जब 1947 में मुसलमानों के लिए पाकिस्तान बन गया था तो यह कहना कि आज हिन्दुओं से ही भारत है, अनुचित नहीं होगा।भारत है तो हिन्दू है और हिन्दू है तो भारत है व तभी भारतीय जनता पार्टी है ।
अतः धर्म से ऊपर उठ कर पार्टी की बात करना बेमानी है। जिस देश में जातियों के आधार पर राजनीति होती हो तो वहां राष्ट्र की एकता व अखण्डता बनाये रखने के लिए जातिगत भेदभाव से ऊपर उठ कर राष्ट्र की रक्षार्थ धर्म को आधार बनाना ही होगा। अतः धर्म के विरुद्ध कार्य करने वाले राजनेता वो चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो जाये अपने स्वार्थ में रहेगा तो उसकी राजनीति अस्थिर हो सकती है ।
आज हिन्दू धर्मरक्षको का भारतीय जनता पार्टी के कुछ नासमझ नेता राजमद में अपमान करने का दुःसाहस कर रहें है ।जिसके परिणामस्वरूप ” लव जिहाद ” व “घर वापसी” को भी नकारा गया । हिन्दू संतो का अपमान करके कुछ युवा नेता अहंकारी हो रहें है पर वे जिहादियों के समक्ष बगलें झाकने को क्यों विवश हो जाते है ? वे इतिहास नहीं जानना चाहते तथा न ही वे भविष्य के लिए चिंतित है । वे राजमद में शपथ भूल कर चापलूसी व चाटुकारिता की राजनीति अपना कर सत्ता सुख में जीना चाहते है । तभी तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने पहली बार अपने ही एक वरिष्ठ अधिकारी की छत्र छाया में चल रहें “मुस्लिम राष्ट्रीय मंच” द्वारा “रोजा इफ्तार” की दावतें दी।क्या ये लोग भारत में स्वतंत्रता के समय की गयी गांधी-नेहरु की गलती से पाठ नहीं पढ़ना चाहते?
सोचो जरा , अपने संतो व कार्यकर्ताओ का बहिष्कार करके साम्प्रदायिक सौहार्द बनाने के लिए किससे व किसके लिए बाहें पसारी जा रही है ? 1947 से पहले ही अनेको अनुभवी महापुरुषो ने बताया था कि आप कितने ही प्रयास क्यों न करलें हिन्दू -मुस्लिम एकता स्थापित नहीं हो सकती ? यहाँ तक की पाकिस्तान की स्थापना करने वाले मो.अली जिन्नाह ने भी इसी आधार पर देश के विभाजन की मांग की थी कि हिन्दू – मुस्लिम दोनों की संस्कृतियों, सभ्यताऐ व श्रद्धायें आदि अलग अलग है अतः दोनों का एक साथ रहना संभव ही नहीं।
आज जबकि एक ओर जहां जिहाद के लिए चुनौती बने कट्टरपंथी भटके हुए मुस्लिम युवा व इस्लास्मिक आतकंवादी संगठन इस्लामिक स्टेट, लश्करे -ए- तोइबा,अलकायदा, इंडियन मुजाहिदीन जो भारत को दारुल-इस्लाम या खिलाफत के लिए खुरासान बनाने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते वही दूसरी ओर हज़ारो घाव की भूख से त्रस्त जिहाद के लिए ही पाकिस्तान निरंतर युद्धविराम उल्लंघन करके सीमाओँ पर हमारे जवानों व नागरिको को मारने में व्यस्त है, तो ऐसे में हम अपने ही राष्ट्रभक्तो व धर्मबंधुओ का बलिदान करवाकर व तिरस्कार करके आत्मघाती नीति की ओर क्यों बढ़ रहें है?
ध्यान देना होगा कि भारत एक विशाल लोकतांत्रिक राष्ट्र है किसी भी राजनैतिक दल की धरोहर नही।अतः आज बहुसंख्यक हिन्दुओं की राजनीति केवल राजनीति ही नहीं है वे बीजेपी से एक सुदृढ़ राष्ट्रवादी राजनीति की आशा लगायें बैठे है । अन्ततोगत्वा भारत भूमि ही तो उनकी पूण्यभूमि, जन्मभूमि,पितृभूमि,मातृभुमि व कर्मभूमि है और उसकी ही सुरक्षा में सभी का अस्तित्व सुरक्षित है।
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