🙏बुरा मानो या भला 🙏
आजकल सोशल मीडिया पर एक वीडियो बहुत तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें एक ऑडियो क्लिप सुनाई पड़ रही है जिसमें दो शख़्स धर्मांतरण को लेकर आपस में टेलीफोन पर वार्तालाप कर रहे हैं, जो कि काफी आपत्तिजनक है। ऑडियो मैसेज में मौलाना कलीम सिद्दीकी दूसरी तरफ एजेंट से कहते हुए साफ सुनाई दे रहे हैं कि धर्मांतरण उस रफ्तार से नहीं हो पा रहे. इसके जवाब में एजेंट मौलाना से बोल रहा है कि लॉकडाउन के चलते हिंदू लड़कियां नहीं मिल पा रही हैं. एजेंट ये भी कहता है कि कुछ छोटी जाति की लड़कियां मिल रही थी… इसपर मौलाना कहते हैं कि नहीं, बड़ी जाति की लड़की खासतौर पर ब्राम्हण वगैरह की लडकियां हों तो ठीक रहेगा. ऑडियो मैसेज से साफ है कि मौलाना बड़े पैमाने पर हिंदू लड़कियों विशेषकर ब्राह्मण वर्ग की लड़कियों के धर्मपरिवर्तन की तैयारियों में लगे थे। हालांकि हम इस ऑडियो क्लिप की पुष्टि नहीं कर रहे। परन्तु दूध में पड़ी हुई मक्खी देखकर उसे अनदेखा करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है।
उल्लेखनीय है कि इन मौलाना कलीम सिद्दीकी को उत्तरप्रदेश ATS (एंटी टैरर स्क्वाड) ने जबरन धर्मांतरण सहित कई संगीन आरोपों में गिरफ्तार किया है। इसके बावजूद समाजवादी पार्टी के सांसद जनाब शफीकुर्रहमान बर्क़ साहब, कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता जनाब राशिद अल्वी साहब और आम आदमी पार्टी के विधायक अमानुतल्ला खान और प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने इन मौलाना साहब की गिरफ्तारी का न सिर्फ़ कड़ा विरोध किया बल्कि उन्हें पूरी तरह से क्लीन चिट देने का हरसम्भव प्रयास भी किया।
विडम्बना देखिये कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान अखिलेश यादव लगातार ब्राह्मण समाज की सुरक्षा और सम्मान की दुहाई दे रहे हैं, कांग्रेस पार्टी के युवराज श्री राहुल गांधी स्वयं को दत्तात्रेय गोत्र का जनेऊधारी ब्राह्मण बताते हुए नहीं थक रहे। इस सबके बावजूद भी सपा और कांग्रेस के नेता मौलाना कलीम सिद्दीकी के बचाव के लिए लगातार हाथ-पैर पीट रहे हैं।
यहां यह भी बताना जरूरी है कि सपा औऱ कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल ब्राह्मण समाज को अपने पाले में करने के लिए लगातार “सम्मान समारोह” कर रहे हैं। दूसरी तरफ़ ब्राह्मण बेटियों को अपमानित करने का षड्यंत्र रचने वालों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि ब्राह्मण समाज के जो लोग इस सबको अनदेखा करके इन “ब्राह्मण विरोधी मानसिकता” के पैरोकारों के दरबारों में हाजिरी लगा रहे हैं, क्या वह किसी भी दृष्टिकोण से ब्राह्मण कहलाने योग्य हैं? सच पूछिए तो ऐसे लोगों को चुल्लू भर पानी में डूब जाना चाहिये। परन्तु इनकी आंख का पानी उतर चुका है। इन चंद “नौताखाऊ पोंगा पंडितों” के कारण ही पूरे ब्राह्मण समाज को शर्मिंदा होना पड़ता है। ऐसे कुलद्रोही और कुल कलंकी ब्राह्मणों से तो रावण कहीं अधिक अच्छा था, जिसने अपने जीते जी श्रीराम और उनकी सेना को अपनी लंका में प्रवेश नहीं करने दिया था।
ब्राह्मणों को चाहिए कि वह मौजूदा सरकार से मांग करें कि वह इस ऑडियो क्लिप की हर प्रकार से पुष्टि कराये और साथ ही उन तमाम राजनीतिक दलों से भी माफ़ी की मांग रखें जिन्होंने मौलाना कलीम सिद्दीकी के बचाव का हरसम्भव प्रयास किया था। अन्यथा ऐसे तमाम नेताओं और दलों का खुलकर विरोध किया जाना चाहिए जो कि इस प्रकार के षड्यंत्रकारियों की पीठ थपथपाते हैं।
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🖋️ मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)
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