7 वर्ष के शासनकाल में प्रधानमंत्री मोदी की सातवीं अमेरिका यात्रा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अभी हाल ही में संपन्न हुई अमेरिका यात्रा विश्व मीडिया में छाई रही है। भारत के प्रधानमंत्री की इस यात्रा से चीन और पाकिस्तान को बहुत मिर्ची लगी है। क्योंकि  भारत के प्रधानमंत्री की बात को विश्व की पहली शक्ति अमेरिका में हर जगह मान और सम्मान मिला। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन ने अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों की भांति प्रधानमंत्री मोदी को सम्मान देने में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी।
प्रधानमंत्री श्री मोदी अपनी विदेश यात्राओं के समय में अपने पल पल का सदुपयोग करते हैं। देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बाद श्री मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जो अपनी हवाई यात्राओं में भी अपने काम निपटाने पर ध्यान देते हैं। प्रधानमंत्री समय की कीमत जानते हैं। इसलिए अपनी विदेश यात्राओं को भी वह मनोरंजन या पिकनिक का कारण नहीं बनने देते। इस सबके उपरांत भी वह जब भी महाशक्तियों के नेताओं से मिलते हैं तो उन्हें अपनी व्यस्तताओं का तनिक भी आभास नहीं होने देते । वह बड़ी सावधानी के साथ अपने राष्ट्रहितों से जुड़े मुद्दों को उठाते हैं और अपनी लगभग हर यात्रा को सफल करके स्वदेश लौटते हैं। यही कारण है कि देश के वह पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्हें जनता के लोग हवाई अड्डे से लेने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच जाते हैं।
     अभी हाल ही में संपन्न हुई अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान श्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस से मुलाकात की। इन दोनों ही नेताओं को उन्होंने प्रभावित किया। उन्होंने बड़े स्वाभिमान और आत्मसम्मान के साथ भारत की बात को अमेरिकी नेताओं के गले उतारने में सफलता प्राप्त की। जिससे उनके विरोधियों और भारत विरोधियों का गला सूख गया। जैसे विदेशों में और विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन में प्रधानमंत्री श्री मोदी की सफलतम यात्रा रास नहीं आई, वैसे ही प्रधानमंत्री के भारत लौटने पर उनका लोगों के द्वारा जिस प्रकार हवाई अड्डे पर स्वागत सम्मान किया गया वह भी उनके विरोधियों को रास नहीं आया।
   श्री मोदी की अमेरिका की अपने शासनकाल के 7 वर्षों में यह सातवीं ही यात्रा थी । इससे पहले पीएम मोदी बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में अमेरिका की यात्रा कर चुके हैं। बराक ओबामा और नरेंद्र मोदी की मित्रता और निकटता विश्व मीडिया के लिए कौतूहल का विषय रही थी। इन दोनों नेताओं की जोड़ी ने अपने समय में विश्व नेताओं और अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने में सफलता प्राप्त की थी।
कुछ लोगों को यह भ्रम था कि अमेरिका का बदला हुआ नेतृत्व अब संभवत: प्रधानमंत्री श्री मोदी की यात्रा को उतनी प्राथमिकता ना दे, जितनी बराक ओबामा के समय में दी गई थी, परंतु ऐसा हुआ नहीं। अमेरिका के वर्तमान प्रशासन ने भारत के प्रधानमंत्री के स्वागत सम्मान में पलक पावडे बिछा दिए और विश्व मीडिया के सारे दावों को ध्वस्त करते हुए भारत के प्रधानमंत्री को एक ‘विश्व नेता’ के रूप में मान्यता देने में कोई संकोच नहीं किया। अमेरिका ने भारतवासियों को भी यह बता दिया कि वह संसार में दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश भारत के लोगों की भावनाओं का सम्मान करता है और वह भली प्रकार जानता है कि वर्तमान संसार में भारत की बात को सुने बिना आगे बढ़ना संभव नहीं है।
    हम सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री श्री मोदी अबसे  पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हाउडी कार्यक्रम में सम्मिलित हुए थे। इस कार्यक्रम ने उस समय अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया था और मोदी सारे संसार में छा गए थे। हम सभी यह भी भली प्रकार जानते हैं कि वर्ष  2019 के बाद कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने के बाद विदेश यात्राओं पर रोक लगा दी गई थी। जिसके चलते प्रधानमंत्री श्री मोदी जिसके बाद अब वर्ष 2021 में अमेरिकी दौरे पर जा सके थे। पीएम मोदी की विदेश यात्रा QUAD की मीटिंग पर आधारित रही।
वर्ष 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिकी यात्रा पर गए थे। उस समय डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए हाउडी मोदी जैसे विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।  उस कार्यक्रम की भव्यता से पता चलता था कि अमेरिकी नेतृत्व भारत और भारत के नेता को इतना महत्व देता है। उस समय अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनावों के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे थे भारत के प्रधानमंत्री की उस यात्रा का भी अमेरिका के तत्कालीन नेतृत्व ने अपने हित में भरपूर उपयोग करने का प्रयास किया था। इस दौरान प्रवासी भारतीयों को पीएम नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया और ट्रंप के साथ पीएम ने स्टेडियम का चक्कर भी लगाया।
वर्ष 2017 में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पीएम नरेंद्र मोदी ने ने जब मुलाकात की थी तो उस समय राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री के डिनर का आयोजन किया था। प्रधानमंत्री की इस यात्रा से भारत को कई कूटनीतिक लाभ प्राप्त हुए थे। इनमें से सबसे बड़ा लाभ यह था कि सैयद सलाहुद्दीन को अमेरिका ने वैश्विक आतंकियों की सूची में सम्मिलित कर दिया था। इस आतंकी को आतंकवादियों की सूची में डालने की प्रधानमंत्री की इस उपलब्धि को उस समय बहुत सराहा गया था। यह इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया था कि उससे पहले अमेरिका गाहे-बगाहे आतंकवाद पर दोहरी रणनीति अपना रहा था। जो आतंकवादी भारत में आतंकी घटना करते थे उनके प्रति उसका दृष्टिकोण दूसरा होता था, जबकि उसके स्वयं के या उसके मित्रों के साथ होने वाली आतंकी घटना के प्रति अमेरिका का दूसरा दृष्टिकोण होता था। जिससे सारे विश्व को आतंकवाद के विरुद्ध अमेरिका की दोगली नीति रणनीति की स्पष्ट जानकारी होती थी। परंतु इस आतंकवादी को आतंकियों की सूची में डालने से लोगों को लगा कि अब अमेरिका का आतंकवाद को लेकर दृष्टिकोण बदल रहा है और अब उसके दृष्टिकोण में समभाव आ रहा है।
  उससे पूर्व भारत के प्रधानमंत्री श्री मोदी ने वर्ष 2016 में अमेरिका की दो बार यात्रा की थी। श्री मोदी उस वर्ष पहली बार मार्च महीने में परमाणु सुरक्षा समिट के लिए अमेरिका गए थे। जबकि दूसरी बार वे जून महीने में अमेरिकी संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करने गए थे। वास्तव में अमेरिका की  संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने का सौभाग्य हर किसी नेता को प्राप्त नहीं होता। इस दृष्टिकोण से प्रधानमंत्री की यह यात्रा अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण हो गई थी। अपनी इस महत्वपूर्ण यात्रा के पश्चात पीएम मोदी देश के ऐसे 5 वें प्रधानमंत्री बने जिन्हें संयुक्त अधिवेशन में लोगों को संबोधित करने का अवसर मिला।
इस वर्ष पीएम नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को संबोधित करने के लिए अमेरिका गए थे। इस दौरान उन्होंने कई प्रमुक टेक कंपनियों के प्रमुखों से मुलाकात की थी। टेस्ला, फेसबुक, गूगल जैसी कंपनियों का भी उन्होंने दौरा किया था।
साल 2014 में जब देश में प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को चुना गया इसके बाद सितंबर महीने में वे पहली अमेरिकी यात्रा पर बतौर प्रधानमंत्री गए थे। पीएम मोदी की यह अमेरिकी यात्रा काफी चर्चित थी। इसके बाद पीएम मोदी ने मैडिसन स्कवायर में भाषण दिए और अमेरिका में मौजूद भारतीयों के दिलों को छुआ। पीएम मोदी ने हिंदी में अमेरिका में भाषण दिया।
  प्रधानमंत्री श्री मोदी से यह भी सीखने की आवश्यकता है कि वे हिंदी में धाराप्रवाह भाषण देते समय इंग्लिश या उर्दू के शब्दों का अनुचित प्रयोग नहीं करते । अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रति उनका समर्पण अनेकों भारतीयों को प्रोत्साहित और प्रेरित कर रहा है। जिससे आप हमारे अधिकारी ही नहीं बल्कि न्यायालय के जज भी हिंदी भाषा में बोलने समझने और सुनने को उत्साहित होते हुए दिखाई दे रहे हैं।

  • डॉ राकेश कुमार आर्य
    संपादक : उगता भारत

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