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फिर नाकाम साबित हुए नवाज

पाकिस्तान ने एक बार फिर सच से मुंह चुराने का ही रास्ता चुना। भारत की धरती पर अलगाववाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने के अकाट्य सबूतों से घबराये पाकिस्तान ने आखिरकार दोनों देशों के बीच होने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की बातचीत से ही किनारा कर लिया। यह अप्रत्याशित नहीं था, लेकिन इससे पाकिस्तान का दोहरा चरित्र और असली चेहरा एक बार फिर दुनिया के सामने बेनकाब हो गया है। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विदेश नीति सलाहकार सरताज अजीज ने भले ही रविवार को भारत आने का अपना कार्यक्रम विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की इस दो टूक घोषणा के बाद रद्द किया हो कि उफा घोषणापत्र के मुताबिक इस वार्ता में सिर्फ और सिर्फ आतंकवाद पर ही चर्चा होगी तथा शिमला समझौते के मुताबिक कश्मीर विवाद में भारत-पाकिस्तान के बीच कोई तीसरा पक्ष हो ही नहीं सकता, लेकिन सच यह है कि पाकिस्तान इस वार्ता से मुंह चुराने के लिए बहाने तलाश भी रहा था और तैयार भी कर रहा था। यह दीवार पर लिखी इबारत की तरह स्पष्ट है कि पिछले दिनों रूस के उफा शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मुलाकात में दोनों देशों के बीच वार्ता बहाल करने पर हुई सहमति के बाद से ही पाकिस्तान से कई तरह के सुर सुनायी पड़ रहे थे।

यह भी कोई गोपनीय तथ्य नहीं है कि संवाद प्रक्रिया को पटरी पर चढऩे से रोकने के लिए भी अचानक ही सीमा पार प्रायोजित आतंकवाद में तेजी आ गयी थी। जैसा कि सुषमा स्वराज ने भी बताया, इतने कम समय में 91 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन सामान्य घटनाक्रम नहीं है। फिर गुरदासपुर में हमले के लिए भेजे गये आतंकियों में से एक नावेद की गिरफ्तारी ने तो पाकिस्तान को पूरी तरह ही बेनकाब कर दिया था।

भारत ने साफ भी कर दिया था कि वह अजीज को भारत में आतंकवाद बढ़ाने में पाकिस्तान की संलिप्तता के सबूत देगा। जवाब देने भर के लिए पाकिस्तान ने भी अपने यहां आतंकवाद में भारत की कथित संलिप्तता के सबूत देने की बात कही, लेकिन मुंबई पर हमले में जिंदा पकड़े गये पाकिस्तानी अजमल कसाब के बाद गुरदासपुर हमले में भी पाकिस्तानी नावेद की गिरफ्तारी के बाद उसमें सच का सामना करने का साहस ही नहीं बचा था। यह भी एक कारण रहा कि कश्मीर में संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं में अचानक ही तेजी आयी और पिछली बार के अनुभव से कोई सबक न सीखते हुए इस बार भी पाकिस्तान ने कश्मीर के अलगाववादी संगठन ऑल पार्टी हुर्रियत कान्फ्रेंस के नेताओं को भी न्यौता भेजा।

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