आतंकवाद और एलर्ट
हमारे देश में जब भी आतंकवादियो से संबंधित सूचनाये आती है या कोई आतंकी घटना घट जाती है तुरंत रेड एलर्ट व हाई एलर्ट घोषित हो जाता है और नगर के मुख्य विभिन्न स्थानों पर पुलिस सतर्क हो जाती है ? परंतु कोई सार्थकता नहीं लगती क्योकि वे संभवतः यह भूल जाते है कि उनको संदिग्ध क्षेत्रो (आतंकियों के स्लीपिंग सेलो ) में ही अधिक सतर्कता बरतनी चाहिये ?
विडम्बना यह भी है कि हमारी सोच केवल एलर्ट घोषित करने तक ही सीमित रहती है और आवश्यक कार्यवाही करने के लिए पुलिस व सेना को हाथ खोलकर हथियारों का सदुपयोग भी नहीं करने देते ? जब नेताओ के दबाव पड़ते है तो सुरक्षाकर्मियो की विवशता हो जाती है और वे संविधान की शपथ भी भूल जाते। उन्हें अपनी नौकरी की चिंता होती है। तथाकथित सेक्युकरो व मानवाधिकारियो का भय और बना रहता है तभी तो वे आतंकियों पर कठोर नहीं हो पाते । कभी कभी उन्हें हथियार के उपयोग की भी मनाही होती है।ऐसे में कोई भी एलर्ट करना बेमानी नहीं तो और क्या है, केवल कागजी औपचारिकता व जनता का (झूठा) ढाढस बांधने से क्या आतंकवाद पर ऐसे काबू पाया जा सकेगा ?
जब तक दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति नहीं होगी तब तक ये आतंकी संगठन अपने अड्डे पुरे देश में कही न कही बनाते ही रहेँगेँ । आज जगह जगह पाकिस्तान के झंडे व जिंदाबाद के नारे लगना आम बात होती जा रही है तथा ISIS के भी झंडे लहराने लगे है ।इन सबके दुःसाहस का मुख्य कारण है मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति और इसका जीता जागता प्रमाण है कश्मीर समस्या , जहां अरबो रुपया व्यय करके उनको देश की मुख्य धारा में नहीं लाया जा सका । सम्भवतः यह मृग मरीचिका बनी रहेगी ।उनके पैरो में कितना ही धन मुख्यधारा में लाने के लिए बहा दो वे उसमे से मलाई निकालकर खाते रहेंगे और पाकिस्तान के गुण गाते रहेंगे अर्थात भारत का माल लूटो पर सम्बन्ध पाकिस्तान से बनाओ ।यही कश्मीरी आतंकी पुरे देश में आतंकियों के अड्डे बनवाने में पाकिस्तान की आई एस आई , आई एस आई एस ,अलकायदा,लश्करे तोइबा आदि के सहायक होते है ।