ग्रेटर नोएडा ( अजय कुमार आर्य ) यहां स्थित आर्य समाज सूरजपुर का वार्षिक सम्मेलन 22 सितंबर से 26 सितंबर तक चला। जिसमें विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए और आर्य समाज की विचारधारा को जन जन तक पहुंचाने का संकल्प व्यक्त किया गया। इस कार्यक्रम के ब्रह्मा आर्य जगत के सुप्रसिद्ध सन्यासी स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज रहे। स्वामी प्रणवानंद सरस्वती दिल्ली गुरुकुल के ब्रह्मचारियों द्वारा वेदों का सुस्वर पाठ किया गया।
उपदेशक मंडल में श्री कुलदीप विद्यार्थी बिजनौर व का विशेष संबोधन उपस्थित लोगों को मिलता रहा। कार्यक्रम में जनपद गौतम बुद्ध नगर के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ महेश शर्मा, विधानसभा दादरी के विधायक श्री तेजपाल सिंह नागर, एमएलसी श्री चंद शर्मा ,वीरेश भाटी, देव मुनि जी ,डॉ राकेश कुमार आर्य, श्री नवाब सिंह नागर पूर्व मंत्री , रामेश्वर सरपंच, विजयपाल भाटी, आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के प्रधान और वरिष्ठ आर्य नेता महेंद्र सिंह आर्य , सागर खारी आदि विभिन्न सत्रों में अलग-अलग मुख्य अतिथि रहे।
कार्यक्रम में उपस्थित रहे भाजपा नेताओं ने आर्य समाज की विचारधारा की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसी विचारधारा को अपनाकर देश आजाद हुआ था और आज भी जितनी समस्याएं देश के सामने खड़ी हैं वे सारी भी तभी समाप्त हो सकती हैं जब हम आर्य समाज की विचारधारा के अनुसार उनका समाधान करने के लिए कृत संकल्प होंगे।
यज्ञ के ब्रह्मा स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज द्वारा वैदिक संस्कृति पर विभिन्न व्याख्यान दिए गए। जिसमें उन्होंने वैदिक संस्कृति की महानता और सर्वोच्चता पर विद्वता पूर्ण प्रकाश डाला और पांचों प्रकार के यज्ञों की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि यज्ञों की इसी परंपरा को मानकर और जानकर सारे संसार का कल्याण संभव है।
श्री देव मुनि जी द्वारा यज्ञों की विशद व्याख्या करने के साथ-साथ राष्ट्र की वर्तमान समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि यदि आज हम सचेत और जागरूक नहीं हुए तो हमारे वैदिक धर्म को मिटाने वाली शक्तियां अपने उद्देश्य में सफल हो सकती हैं। इसलिए आज के परिवेश को समझ कर उसके अनुसार अपने आप को तैयार करना बहुत आवश्यक है। कार्यक्रम में आचार्य करण सिंह ने भी विभिन्न सत्रों में अपने विद्वता पूर्ण व्याख्यान देकर लोगों को लाभान्वित किया। उन्होंने गीता के कर्म योग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस प्रकार श्राध्द मना कर लोग पाखंड फैलाते हैं उसका विरोध स्वयं गीता भी करती है ।
क्रांतिकारी और ओजस्वी वक्ता के रूप में उपस्थित रहे कुलदीप विद्यार्थी ने इतिहास के कई अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला और वैदिक संस्कृति की महानता को स्पष्ट करते हुए कहा कि संसार में जितनी बार भी संस्कृतियां या मजहब इस समय दिखाई देते हैं वह सारे के सारे वैदिक धर्म से विचारधारा के स्तर पर बहुत छोटे हैं। जबकि डॉ राकेश कुमार आर्य ने अपने वक्तव्य में कहा कि महर्षि दयानंद के लिए राष्ट्र सर्वप्रथम था। जिन्होंने 1857 की क्रांति की भूमिका तैयार करते हुए माउंट आबू से लेकर हरिद्वार तक की यात्रा करते समय उस समय युवाओं को क्रांति के लिए तैयार रहने का आह्वान किया था ।आर्य समाज को आज इसी प्रकार की रणनीति पर काम करना होगा।
आर्य समाज के वरिष्ठ और क्रांतिकारी नेता महेंद्र सिंह आर्य ने युवाओं का आवाहन करते हुए कहा कि वे देश और धर्म की रक्षा के लिए आगे आएं। जबकि सरपंच रामेश्वर सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि महर्षि दयानंद यज्ञ को सर्वोपरि मानते थे। लेकिन उनका यज्ञ का यह विचार तभी पूर्ण हो सकता है जब राष्ट्र की समस्याओं के प्रति भी हम गंभीर हों। युवा नेता आर्य सागर खारी में कहा कि भारतीय संस्कृति का लोहा इस समय सारा संसार मान रहा है और महर्षि दयानंद की विचारधारा को अपनाने के लिए लालायित है।
कार्यक्रम का सफल संचालन पण्डित मूलचंद शर्मा द्वारा किया गया।
उन्होंने ‘उगता भारत’ को बताया कि प्रति वर्ष यह संस्था इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करती है। उन्होंने कहा कि आर्य समाज की विचारधारा को बलवती करना और अपने पूर्वजों के द्वारा स्थापित इस आर्य समाज के प्रकाश को दूर-दूर तक फैलाना उनके जीवन का उद्देश्य है। जिस के लिए वह कार्य करते रहेंगे।
कार्यक्रम में रामजस आर्य, श्री विजेंद्र सिंह आर्य ,विजयपाल आर्य, प0शिवदत्त आर्य, पंडित भूदेव शर्मा, उप मंत्री श्री अनिल आर्य व ऑडिटर पंडित शिव कुमार आर्य, महेंद्र सिंह आर्य, महाशय जगमाल सिंह आर्य, आचार्य भीमदेव आदि की विशेष और सक्रिय भूमिका रही।
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