🙏बुरा मानो या भला 🙏
—मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
इस देश में दो प्रकार के आतंकवादी जिहाद चला रहे हैं। एक वह जो “गोली” से आतंकवाद फैलाते हैं, और दूसरे वह हैं जो “बोली” से आतंक फैलाने की साजिश कर रहे हैं। यह दोनों ही प्रकार के आतंकी भारत की एकता, अखंडता और सम्प्रभुता के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।
“बोली” यानी विचारों से आतंकवाद करने वाले
हालांकि इस बेहद घटिया औऱ शर्मनाक बयान के बाद कार्यक्रम के एंकर ने तुरन्त मसूद हाशमी को परिचर्चा से बाहर कर दिया। परन्तु प्रश्न यह है कि क्या मसूद हाशमी जैसे “वैचारिक आतंकियों” की घिनौनी, घृणित और समाज विरोधी मानसिकता में कोई बदलाव आ पायेगा? मसूद हाशमी ने यह बयान एक राष्ट्रीय चैनल पर दिया, जिसे देश-विदेश के लाखों-करोड़ों हिन्दू परिवारों ने देखा होगा, और उन सभी की भावनाओं को कितना गहरा आघात पहुंचा होगा, इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।
मसूद हाशमी जैसे लोग वही हैं जो यह कहते हैं कि भारत में मुसलमानों को डर लग रहा है, यह वही लोग हैं जो कहते हैं कि भारत के मुसलमानों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है। दरअसल मसूद हाशमी जैसे “वैचारिक आतंकी” अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में अक्सर देश की एकता, अखंडता और सम्प्रभुता पर कुठाराघात करते रहते हैं।
यह वही लोग हैं जो हिंदुत्व की कब्र खोदने वालों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहते हैं। मसूद हाशमी जैसे लोग भारत में असहिष्णुता और मॉबलिंचिंग की दुहाई देते नहीं थकते हैं, लेकिन जिस प्रकार से यह लोग “शब्दों की मॉबलिंचिंग” करते हैं, उसका अनुमान मसूद हाशमी के उपरोक्त बयान से सहज ही लगाया जा सकता है।
गंगा-जमुनी तहज़ीब और साम्प्रदायिक सौहार्द की बात करने वालों को मसूद हाशमी का उपरोक्त बयान क्यों नहीं दिखाई देता है? आरएसएस, भाजपा और तमाम हिन्दू संगठनों को देश के सांप्रदायिक सद्भाव, शांति, धर्मनिरपेक्षता और एकता के लिए ख़तरा बताने वाले कांगी, वामी, जिहादी और तथाकथित बुद्धिजीवियों को मसूद हाशमी जैसे वैचारिक आतंकवादी का यह बयान क्यों नहीं सुनाई पड़ता है?
क्या मसूद हाशमी पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं होनी चाहिए, क्या मसूद हाशमी का यह बयान इस देश के करोड़ों हिन्दू परिवारों के मान-सम्मान और प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाने वाला नहीं है? प्रश्न यह है कि यदि ऐसी घिनौनी, घृणित और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किसी अन्य मज़हब की बहन-बेटियों के लिए किया जाता तो क्या अब तक सर कलम करने के फ़तवे जारी न हो जाते? क्या ऐसे समाज और देशविरोधी बयान देने वालों को माफ़ कर देना उचित होगा?
मसूद हाशमी जैसे लोग अपने ही मज़हब और क़ौम के लोगों की निष्ठा और देशभक्ति पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। ऐसे लोग पूरे देश, समाज और मज़हब के दुश्मन हैं। इन लोगों का सामाजिक बहिष्कार होना ही चाहिए। यह लोग मानसिक रोगी हैं, इनको ईलाज की सख़्त जरूरत है।
🖋️ मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)
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