बहुत से युवा ग्रेजुएशन से पहले ही कोई भी नौकरी शुरु कर खुद को आत्मनिर्भर बना लेते हैं। ऐसी नौकरी भले ही उन्हें कुछ समय के लिए अपने पैरों पर खड़ा होने का भरोसा दिलाती हों, मगर भविष्य में सिर्फ इसी के बूते तरक्की का सपना देखना बेमानी होगा। ग्रेजुएशन के बाद करियर पर संजीव चन्द की रिपोर्ट पिछले वर्ष लेबर ब्यूरो सर्वे की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 8.7 प्रतिशत ग्रेजुएट बेरोजगार हैं। जबकि उद्योगों की नजर में कोर्स कर निकलने वाले महज 25 प्रतिशत युवा ही रोजगार देने के काबिल हैं। यदि स्थिति तब है जब देश की एक बड़ी आबादी (करीब 60 करोड़) युवा है। क्षमता होने के बावजूद प्रोफेशनल्स का हुनर निखर कर सामने नहीं आ पा रहा है। अक्सर छात्रों की यही राय होती है कि ग्रेजुएशन के बाद अच्छी नौकरी नहीं मिल सकती, जबकि वास्तविकता तो यह है कि यदि छात्र ने गंभीरतापूर्वक ग्रेजुएशन की है और उसमें काबिलियत है तो उन्हें रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। देश में सरकारी व निजी क्षेत्र की कई सेक्टर और इंडस्ट्री ऐसी हैं जो बम्पर पैमाने पर ग्रेजुएट को जॉब दे रही हैं। यहां तक कि जॉब करते हुए भी प्रोफेशनल्स इनके बारे में सोच सकता है। एक मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर एचआर हेड काम करने वाले सुमित अवस्थी का मानना है कि ग्रेजुएशन डिग्री लेकर जब कोई छात्र नौकरी तलाशता है या इस चक्कर में दूसरे शहर जाता है तो शुरू-शुरू में उसे कुछ परेशानी जरूर आती है, लेकिन यदि उसमें हौसला है तो वह ज्यादा दिन तक बेरोजगार नहीं रहेगा।