ऐसी मान्यता है कि रक्षाबंधन के दिन बहनें भाइयों की कलाई पर पवित्र धागा बांधती हैं ताकि भाई उनकी रक्षा करें। रक्षा बंधन का भाव केवल इतना ही नहीं है।
वास्तव में रक्षा बंधन से अभिप्राय है जब बहन भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधती है तो वह कह रही होती है, मैं जीवन के प्रत्येक क्षण में तुम्हारी रक्षा करूंगी। वास्तव में यही रक्षा बंधन का वास्तविक अर्थ है।
यह धारणा गलत है कि महिलाएं कमजोर व शक्तिहीन होती हैं। उनमें बहुत ही अनोखी शक्ति होती है अर्थात संकल्प शक्ति। इस आंतरिक मजबूती के सहारे पुरुष की रक्षा करती है और उन्हें मजबूती प्रदान करती है। आपने सत्यवान व उनकी पत्नी सावित्री की कहानी अवश्य सुनी होगी।
हम पहले राधे कहते हैं और बाद में श्याम, पहले सीता फिर राम, पहले गौरी फिर शंकर। इसलिए हम कह सकते हैं कि पुरूष और महिलाएं केवल बराबर नहीं हैं बल्कि इस देश में महिलाओं को अधिक सम्मान मिलता है।
समाज के विकास में एक महिला का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यही निर्धारित करता है कि कोई समाज मजबूत होगा या नहीं। महिलाओं में भावनात्मक शक्ति तो होती ही है, वे आंतरिक तौर पर बहुत मजबूत होती हैं।
किसी भी व्यक्ति में इन बातों को होना सबसे बड़ी मजबूती है। भीतरी रक्षा बंधन अर्थात ऐसा बंधन जो आपको बांधता है ज्ञान से, गुरू से, सत्य से, स्वयं से।