप्त हो जाता है। क्या भाजपा का कार्यकर्ता होने से कोई ब्राह्मण नहीं रहता?

या फिर “ब्राह्मण विरोधी मानसिकता” के राजनीतिक दलों द्वारा यह ब्राह्मण समाज के विरुद्ध कोई घिनौना राजनीतिक षडयंत्र रचा गया है, जिसे लखीमपुर खीरी में अमली जामा पहनाया गया है। उल्लेखनीय है कि लखीमपुर खीरी से भाजपा सांसद अजय मिश्र टेनी पश्चिमी उत्तरप्रदेश में लगातार कई वर्षों से ब्राह्मण समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और फिलहाल वह पार्टी की ओर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण समाज को पार्टी के पक्ष में एकजुट करने का प्रयास भी कर रहे थे। यहां यह भी समझना होगा कि अजय मिश्र टेनी का ब्राह्मण समाज में बहुत आदर और सम्मान किया जाता है। ऐसे में हो सकता है कि विपक्षी नेताओं द्वारा अजय मिश्र टेनी की बढ़ती लोकप्रियता औऱ ब्राह्मण समाज का उनके प्रति झुकाव देखते हुए उनके पुत्र पर मनघड़ंत आरोप लगाकर उनकी साफ-सुथरी छवि पर दाग लगाने का भी षड्यंत्र रचा जा सकता है। इस सम्भावना से भी कोई इंकार नहीं किया जा सकता है।

श्री योगी सरकार को चाहिए कि वह लखीमपुर खीरी की घटना की जांच बड़ी गहनता और निष्पक्षता से कराए ताकि सच्चाई सामने आ सके। इस घटना से ब्राह्मण समाज बेहद आहत और व्यथित है। और ब्राह्मण समाज को श्री योगी सरकार की निष्पक्षता और ईमानदारी पर पूरा भरोसा है।

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🖋️ मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)

विशेष नोट – उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। उगता भारत समाचार पत्र के सम्पादक मंडल का उनसे सहमत होना न होना आवश्यक नहीं है। हमारा उद्देश्य जानबूझकर किसी की धार्मिक-जातिगत अथवा व्यक्तिगत आस्था एवं विश्वास को ठेस पहुंचाने नहीं है। यदि जाने-अनजाने ऐसा होता है तो उसके लिए हम करबद्ध होकर क्षमा प्रार्थी हैं।

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