शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर भारत बंद
दीपक वर्मा
आज किसानों का भारत बंद है। आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती भी है। भगत सिंह का नाम पिछले 10 महीनों से जारी किसान आंदोलन में बार-बार गूंजा है। उनके परिवार ने आंदोलन का खुलकर समर्थन किया। आज जयंती पर भगत सिंह याद आ रहे हैं तो दूसरी तरफ किसान आंदोलनरत हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे ‘दुख की बात’ कहा। केजरीवाल ने पूछा कि ‘अगर आजाद भारत में भी किसानों की नहीं सुनी जाएगी तो फिर कहां सुनी जाएगी?’
भगत सिंह के किसानों को लेकर जो विचार थे, वह उन्होंने कई मौकों पर सार्वजनिक किए। भगत सिंह केवल भारत की आजादी का सपना ही नहीं देख रहे थे, वह एक ऐसा भारत चाहते थे जहां किसान को उसकी फसल का पूरा दाम मिले। जागीरदारी खत्म हो, बाजार की दिक्कत दूर हो।
इधर भगत सिंह जवान हो रहे थे, उधर किसान एकजुट
भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह ने 1906 में अंग्रेजी हुकूमत के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन छेड़ा। फिर 22 मार्च 1907 में पंजाब के लायलपुर में एक संभा हुई। जिसमें बांके दयाल ने ‘पगड़ी संभाल जट्टा पगड़ी संभाल ओए…’ पढ़ी। यह गीत खूब मशहूर और अभी के किसान आंदोलन में भी यह गाना खूब गूंजा। 27 सितंबर, 1907 को भगत सिंह का जन्म हुआ।
1920 के दशक की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले से ‘एका’ आंदोलन शुरू हुआ। मकसद था किसानों को तालुकदारों और जमींदारों के खिलाफ एकजुट करना। आंदोलन की अगुवाई कर रहे मदारी पासी जून 1922 में गिरफ्तार कर लिए गए। 1926 में जब वो बाहर आए तो उनके कुछ साथी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य बन चुके थे। भगत सिंह भी इस संगठन से जुड़े थे।
उनमें से एक ने पासी की मुलाकात भगत सिंह से कराई। सिंह इसके अलावा पंजाब की कीर्ति-किसान पार्टी और गणेश शंकर विद्यार्थी की कानपुर मजदूर संभा के संपर्क में भी थे। कांग्रेस ने 19 दिसंबर, 1929 को संपूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव पारित किया। इसकी घोषणा 26 जून, 1930 को की गई। नौजवान भगत सिंह ने इसके लिए एक एजेंडा लिखा था।
एक चिट्ठी में लिख डाले थे अपने जज्बात
2 फरवरी, 1931 को भगत सिंह ने नवयुवक राजनैतिक कार्यकर्ताओं के नाम एक पत्र लिखा था। भगत सिंह के भतीजे और ‘शहीद भगत सिंह सेनेटरी फाउंडेशन’ के चेयरमैन प्रफेसर जगमोहन के अनुसार, इसमें किसानों की परेशानियों का खास जिक्र था। उन्होंने इ इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में भगत सिंह के किसानों पर विचार बताए।
भगत सिंह जागीरदारी का पूरी तरह से खात्मा चाहते थे ताकि किसान उनके चंगुल से आजाद हो सकें। किसानों का कर्ज माफ होना चाहिए, यह भी भगत सिंह की सोच थी।
वह मानते थे कि किसान को उसकी फसल का पूरा दाम नहीं मिलता और इसी सिस्टम की वजह से वह कर्ज में डूब जाता है। जमींदारों और जागीरदारों की लूट का जिक्र करते हुए उन्होंने किसानों के लिए खराब बाजार की ओर ध्यान दिलाया था।
वैज्ञानिक तरीके से खेती के हिमायती थे भगत सिंह
प्रफेसर जगमोहन के अनुसार, भगत सिंह ने लिखा कि अगर हम यह सब – किसानी को जागीरदारी से मुक्त कराना, फसलों का समुचित दाम दिलाना और कर्ज माफी हासिल कर लेते हैं तो किसानों का एक वैज्ञानिक तरीका अपनाया जाना चाहिए। उनके मुताबिक, भगत सिंह ने कई तरह के करों के बजाय, किसानों पर केवल एक ही कर लगाने का प्रस्ताव दिया था। 2 फरवरी की चिट्ठी में भगत सिंह लिखते हैं, ‘असली क्रांतिकारी ताकतें गांवों और फैक्ट्रियों में हैं।’