अकूत सम्पत्ति वैभव हैं मठाधीशों महंतो की जान का दुश्मन
मनोज कुमार अग्रवाल
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध मौत से हर कोई हैरत में है। पुलिस के अनिसारए उनके अनुयायिओं ने दरवाजा तोड़ कर उन्हें फंदे से उतारा। मौके पर एक कथित सुसाइड नोट मिला हैए जिसमें महंत के अपने शिष्य आनंद गिरि की प्रताड़ना से परेशान होने की बात कही गई है।गौर करने वाली बात यह है कि नरेंद्र गिरि की मौत को आनंद गिरि ने हत्या करार दिया है।
इस बीच उनकी संपत्ति का मुद्दा भी उठने लगा है।यहां बता दें कि महंत जी के बाघम्बरी मठ के पास करीब एक हजार करोड़ की चलअचल सम्पत्ति है वहीं महंत जी की गाड़ियों के काफिले में डेढ़ करोड़ की मत वाली लैंड क्रूजर गाड़ी समेत दर्जनों महंगी गाड़ियां शामिल हैं ये सब महंत नरेंद्र गिरी के साथ चलती थी।यह शान शौकत वैभव ही उनके कुछ करीबियों की आंखों में किर किरी बना हुआ था।महंत की मौत के लिए वही प्रिय शिष्य की सलाखों के पीछे है जिसे महंत नरेंद्र गिरी ने सड़क से उठाकर पालन पोषण किया और सबसे ज्यादा करीबी का दर्जा दिया जिस केचलतेआनंदगिरी छोटे महाराज के नाम से जानाजा ने लगे।
छोटे महाराज आनंद गिरी को बाघमबरी मठ का उत्तराधिकारी माना जाने लगा लेकिन आनंदगिरी को किसी फिल्म सिलेब्रिटी जैसी लाइफ स्टाइल में जीना पसंद आने लगा इसी के चलते आनंद गिरी ने दर्जनों देशों का दौरा किया औरए कविला सिता भरीव फिल्मी स्टाइल जीवन शैली अपनाली जो साधुसंतों कीजीवन शैली से कतई अलग थी आनंद की फिजूलखर्ची व बिगड़ती आदतें महंत आनंद गिरी को नागवार गुजरी इसी बीच दोनों में विवाद हो गया आनंदगिरीने नरेंद्र गिरी पर मठ की सम्पत्ति बेचने का आरोप लगाया हालांकि कुछ दिनों बाद ही चेले आनंद गिरी ने महंत नरेंद्र गिरी के चरण छूकर माफी मांगी और नरेंद्र गिरी ने उन्हें माफ भी कर दिया।लेकिन इस सब प्रकरण के बाद गुरु शिष्य दोनों के बीच पूर्व जैसे आत्मीय संबंध नहीं बन सके।
पुलिस के अनुसारए महंत नरेंद्र गिरी ने अपने सुसाइड नोट में अपनी वसीयत भी लिखी है।एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि मठ और आश्रम को लेकर आगे क्या करना हैण् किस तरह से व्यवस्था होगी। क्या करना है। एक तरह से सुसाइड नोट में उनका वसीयतनामा है।इसमें विस्तार से लिखा है कि किसे क्या देना है और किसके साथ क्या करना हैजांच कर रहे अधिकारियों का कहना है कि सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है उनका शव फांसी पर लटका मिला था पोस्टमार्टम के बाद ही स्पष्ट होगा कि उनकी मौत कैसे हुई। शुरुआती जांच में मामला आत्महत्या का लग रहा है। हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही अंतिम रूप से कुछ कहा जा सकता है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस मामले के खुलासे के लिए एसआइटी का गठन कर जांच शुरू कर दी गई है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि यह मामला संदिग्ध मौत बतौर नहीं रहेगा इसके सच को हर कीमत पर सामने लाया जाएगा। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मौत की हाईकोर्ट जज की निगरानी में जांच कराने की मांग की है।
महंत नरेंद्र गिरी के सुसाइड नोट में उनके शिष्य आनंद गिरि का जिक्र है। पुलिस ने फिलहाल मामला दर्ज कर आनंद गिरि को गिरफ्तार कर लिया है।सुसाइड नोट वसीयत की तरह है।अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत से लोग स्तब्ध हैं। उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि और देश भर के संत प्रयागराज में जुट रहे हैं। इसको देखते हुए बाघंबरी मठ के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इस बीच महंत की मौत के मामले में पुलिस ने संदिग्धों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। उनके शिष्य आनंद गिरी को हिरासत में लेने के बाद आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज हुआ है। बताया जा रहा है कि मौत से एक दिन पहले महंत ने रस्सी मंगाई थी। ऐसे कई राज हैं जिनसे अभी पर्दा उठना बाकी है।
प्रयागराज पुलिस के मुताबिक महंत का शव रस्सी से लटका हुआ था। सूत्रों के मुताबिक तफ्तीश में यह भी पता चला है कि महंत ने एक दिन पहले ही वह रस्सी मंगाई थीए जिसके फंदे पर उनका शव लटका हुआ था। बताया जा रहा है कि उन्होंने कपड़ा सुखाने की बात कहते हुए इसे सेवकों से लाने को कहा था। फरेंसिक टीम इस रस्सी की भी जांच कर रही है। महंत के शिष्यों ने पुलिस की पूछताछ के दौरान बताया है कि उन्होंने कहा कि कपड़े सुखाने के लिए रस्सी की जरूरत है। यह भी पता चला है कि पड़ोस की एक दुकान से इस रस्सी को खरीदा गया है। इस पर मौजूद उंगलियों के निशान के सैंपल भी इकट्ठा किए गए हैं। पुलिस महंत के कमरे के बाहर लगे सीसीटीवी को भी खंगाल रही है।
पुलिस ने कहा कि शिष्य आनंद गिरि से नरेंद्र गिरि दुखी थे। सुसाइड नोट की जानकारी आने से थोड़ी देर पहले ही आनंद गिरि ने एक न्यूज चैनल से बातचीत की थी।इसमें आनंद ने कहा थाए “मैं बाल्यकाल से ही नरेंद्र गिरि के शिष्य रहा हूं।हम दोनों को अलग करने साजिश शायद इसलिए की गई थी ताकि एक को गिराया जा सके। आज हमारे गुरु जी नहीं रहे हैं।आनंद गिरि ने कहा मेरे साथ कोई विवाद नहीं था। विवाद मठ के जमीन को बेचने को लेकर के था। कुछ लोग जो गुरू जी के साथ उठते बैठते थेए उन लोगों की नीयत उस मठ के जमीन पर थी और मैं उस मठ की जमीन को नहीं बेचने देना चाहता था। जिसकी वजह से उनलोगों ने मेरे ही खिलाफ गुरू जी को किया और गुरू जी मुझसे नाराज हुए।गुरू जी ने मुझसे कहा कि ये लोग ठीक नहीं हैं।उन लोगों ने गुरू जी को दूर करके मुझसे छीन लिया है।
हालांकि अब आनंद गिरी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया है व उसे पुलिस कोर्ट से कुछ दिन के लिए रिमांड पर ले रही है ।आशंका है कि महंत नरेंद्र गिरी को ब्लेक मेल किया जा रहा था।आशंका यह भी है कि महंत को किसी चेले ने ही उन्हें किसी हनीट्रेप में फंसा कर फोटो वायरल करने की धमकी दी जार ही थी यह सारी बातें जांच के बाद ही साफ हो पाएंगी।
हिन्दू मठ मंदिर के महंतो की हत्याओं के पीछे संपत्ति विवाद एक बड़ा कारण बनकर सामने आया है। मंदिरों में आ रहे चढ़ावे के कारण व पुरानी अचल सम्पत्ति की कीमत बढ़ने के कारण अनेकों मंदिरों के पास काफी संपत्ति होती है। इसको लेकर साधुओं में आपसी वैमनस्य भी बढ़ जाता है जो कई बार हत्याओं की वजह बनता है। महंत नरेंद्र गिरी ने भी अपनी मृत्यु से एक सप्ताह पूर्व करोड़ों रूपये की भूमि का सौदा किया था। इसी प्रकार संत अनेक मामलों में बड़े लेनदेन करते हैं जिससे वे अक्सर अपराधियों के निशाने पर आ जाते हैं।
मंदिरों के पास काफी भूमि होती है। कई बार भूमाफिया इस पर कब्जा करना चाहते हैं। इसका विरोध करने पर संतों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। अयोध्याए गोरखपुरए मेरठ और सुल्तानपुर में कई संतों की हत्याओं के पीछे इसी तरह के कारण सामने आए थे। पिछले कुछ सालों में तीस से अधिक साधु संत महंत और विभिन्न गद्दीयो मठों पर आसीन प्रमुखों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत व हत्या के मामले सामने आए हैं। इन धार्मिक स्थलों की अकूत चल अचल संपत्ति व आने वाला चढ़ावा ही इनके महंत साधुओं की जान का दुश्मन बन रहा है वही अनेक मठों के साधु भी कंचन और कामिनी की विसंगतियों के शिकार बन कर ब्लेक मेलर्स द्वारा ब्लेक मेल किए जाने के भी समाचार आते रहे हैं। इन मठों व धर्म स्थलों से जुड़ी आस्था के चलते करोड़ों रुपए के दान व अचल सम्पत्ति की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के साथ बुराइयां भी प्रवेश कर रहीं हैं। हालांकि नरेंद्र गिरी के दामन पर इस तरह का कोई दाग नहीं रहा। बहरहाल अब समय आ गया है कि धार्मिक मठ मंदिरों के प्रमुख महंत आदि की सुरक्षा वकार्य प्रणाली पर नजर रखी जाएआमतौर पर यह लोग स्वभाव से सरलव आधुनिक डिजिटल कम्प्यूटर तकनीक से अनभिज्ञ होते हैं ऐसे में अवांछित तत्व इन्हें साफ्ट टार्गेट बनाकर मठों की संपत्ति पर नजर गढ़ाते हैं।यह एक कठिन व्यवहारिक समस्या है जिसका गंभीर समाधान जरूरी है।
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